खबर लहरिया खेती बाँदा- यूरिया खाद की मारामारी से आक्रोशित हैं अन्नदाता

बाँदा- यूरिया खाद की मारामारी से आक्रोशित हैं अन्नदाता

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड बुंदेलखंड सहित बांदा और चित्रकूट में यूरिया खाद का संकट दिन पर दिन गहराता जा रहा है। कोरोना वायरस महामारी के बीच देश में चल रही अर्थव्यवस्था के बीच किसानों को एक से बढ कर एक नई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। चित्रकूटधाम मंडल में पहले ही सूखे की मार से किसानों की कमर तोड दी थी। अब यूरिया खाद का संकट आ गया। जिससे खरीफ और धान की फसलों के बेहतर उत्पादन जरुरत के समय में किसानों को पर्याप्त यूरिया खाद नहीं मिल रही। बाजारों में खाद की कालाबाजारी के चलते किसान कृषि विभाग कार्यालय से लेकर गांव और बाजारों के दुकानों तक खाद लेने के लिए चक्कर काटने को मजबूर हैं।
लेकिन किसानों की मांग के हिसाब से यूरिया खाद की खेप ना आने पर किसान अपनी फसलों में खाद डालने के लिए बाजारों से महंगे दामों में खरीद रहा है। चित्रकूट धाम मंडल के चारो जिलों मे इस साल 9208 मीट्रिक टन यूरिया खाद आनी थी, लेकिन अभी तक में उसे आधी ही आ पाई है। जबकि इस समय खरीफ के सीजन में खाद की बहुत जरुरत पड़ती है, क्योंकि इसे ही किसान धान और मक्का सहित खरीफ की अन्य फसलों में इस्तेमाल करते हैं और सबसे ज्यादा धान की रोपाई के बाद यूरिया खाद की जरुरत पड़ती है। ताकि फसल पीली न पड़े और खाद के पोषक तत्व मिलने से वह हरी-भरी बनी रहे।लेकिन अब ऐन मौके पर जब यूरिया खाद की जरुरत है,तो खाद ना मिलने से किसानों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
बांदा जिले के किसानों का कहना है कि खरीफ की अन्य फसलों के अपेक्षा धान की पैदावार यहां ज्यादा होती है। इसलिए इस मौसम में यहां के किसानों को यूरिया खाद की बहुत ही जरूरत पड़ती है, लेकिन इस साल महामारी के चलते खाद की भी कमी हो गई है और केंद्रों में खाद के लिए किसानों की लाइन लगी रहती है। दिन -दिन भर किसानी और घर का काम छोडे़ लाइन लगाने के बाद भी किसान निराश होकर लौट जाते हैं। इससे उनकी खरीफ की फसल बर्बाद हो रही है, साथ ही उनका पैसा और समय भी खराब हो रहा है। इस लिए मजबूरी में किसान 350 रुपये की बोरी मिलने वाली यूरिया खाद 450 रुपये तक में भी खरीद रहा है|
ताकि उसकी फसल बच सके, क्योंकि बांदा जिले में इस साल 5037 मीट्रिक टन खाद की खपत थी लेकिन, उसके अपेक्षा 2038,चित्रकूट में 2459 मीट्रिक टन खपत के अपेक्षा 831एमटी, महोबा में 255 एमटी के अपेक्षा 1815 एमटी और हमीरपुर मे 1457 एमटी के अपेक्षा 829 मीट्रिक टन खाद पीसीएफ ने मंगाई है और यह खपत से आधी खाद आई है।
खाद ना मिलने से उनकी फसल बर्बाद हो रही है वह हप्तो से बराबर खाद के लिए मंडी के चक्कर काट रहे हैं, सुबह 8 बजे से लाइन लगा दी जाती हैं पर शाम को निराश होकर लौटना पडता है और भीड़ लगने से पुलिस भी खदेडती है, पर क्या करें हम किसानों को तो अपनी उपज के लिए सब कुछ सहना पड़ता है। किसी तरह कर्ज लेकर जोताई बोआई की थी और बीज खरीद कर डाला था की अच्छी पैदा बार होगी तो कर्ज भर देगें ,लेकिन अब खाद नहीं मिल रही, पर खाद सयय से नहीं मिल रही,तो फसल अच्छी नहीं होगी जितना लेट होगा उतना ही हम किसानों का नुकसान है।