खबर लहरिया Blog मोदी जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में क्यों किसानी छोड़ना चाहते हैं किसान?

मोदी जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में क्यों किसानी छोड़ना चाहते हैं किसान?

उत्तर-प्रदेश में अन्ना जानवरों की समस्याओं से किसान बर्वाद व तबाह होते चले जा रहे हैं। किसानों के लिए एक विकराल समस्या बन कर सामने आ रहे हैं। इनसे कहीं खेती पर संकट है तो कहीं पर यह हादसे की वजह बन चुके हैं। रात में खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचाने के कारण कई किसान परेशान हैं। वहीं रात के समय होने वाले ज्यादातर हादसे भी इन्हीं आवारा जानवरों की वजह से हो रहे हैं। ऐसे में प्रशासन को इन पर पाबंदी लगाने की जरूरत है। जनपद में बने गौशाला में भी यह आवारा जानवर नहीं पहुंचाए जा रहे है। इसी कारण सड़कों और खेतों में घूमते इन जानवरों को देखा जाता है।

किसानों की फसल बर्बाद कर रहे अन्ना जानवर

सरकार के तमाम प्रयासों के बाद अन्ना जानवरों के लिए उठाए गए कदम धरातल में नहीं दिख रहे हैं। अन्ना पशुओं के कहर से किसान हताश एवं निराश है। फसलों को बचाने के लिए जान-जोखिम में डालकर किसान सर्द- गर्म रातें खेतों में गुजारने को विवश हो रहा है। जरा सी चूक होने पर अन्ना गौवंश फसलों को चट कर जाता है। सरकार अन्ना पशुओं की रोकथाम के लिए तमाम घोषणाएं आए दिन करती है परंतु धरातल में अभी तक प्रयास सफल होते नहीं दिखे हैं।

ऐसी हालत रही तो छोड़ देंगे किसानी

आज हम बार कर रहे हैं वाराणसी जिले के चिरई ब्लॉक के गाँव कोटवा के किसान से। कोटवा गाँव की नीशा यादव जो खेत में किसानी कर रही थी उन्होंने बताया कि रात-रात भर जागकर फसल की देखभाल कर रहे हैं नीड हराम हो रही है लेकिन फिर भी सब आकर खा जाते हैं। लोभिया, धान और चरी लगाये थे खेत में कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। सब्जी तो बिलकुल भी नहीं तोड़ पा रहे हैं। कर्ज लेकर फसल लगाया वही नहीं भरपाई होगी तो मुनाफा कैसे होगा। योगी आदित्यनाथ और मोदी जी योजना तो निकाल दिए लेकिन कहीं कुछ नहीं है। कहने को ये मोदी जी का संसदीय क्षेत्र है।

कहाँ से चुकायेंगे कर्ज का बढ़ रहा ब्याज़

मुन्नी जिनके खेतों की फसल बिलकुल ख़राब हो गई है वह खेत में ही बैठकर पछताते हुए बताती हैं कि अधिया पर खेती लिया था सोचा था कुछ महीने का घर में राशन हो जाएगा लेकिन एक साथ दस-दस जानवरों के झुण्ड ने सब चौपट कर दिया। दो बार सब्जी बोई लेकिन एक बार भी नहीं तोड़ पाए। एक बार दस हजार कर्ज लिया था दुबारा भी लिया लेकिन अब कहाँ से भरेंगे? सुना था यहाँ गौशाला बनेगा पर नहीं बना है हम तो इस स्थिति में आ गये की हम कर्ज नहीं भर पाए तो किसानी छोड़ देंगे।

किसान इतना मजबूर क्यों हो रहे हैं का सरकार को नहीं चाहिए की इस योजनाओं को पलट कर देखे कि आखिर किसान किसानी से क्यों मुंह मोड़ना चाहते हैं? किसान हमारा अन्नदाता है वो आत्महत्या जैसे क़दम उठाने को क्यों मजबूर होता है? सरकार अपने बंद कागज के पन्ने को खोले और बताये की आखिर यहाँ गौशाला क्यों नहीं बनी हैं? क्यों यहाँ का किसान कर्ज लेने को मजबूर है?