सरकार का मानना है कि देश के विकास के लिए आधुनिक भारत का होना बहुत ज़रूरी है। ऐसा भारत जहां लोग तकनीकी रूप से सक्षम हो। जिसके लिए वह ऑनलाइन प्लेटफार्म और डिजिटलीकरण के ऊपर बढ़ावा दे रही है। लेकिन यह बात जानना बहुत ज़रूरी है कि ग्रामीण भारत में डिजिटलीकरण किस तरह से काम कर रहा है। लोग आधुनिक तकनीकों को कितना जानते हैं। उसे अपने दैनिक जीवन में कितना इस्तेमाल करते हैं।
बाँदा के सामाजिक कार्यकर्ता रामजी का कहना है कि “वह सोशल मीडिया के अनेकों प्लेटफार्म जैसे व्हाट्सअप,फेसबुक, मैसेंजर, ट्विटर आदि का इस्तेमाल करते हैं। ये सारी चीज़े जितनी अच्छी है उतनी ही बुरी भी है।” अफ़वाह वाली खबरें इनके ज़रिये बहुत जल्दी लोगों तक पहुंच जाती है। जिन खबरों को हम फेक खबरें यानी झूठी खबरें कहते हैं। जो एक व्हट्सग्रूप से दूसरे ग्रुप और फिर तीसरे ग्रुप में आसानी से चली जाती है। इन प्लेटफॉर्म्स ने चीज़े जितनी आसान बनायी है ,उतनी ही मुश्किल भी कर दी है। सच और झूठ के बीच में फ़र्क करना मुश्किल हो गया है।
यूपी में दो लोगों ने व्यक्ति से हज़ारों रूपये ठगे
कई बार लोग फेसबुक पर किसी और की पहचान लेकर अपनी प्रोफाइल आईडी बना लेते है। फिर बाद में उनके जानने वाले लोगों से पैसों की मांग करते हैं। जो लोग इस तरह की झूठी प्रोफाइल के बारे में नहीं जानते,वह इसमें फंस जाते हैं। बाँदा के जन सेवा केंद्र के कार्यकर्ता इस्तेयाक अहमद बताते हैं कि “कुछ वक़्त पहले उनके गांव में दो लड़के आये थे जिन्होंने खुद को माइक्रोसॉफ्ट कंपनी से बताया था और अपनी पहचान भी दिखायी थी। उसने कंपनी से संबंधित सारी चीज़े कंप्यूटर पर दिखाया और इस्तेयाक को विश्वास दिलाया कि अगर वह उन्हें बीस हज़ार रूपये देता है तो वह उसका फाइनेंस कराएंगे जिसके बाद वह और लोगों को भी पैसे उधार पर दे पायेगा”।
लेकिन कुछ वक़्त बाद पता चला की उन लोगों ने ऐसे ही कई और लोगो को भी ठगा है। पुलिस रिपोर्ट लिखवाने के बाद भी दोषियों को अभी तक पकड़ा नहीं गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक की 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार धोखाधड़ी के मामले में 851. 85 ट्रिलियन मामलों की वृद्धि हुई है।
खाली फेसबुक खातों के ज़रिये हैकर्स लोगों को बनाते हैं निशाना
फेसबुक या कोई भी सोशल मीडिया चलाते वक़्त हमें बहुत ही सावधानी बरतने की ज़रूरत है। साइबर क्राइम या हैकर्स के लिए किसी की भी जानकारी हासिल करना बहुत आसान होता है। इसके ज़रिये वह लोगों को आसानी से अपना निशाना बना लेते हैं। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की 19 मार्च 2020 की रिपोर्ट बताती है कि किस तरह से हैकर्स ने खाली फेसबुक खाते के इस्तेमाल से एक व्यक्ति से हज़ारो रूपये ठग लिए। यूपी के गोमतीनगर के महेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि उनका फेसबुक प्रोफाइल किसी ने हैक कर लिया था। साथ ही उन्हीं के प्रोफाइल से उनके दोस्तों से 10,000 से 20,000 रुपयों की मांग की जा रही थी।
54 वर्ष के सिंह कहते हैं कि ” शायद ही मैंने कभी फेसबुक का इस्तेमाल किया है। मैंने अपने बेटे की मदद से अपने दोस्तों को गलत खबर के बारे में संदेश भेजा दिया है“ ताकि वह लोग सतर्क हो जाये। अब तक जितने भी मामले सामने आये हैं उसमें हैकर्स द्वारा जिन्हें भी ठगा गया, उन सबकी उम्र 50 से 60 वर्ष की आयु के बीच की थी। जो आमतौर पर अपने फेसबुक अकाउंट का इस्तेमाल नहीं करते थे। हैकर्स उन व्यक्तियों के अकाउंट हैक करने के बाद उस व्यक्ति से संबंध रखने वाले दोस्तों को व्यक्ति के स्वास्थ्य के नाम पर ई–वॉलेट में पैसें डालने के लिए कहते थे। स्वास्थ्य के नाम पर इसलिए क्यूंकि उनकी उम्र ज़्यादा होती है तो ऐसे में बीमारी कभी भी हो सकती ।साइबर क्राइम के एसीपी विवेक रंजन राय ने कहा कि वह हैकर्स के गिरोह का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।<
/span> साथ ही वह लोगों को कहते हैं कि वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट को समय–समय पर देखते रहे और अपना पासवर्ड किसी को न बताये।
साइबर क्राइम में 37 प्रतिशत हुई बढ़ोतरी
कैसपर्सकी सिक्योरिटी नेटवर्क (केएसएन) रिपोर्ट में दिखाया गया कि इस साल जनवरी से मार्च के बीच 52,820,874 स्थानीय साइबर खतरों के बारे में पता लगाया गया है। भारत साइबर हमले के मामले में विश्व में 11वें स्थान पर आता है। ग्रेट एशिया पैसिफिक के सीनियर सिक्योरिटी रिसर्चर सौरभ शर्मा कहते हैं कि ” स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों अधिकतर लोगों को इसमें निशाना बनाया जा रहा है। ” व्यक्ति की निजी जानकारी हासिल करके लोगों को निशाना बनाया जाता है। इसलिए जितना हो सके हमें अपने फ़ोन को वायरस वगैरह से दूर रखना चाहिए जिससे की आपके फ़ोन को कोई हैक न कर पाए। फ़ोन के वायरस से बचने के लिए लोग फोन में ही वायरस खत्म करने वाला एप डाउनलोड कर सकते हैं।
गांव में इंटरनेट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों का कहना है कि जब भी वह कोई सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें उनकी निजी जानकारी देनी पड़ती है। तो इसमें निजी क्या रह गया , जब सब कुछ सामने ही हैं। हम लोग भी जब आमतौर पर किसी वेबसाइट पे जाते हैं तो वहां पर भी हमसे हमारी ईमेल आईडी और पासवर्ड माँगा जाता है। एक बार मांगी हुई चीज़े देने के बाद वह साइट सारी जानकारी अपने पास रख लेती है और दसूरी कंपनियों को बेच देती है। ऐसे में व्यक्ति की गोपनीयता सिर्फ नाम की रह जाती है।
साइबर क्राइम और धोखाधड़ी से बचने के लिए यह ज़रूरी है कि हम अपनी निजी जानकारी किसी को भी न दें। अगर हम किसी सोशल मीडिया पर उसे डाल रहे हैं तो उसे उस वेबसाइट पर सुरक्षित न करें ताकि कोई और आपकी जानकारी वहाँ से न ले सके। कंप्यूटर पर आज कल फ़र्ज़ी कंपनियां बनाना बहुत आसान हो गया है। अगर कोई भी आपसे पैसे भरने को कहे , किसी भी चीज़ के लिए तो उसे न भरे। उन लोगों द्वारा दी हुई जानकारी झूठी और बनावटी हो सकती है। कुछ भी करने से पहले जिस व्यक्ति को काम के बारे में ज़्यादा जानकारी हो, उससे सलाह ले । अपने मोबाइल फ़ोन पर आये पासवर्ड को किसी को भी न बताये। फ़र्ज़ी कॉल करने वालों को पहचाने। साथ ही इंटरनेट इस्तेमाल करते वक़्त सोशल मीडिया की अच्छाई और बुराई को भी पड़े। ताकि आप साइबर के खतरों से खुद को बचा सकें।