उत्तर प्रदेश में जहाँ एक तरफ चुनाव आते ही उम्मीदवार ग्रामीणों से विकास के बड़े-बड़े वादे करने लगते हैं, लेकिन चुनाव ख़तम होते ही उन सभी वादों पर पानी फिर जाता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है यूपी के ललितपुर ज़िले से जहाँ लोग सालों से पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। ललितपुर ज़िले के ब्लॉक मडावरा टौरियन के लोगों का कहना है कि उनके क्षेत्र में पिछले 30 सालों से लोग पानी की समस्या झेल रहे हैं। यह लोग इस तपती गर्मी में मीलों की दूरी तय कर पानी लेने जाते हैं। और अगर वहां भी पानी नहीं मिलता तो ग्रामीणों को टैंकर से खरीद कर पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है।
पिछले 30 सालों से गाँव में नहीं है पानी की सुविधा-
मडावरा टौरियन के निवासी प्रेम सिंह का कहना है कि उनके ब्लॉक के करीब 300 परिवार पानी की समस्या झेल रहे हैं। न ही उनके गाँव में हैंडपंप की कोई सुविधा है और न ही बिजली की व्यवस्था है, ऐसे में उन लोगों को गर्मियों के मौसम में सबसे ज़्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्रेम सिंह का कहना है कि उन लोगों ने कई बार प्रधान से हैंडपंप लगवाने और पानी की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की लेकिन उन्होंने कोई सुनवाई नहीं की। उनका कहना है कि जब चुनाव का समय आता है तो यही प्रधान घर-घर आकर वोट मांगते हैं और लोग भी उन्हें इस उम्मीद में वोट डाल देते हैं कि शायद इस बार वो उनकी शिकायतों पर ध्यान देकर गाँव का विकास करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं होता। प्रेम सिंह ने हमें बताया कि उन लोगों ने पानी की शिकायत को लेकर ललितपुर तहसील में भी शिकायत करी थी, लेकिन ज्ञापन लेते समय वहां के अधिकारियों ने भी सिर्फ हैंडपंप लगने लगवाने का दिलासा दिया और अभी तक पानी की समस्या का कोई समाधान नहीं निकला है।
कई बार खरीद कर इस्तेमाल करना पड़ता है पानी-
मडावरा टौरियन के ही रहने वाले मानसिंह का कहना है कि ऐसी सख्त गर्मी में इन लोगों को एक-दो किलोमीटर दूर लगे हैंडपंप तक जाना पड़ता है, और वहां भी पानी भरने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है। उन्होंने बताया कि कई बार तो जिनके खेतों में बोरवेल की सुविधा है या पानी के टैंकर से लोगों को पानी खरीदना पड़ता है। मानसिंह ने बताया कि अगर गाँव में किसी घर में शादी होती है, तब उन लोगों को भी हज़ारों रूपए का पानी खरीदकर लाना पड़ता है, और पिछले कई सालों से सभी ग्रामीणों को इस समस्या को झेलना पड़ रहा है।
लखन लाल का कहना है कि जहाँ एक तरफ सरकार स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाएं बनाती है, वहीँ दूसरी ओर जब गाँव में पानी की सुविधा ही नहीं होगी तो लोग कैसे स्वच्छ रहेंगे। उन्होंने हमें बताया कि गाँव में न ही नहाने के पानी की कोई सुविधा है और न ही शौचलय जाने के लिए पानी है, ऐसे में महिलाओं और बच्चों को सबसे ज़्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह लोग सुबह जल्दी उठ कर पानी लेने जाने के लिए मीलों का रास्ता तय करते हैं ताकि पूरा दिन इन्हें पानी की किल्लत न झेलनी पड़े।
पानी के साथ-साथ बिजली आपूर्ति भी है ठप्प-
गाँव के कई लोगों ने बताया कि कुछ घरों में मोटर पंप की तो सुविधा है लेकिन लाइट ही नहीं आती। जब–जब बिजली आती है, तब सभी गाँव वाले उन घरों से पानी भर लेते हैं। कई बार तो लोग सुबह से रात तक पानी भरने के लिए लाइन में लगे रहते हैं। ऐसे में कई बार लोगों में बहस और कहा–सुनी भी हो जाती है। इन लोगों ने यह भी बताया कि इस तपती गर्मी में गाँव के पालतू जानवर भी पानी न मिलने के कारण परेशान रहते हैं। इस गाँव में पिछले तीस सालों से न ही हैंडपंप की कोई सुविधा की गई और न ही बिजली आपूर्ति की वयवस्था ठीक हुई। यहाँ पर न ही कोई इनकी सुनवाई करने वाला है और न ही कोई इनके लिए आवाज़ उठाने वाला है।
जब हमने ललितपुर के जल निगम के जूनियर इंजीनियर प्रभात मिश्रा से इस बारे में बात की तो उनका कहना है कि ललितपुर ज़िले के लिए पिछले दो सालों से हैंडपंप के लिए सरकार ने कोई बजट नहीं पास किया है, ऐसे में जब तक कोई बजट नहीं आता, तब तक कोई अधिकारी कुछ नहीं कर सकता है। उनका कहना है कि गर्मियों में लोगों को ज़्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही होगी, जिसके लिए वो विभाग से बात कर जल्द से जल्द बोरवेल या बिजली की सुविधाओं को ठीक करवा सकते हैं, ताकि उससे लोगों को कुछ राहत मिले।
इतनी गर्मी में जहाँ कुछ अधिकारी बिना कूलर या एसी के रहना भी पसंद नहीं करते, वहीँ इस गाँव के लोगों को पानी के लिए भी इतनी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में ज़रूरी है कि सरकार जल्द से जल्द कुछ कदम उठाए और इन लोगों की पानी की समस्या का कोई समाधान निकाले।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए राजकुमारी द्वारा रिपोर्ट एवं फ़ाएज़ा हाशमी द्वारा लिखा गया है।