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विश्व स्वास्थ्य दिवस: किशोरियों के लिए क्यों है काउंसलिंग ज़रूरी? - KL Sandbox
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विश्व स्वास्थ्य दिवस: किशोरियों के लिए क्यों है काउंसलिंग ज़रूरी?

किशोरावस्था हमारे जीवन का एक महत्पूर्ण समय होता है, जिसमें हमारा शरीर अनेक प्रकार के बदलाव से होकर गुज़रता है। इस समय न ही हमारे सिर्फ अंदर शारीरिक बदलाव आते हैं बल्कि हम मानसिक बदलाव का भी सामना करते हैं। इस समय अगर किशोरों को खासकर युवतियों को सही दिशा नहीं दिखाई जाती, तो कई बार इससे उनके मानसिक स्वास्थय पर बहुत प्रभाव पड़ता है।

ऐसे में किशोरियां कई बार डिप्रेशन की भी शिकार हो जाती हैं। 2019 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में सबसे ज़्यादा भारतीय महिलाएं डिप्रेशन के कारण आत्महत्या करने की शिकार होती हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि हम इन किशोरियों की काउंसलिंग के लिए महत्वपूर्ण साधन उपलब्ध कराएं। जब हमने कुछ किशोरियों और महिलाओं से इस बारे में बात करी तो उन्होंने बताया कि काउंसलिंग के अभाव के कारण वो लोग अपने मन की बात कहीं नहीं रख पाती।

चित्रकूट ज़िले की एक किशोरी इस कारण डिप्रेशन का भी शिकार हो गयी है। उनका कहना है कि अगर वो किसी से खुल कर बात करना चाहती हैं तो लोग उनका मज़ाक बनाते हैं और उनपर हँसते हैं। वो अपनी बात कहने में भी अब कतराती हैं। कुछ लड़कियों का यह भी कहना है कि उनके स्कूल में भी ऐसी कोई काउंसलिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण वो किसी से अपनी बात नहीं कह पातीं।

जहाँ कई किशोरियां काउंसलिंग के अभाव के कारण अपनी बात रखने में असक्षम हो जाती हैं और वो चाहती हैं कि उनके लिए काउंसलिंग उपलब्ध कराइ जाए, वहीँ दूसरी ओर कुछ ऐसी भी महिलाएँ हैं जिन्हें इस बारे में जानकारी ही नहीं है। उनका मानना है कि अगर डिप्रेशन और टेंशन दूर करने का कोई डॉक्टर होता तो वो जाकर अपना इलाज करा लेती। तो चलिए विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर देखते हैं किशोरियों में बदलते होर्मोनेस और काउन्सलिंग ओर हमारी यह ख़ास रिपोर्ट।

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