खबर लहरिया Blog प्रवेश परीक्षा के खिलाफ भूख हड़ताल

प्रवेश परीक्षा के खिलाफ भूख हड़ताल

झूठी सहानुभूति और जेईई, नीट के नाम पर, सरकार छुपा रही है अपने नाकामयाब फैसले

शिक्षा ही किसी व्यक्ति को आगे लेकर जाती है। नाम, पहचान और यहां तक की सम्मान भी शिक्षा के द्वारा ही हर व्यक्ति को मिलता है। लेकिन सबके लिए आगे बढ़ पाना आसान नहीं होता। आज शिक्षा और उससे जुड़ी चीज़ो को पाने के लिए सब मे प्रतियोगिता की होड़ लगी हुई है। इतना ही नहीं, इस वक़्त विद्यार्थी प्रतियोगिता के साथ कोविड-19 जैसी महामारी से भी लड़ रहे है। विद्यार्थी पूरे साल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करते हैं। दिन-रात मेहनत करते है। इस बार भी सब ने वैसा ही किया। इस समय परीक्षा देना छात्रों के लिए खतरे से खाली नहीं होगा। एक-तरफ जहां महामारी से लोगो की जाने जा रही है वहीं परीक्षक इस माहौल में भी प्रवेश परीक्षा को बाद के लिए नहीं टाल रहे है। ऐसा लगता है मानो जान से ज़्यादा ज़रूरी परीक्षा है। जो की ज़िंदगी से भी बड़ी है और फिर वापस से नहीं करायी जा सकती।

प्रवेश परीक्षा के खिलाफ भूख हड़ताल

शुक्रवार 21 अगस्त को शिक्षा मंत्रालय के अधिकारीयों ने कहा कि नीट और जेईई 2020 की परीक्षाएं सितम्बर में ही होंगी। इसे देखते हुए 23 अगस्त रविवार को लगभग 4,000 विद्यार्थियों ने पूरे दिन भूख हड़ताल की। सभी छात्रों ने अपने-आने घरों व अपने घर के पास की खाली जगहों पर भूख हड़ताल की। जेईई ( संयुक्त प्रवेश परीक्षा) और नीट ( राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा) के साथ-साथ अन्य परीक्षाओ को भी आगे के लिए टालने पर ज़ोर दिया।

बढ़ती महामारी की तरफ ज़ोर देते हुए कहा गया कि ऐसे में किसी के लिए भी प्रवेश परीक्षा देना मुमकिन नहीं है। कांग्रेस के महासचिव राहुल गाँधी भूख हड़ताल को लेकर कहते है कि सरकार को इनकी ” मन की बात ” सुननी चाहिए। साथ ही एक ऐसा रास्ता निकालना चाहिए जिस पर सब अपनी मंज़ूरी दे सके। उन्होंने कहा कि जेईई और नीट की 2020 की परीक्षाओ को स्थगित करना ही इस वक़्त सही होगा।
ऑल इंडिया स्टूडेंस्ट एसोसिएशन कहना है कि जिस तरह से सीबीएससी के दसवीं और बारहवीं के कपार्टमेन्ट परीक्षा रद्द कर दी गयी थी। उसी तरह यूजीसी-नेट , क्लैट, नीट व जेईई की परीक्षाओ को भी आगे के लिए स्थगित कर देना चाहिए। 

“सत्याग्रह अगेस्न्ट एग्जाम इन कोविड” कैंपेन

"Satyagraha against exam in Kovid" campaign
महामारी की वजह से सड़को पर इस वक़्त न तो आंदोलन किया जा सकता है , न ही भीड़ इकट्ठा करके किसी भी चीज़ की मांग की जा सकती है। माहौल को देखते हुए छात्रों ने ट्विटर को ही अपनी आवाज़ सरकार तक पहुंचाने की जगह बना ली। सोशल मीडिया के ज़रिए सब एक-दूसरे से जुड़ गए। सभी छात्रों ने ट्विटर पर “सत्याग्रह अगेस्न्ट एग्जाम इन कोविड” हैशटैग से ट्वीट किया। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से उनकी मांगो को पूरी करने की भी अपील की।
जवाहरलाल नेहरू की छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोश कहती है कि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जेएनयू सहित कुछ विश्वविद्यालयों के छात्र प्रतिनिधियों ने यूजीसी नेट के परीक्षा की तारीख को लेकर राष्ट्रिय परीक्षण एजेंसी को पत्र लिखा था। वह ट्वीट करते हुए कहते हैं कि  कि “हम अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि वे परीक्षा से पहले, मुद्दों पर ध्यान दें।

क्या है छात्रों की समयस्याएं ?

कई छात्रों ने बताया कि उनके घर से परीक्षण केंद्र बहुत दूर है। जाने के लिए न तो कोई बस है और न ही कोई ट्रेन। महामारी की वजह से कुछ यातायात बंद है और जो है वो इतने कम है कि ऐसे में सफर कर पाना या यातायात मिल पाना बहुत मुश्किल है। अनीशा जो की ओडिशा के बालासोर की रहने वाली है कहती है कि उसके नीट 2020 का परीक्षण केंद्र भुवनेश्वर है। अगर वह परीक्षा देने आती भी है तो वह कहां रहेगी क्यूंकि सारे होटल तो बंद है।
मनोज कर्नाटका से है और वह जेईई की तैयारी कर रहा है।  उसका कहना है कि उसके घर से परीक्षणकेंद्र की दूरी लगभग 150 किमी है। परीक्षण केंद्र पहुंचने के लिए वहां न तो बस है और न ही कोई ट्रेन। उसका कहना है कि उसके कई दोस्तों का सेंटर 200-250 किमी. दूर है। वह इतना लम्बा सफर कैसे करेंगे।
साथ ही मास्क पहनकर घंटो तक परीक्षा दे पाना मुश्किल है। मनोज का कहना है कि जब तक हालात सही नहीं हो जाते, परीक्षा को कुछ वक़्त के लिए टाल देना चाहिए।

प्रवेश परीक्षा को लेकर क्या है शिक्षा मंत्री का कहना ?

शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल का कहना है कि परीक्षाओ को कराने का फैसला बहुत दबाव में आकर लिया गया है। उनका कहना है कि ” छात्र और उनके माता-पिता लगातार उन पर नीट और जेईई की परीक्षा को आयोजित कराने पर ज़ोर डाल रहे थे। ”  दबाव में आकर इस तरह फैसला ले लेना यह जानते हुए कि इस वक़्त परीक्षाओ को कराने का मतलब महामारी को और भी बढ़ाना होगा, कहां तक सही है।
शिक्षा मंत्री होने के नाते उनका फ़र्ज़ है कि ऐसे समय में वह कोई ऐसा रास्ता या सुझाव निकाले जिससे की छात्रों और उनके माता-पिता की चिंताओं को शांत कराया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने नकारा परीक्षा स्थगित करने की राय

सुब्रमणियम स्वामी,राहुल गांधी,उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी सहित कई राजनीतिक नेताओ ने केंद्र से परीक्षा को टालने के लिए कहा। इसके बावजूद भी सुप्रीम कोर्ट ने प्रवेश परीक्षाओं को आगे स्थगित करने की याचिका को खारिज कर दिया। न्यायालय का कहना है की जेईई और नीट 2020 की परीक्षाएं तय महीने यानी सितम्बर में ही करवायी जाएंगी।
जेईई और नीट के 85 % उमीदवारो ने अपने प्रवेश पत्र प्राप्त कर लिए है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इससे छात्रों का शैक्षणिक साल बर्बाद नहीं होगा।
शिक्षा मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट के लिए इस वक़्त महामारी और छात्रों की जान से ज़्यादा यह फ़िक्र है कि छात्रों को साल बर्बाद न हो। सवाल तो यह है कि जब छात्र सुरक्षित ही नहीं होंगे तो परीक्षा कैसे देंगे। क्या सरकार परीक्षा के नाम पर आर्थिक समस्याओं से भागने की कोशिश कर रही है। क्या सरकार यह दिखाना चाहती है कि उन्हें युवाओ के भविष्य की कितनी फ़िक्र है।
लेकिन अभी तक सरकार द्वारा लिए गए सभी फैसले बेबुनियाद और सहानुभूति देने वाले ही लग रहे है। समस्या का हल निकालने की जगह , उससे भागने की कोशिश की जा रही है।