खबर लहरिया Blog पीएम केयर फंड के नाम सरकार ने जनता को लूटा, नहीं पता कहां हो रहा है पैसों का इस्तेमाल

पीएम केयर फंड के नाम सरकार ने जनता को लूटा, नहीं पता कहां हो रहा है पैसों का इस्तेमाल

दिसंबर 2019 में आयी कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मोदी सरकार ने इस साल पीएम केयर फंड की शुरुआत की थी। पीएम केयर फंड वेबसाइट पर लोगों द्वारा दान की गयी कुल रकम का परिक्षण विवरण प्रकाशित किया गया। जिसके अनुसार 31 मार्च तक पीएम केयर फंड में 3,076 करोड़ रुपयें चुके थे। परीक्षण रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 30,76,62,58,096 करोड़ रूपये पीएम केयर फंड से जुड़े खातों का अंतिम शेष था।

इन लोगों ने दिया अपना योगदान

पीएम केयर फण्ड की कोष की शुरुआत 2,25,000 रुपयों से की गयी थी। इसमें कई राजनेताओं, सांसद अधिकारी, फ़िल्मी ,खेल और अन्य क्षेत्र के लोग, एनजीओ, निजी उद्द्यमी आदि कई लोगों ने कोरोना के दौरान ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए अपनीअपनी तरफ़ से दान किया था। हालंकि,अभी तक मार्च के बाद पीएम केयर फंड में कितने रुपयें आएं हैं, यह अभी तक बताया नहीं गया है।

पीएम केयर फंड में होनी चाहिए पारदर्शिता 

पीएम केयर फंड की देखरेख का काम मोदी सरकार के ही कुछ मंत्री, प्रधानमंत्री के साथ कर रहे हैं। विपक्ष द्वारा सरकार की कड़ी आलोचना की जा रही है, क्यूंकि सरकार द्वारा पीएम केयर फंड में पारदर्शिता नहीं है। जिसके लिए विपक्ष ने अदालत में भी याचिका दायर की। लेकिन अभी तक इस याचिका पर अदालत ने अपनी कोई भी मंज़ूरी नहीं दी है। किसी भी चीज़ में पारदर्शिता होना, लोगों का विश्वास बढ़ाने का काम करती है।वहीं अगर किया जाने वाला काम साफ़ दिखाई दे ,खासतौर पर जो काम जनता के लिए किया जा रहा हो तो वह काम सिर्फ अविश्वास पैदा करने का काम करता है।

पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर किया वार


कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने केंद्रीय सरकार पर पीएम केयर फंड में दान दिए हुए लोगों के नाम सामने ना लाने पर ताना निशाना। वह केंद्र सरकार से सवाल पूछते हैं किट्रस्टीज क्यों डरे हुए हैं।


2 सितम्बर को अपने किये हुए ट्वीट में कहते हैंपरीक्षण रिपोर्ट ने यह पुष्टि की है कि पीएम केयर फंड में 26 मार्च से 31 मार्च के बीच, यानी पांच दिनों में  3,076 करोड़ रुपयें आएं हैं।
https://twitter.com/PChidambaram_IN/status/1301009945324711936?s=20
लेकिन इन दान करने वाले लोगों के नाम सामने नहीं आएंगे। क्यों?
प्रत्येक दूसरा एनजीओ या ट्रस्ट एक सीमा से अधिक राशि दान करने वाले लोगो का नाम सामने लान के लिए बाध्य होता है। फिर इस दायित्व से पीएम केयर फण्ड को छूट क्यों है ?”

पीएम केयर फण्ड सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं

1 अप्रैल 2020 को बैंगलोर की अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की छात्रा हर्षा कंडुकोनरी ने पीएम केयर फण्ड को लेकर आरटीआई को एक याचिका दायर की। जिसमें उसने पीएम केयर फण्ड के ट्रस्ट सदस्यों की संरचना को देखते हुए पीएम केयर फण्ड में किस प्रकार से काम हो रहा है , इसका ढांचा कैसे बनाया गया है और यह किस तरह से काम करता है जैसे दस्तावेज़ों की मांग की थी।  जिसके जवाब में पीएमओ  ने यह कहा कि 2005 के सूचना के अधिकार नियम के तहत पीएम केयर फण्ड सार्वजनिक प्राधिकरण में नहीं आता। यह कहकर  उसके द्वारा मांगी गयी जानकारी को खारिज़ कर देती है।उससे कहा जाता है की अगर उसे पीएम केयर फण्ड के बारे में जानना है तो वह pmcares.gov.in वेबसाइट पर जाकर देख सकती है।
प्रिंट की एक रिपोर्ट में सरकारी अधिकारियों ने बतायायोगदान का बड़ा हिस्सा कॉर्पोरेट, सार्वजनिक क्षेत्र और केंद्रीय मंत्रालयों के विभागों से आता है। बिजली और नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयों के तहत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों ने 3 अप्रैल तक 925 करोड़ रुपये का योगदान दिया था, जबकि ओएनजीसी, आईओसी, भारत पेट्रोलियम सहित सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया था।
पीएम केयर फंड कोपब्लिक अथॉरिटीका दर्जा देने से इंकार कर दिया गया तो हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि यह सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं की जाती है। सवाल यह है कि अगर सरकार नहीं तो कौन इसे देखता है ? आरटीआई मंत्रालय और पीएमओ ने बड़ी आसानी से कह दिया की पीएम केयर फण्ड पर सार्वजनिक अधिकार नहीं है , तो क्या इस पर सरकार का अधिकार है? पीएम केयर फंड को तो जनता के लिए बनाया गया था तो  इस पर सबका अधिकार कैसे नहीं है ? अगर जनता जानना चाहती है कि दिए हुए पैसों का इस्तेमाल कहाँ किया जा रहा है, यह बताना सरकार का फ़र्ज़ है। तो सरकार यह बता रही है कि अभी तक किन लोगों ने पैसे दिए हैं। अभी तक पीएम केयर फण्ड में कुल कितनी धन राशि है और उसका इस्तेमाल कहां और कैसे किया जा रहा है ?
इसका क्या मतलब निकाला जाए की सरकार दिए हुए पैसों का उपयोग कहीं और कर रही है।  देश में इस वक़्त महामारी के साथसाथ लोग बाढ़ जैसी समस्या से भी परेशान है। उनके पास घर नहीं है। लेकिन सरकार द्वारा अभी तक उन्हें कोई मदद नहीं पहुंचाई गयी है। फिर लोगों द्वारा दिए गए पैसें गए कहांक्या सरकार सिर्फ पीएम केयर फण्ड के नाम पर जनता को लूट रही है। क्या सारे राजनेता सिर्फ अपनी जेबें भरने में लगें हैं ? ऐसे में जनता सरकार पर कैसे विश्वास करे।