खबर लहरिया Blog यूपी सहित मज़बूर किसानों ने किया भारत बंद, मिल रहा है सबका साथ

यूपी सहित मज़बूर किसानों ने किया भारत बंद, मिल रहा है सबका साथ

पंजाब और हरियाणा के किसानों ने कृषि विधेयक का विरोध करते हुए तीन दिन के “चक्काजाम” का ऐलान कर दिया है। पहले दिन यानी गुरूवार को किसानों ने “रेल रोको” आंदोलन से विरोध की शुरुआत की थी। किसान यूनियन ने देश के छह अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया। जिसमें हर एक जगह पर 1,000 से 1,500 किसान पटरियों पर बैठे थे। 
आज आंदोलन के दूसरे दिन “भारत बंद” के लिए किसान पूरी तरह से तैयार है। हालाँकि राष्ट्रिय राजमार्गो को आवाजाही के लिए छूट दे दी गयी है। हर जगह अधिक संख्या में पुलिस बलों को तैनात किया गया है। 31 अन्य संगठनों ने भारतीय किसान यूनियन का साथ देते हुए विरोध प्रदर्शन को आगे बढ़ाया है । इसमें  भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी, कीर्ति किसान यूनियन, भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहन), किसान मज़दूर संघर्ष समिति और बीकेयू (लोकावल) शामिल है।


कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी किसानो के साथ उनके विरोध में साथ दे रही है। शिरोमणि, अकाली दल के नेता पंजाब में किसानो का नेतृत्व कर रहे हैं। सभी किसान अब सड़क पर उतर आये हैं और सड़कों को जाम करने के लिए तैयार है। पुलिस फ़ोर्स भी अपने काम में जुटी हुई है ताकि कोई किसी भी तरह का कानून न तोड़े और विरोध में किसी भी तरह की हिंसा की सम्भावना न बनें। 

किसानों के समर्थन में दुकाने बंद

किसान आंदोलन की वजह से आज सुबह से ही पंजाब की अधिकतर दुकाने बंद है। दुकानदारों से यह अपील की गयी कि वह किसानों के समर्थन में अपनी दुकानें बंद रखे। क्रन्तिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शन पाल ने कहा कि वह राज्य के अलग-अलग 150 जगहों पर धरना प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि इसमें उन्हें व्यापारी, यातायात करने वाले और टैक्सी चलाने वालों का भी काफी साथ मिल रहा है। 
साथ ही पंजाब बंद में सरकारी कर्मचारी, गायक, कमीशन एजेंट्स और सामाजिक कार्यकर्ता भी आगे आकर किसानों की मदद कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, नहीं किया जायेगा किसी को गिरफ़्तार

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि सरकार किसानों का पूरी तरह से समर्थन कर रही है। वह कृषि विधेयक के विरोध में किसानों के साथ है। साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि धारा 144 के अंतर्गत किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया जायेगा। धारा 144 का अर्थ है कि एक जगह पर चार से ज़्यादा लोग एक साथ खड़े नहीं हो सकते। 

यूपी के अयोध्या में भी लोगों ने किया भारत बंद का समर्थन 

“अभी तो ली अंगड़ाई है,आगे बहुत लड़ाई है “
कृषि विधेयक का विरोध करते हुए लोगो ने मोदी सरकार को तानाशाही कहा। लोगो ने “किसान विरोधी काला कानून” नारे और पोस्टर्स के साथ आंदोलन को और सक्रिय किया। जिला अध्यक्ष अखिल चतुर्वेदी का कहना है कि अगर सरकार विधेयक को वापस नहीं लेती तो वह इससे भी बड़ा आंदोलन करेंगे। अगर ज़रुरत पड़ी तो वह संसद भव का भी घेराव कर सकते हैं। लोगों का कहना है कि सरकार बस लोगों को गुलाम बनाने की कोशिश कर रही है।

रणदीप सुरजेवाला ने कहा सरकार ने की है “घटिया साजिश” 

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कृषि बिल को सरकार द्वारा कि गयी “घटिया साजिश” बतायी और तीनों विधेयकों को “काला कानून” कहा। सुरजेवाला का कहना है कि मोदी सरकार ने किसानों, खेत में काम करने वाले मज़दूरों और उनकी आजीविका पर एक गहरा हमला किया है। वह कहते हैं कि आज देश के सारे किसानों ने भारत बंद किया है और राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी के नेतृत्व में पूरी कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ खड़ी है।

तमिलनाडू के किसानों ने मानव हड्डियों के साथ किया विरोध 

राष्ट्रिय दक्षिण इंडियन रिवर इंटरलिंकिंग किसान एसोसिएशन के किसानों ने आज त्रिची के कलेक्टर कार्यालय के बाहर बैठकर धरना प्रदर्शन किया। जिसमें किसानों ने अपने हाथों को जंजीरों से बाँध कर रखा हुआ था। गले में फांसी के फंदे की तरह रस्सी लपेटी हुई थी । साथ ही सामने मरे हुए किसानों की हड्डियां थी, जिन्होंने मज़बूरी में आत्महत्या की थी। विरोध में किसानों द्वारा दिखाई चीज़े ज़ोर-ज़ोर से सिर्फ यही बता रही थी कि देश में किसानों का हाल मरे हुए किसानों के कंकाल की ही तरह है। 
तमिलनाडु के किसानों द्वारा इस तरह का विरोध प्रदर्शन पहले बार नहीं हो रहा है। इससे पहले भी 2017-18 में दिल्ली के जंतर-मंतर और संसद भवन के सामने भी किसानों ने कुछ इसी तरह से विरोध किया था। न उस समय सरकार ने किसानों के लिए कुछ किया था और न ही अब कर रही है।

यह है किसानों की चिंता

किसानों ने अपनी चिंता बताते हुए कहा कि बिल के आने से जो न्यूनतम मूल्य उन्हें पहले मिलता था, उन्हें डर है कि वो बिल के बाद उतना भी नहीं मिलेगा। यह बिल सिर्फ बड़े कॉर्पोरेट उद्योगों और व्यापारियों को ही फायदा देगा। मंडी अगर बड़े कॉर्पोरेट उद्योगों के लिए भी खुल गयी तो किसानो को उनके अनाज की सही कीमत नहीं मिल पायेगी। इससे सिर्फ काला बाज़ारी को ही बढ़ावा मिलेगा। किसानों का कहना है कि वह अपना विरोध और अपनी लड़ाई तब तक ज़ारी रखेंगे, जब तक सरकार तीनों कृषि विधेयकों को वापिस नहीं ले लेती। किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020, दूसरा- मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता और तीसरा -आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, 2020 । यह वह तीन विधेयक है जो सरकार ने इसी हफ़्ते मानसून सत्र के पहले दिन लागू किये थे। 
जब से कृषि विधेयक लागू हुआ है तब से ही किसान विधेयक का विरोध कर रहे हैं। यहां तो बस सरकार अपनी ही रोटियां सेंकने में लगी हुई है। सरकार को इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि रोटी देने वाले किसान और उसके परिवार को रोटी नसीब हो रही है या नहीं। सरकार के लिए किसानों की जान की कोई कीमत है भी या नहीं ? आखिर सरकार कब तक ऐसे ही अपनी मनमानी करती रहेगी ? केंद्र ने पहले तो असंवैधानिक ढंग से राजयसभा में बिल को पास करवा दिया। जबकि संसद में मौजूद आधे से ज़्यादा सदस्य बिल के खिलाफ थे। ऐसे में कहां गया लोकतान्त्रिक अधिकार ? हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है और यह विधेयक पूरे देश के किसानों की जीविका पर असर डालता है। हम चाहें यूपी ,पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु और ओडिशा या देश के अन्य राज्यों की बात कर ले।  हर एक राज्य में खेती होती ही है। जहां पूरे देश का किसान विधेयक के विरोध में है वहाँ सरकार बस अपनी मनमानी कर रही है। क्या ऐसे ही सरकार देश के किसानों को इंसाफ देगी ? उन्हें आगे बढ़ाएगी ? जिस देश की सरकार नागरिकों के पक्ष को सुनने से ज़्यादा खुद के फैसलों को सही ठहराने में लगी हुई है , वहां लोग फिर भी सरकार से यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद सरकार उन्हें सुनेगी।