खबर लहरिया जासूस या जर्नलिस्ट यहाँ मजदूरों की जान जाने के बाद लगती है बोली

यहाँ मजदूरों की जान जाने के बाद लगती है बोली

आपने बहुत सारी बाजार देखे होंगे, जहां पर बोली लगाई जाती है, जानवर खरीदने की बोली लगाई जाती है तो गेहूं बेचने की बोली लगाई जाती है तो वहीं पर सब्जी बाजार में सब्जी बेचने की बोली लगाई जाती है। पर क्या आपने कभी इंसानों के मर जाने के बाद बोली लगते हुए देखा है।

अगर नही तो पूरा वीडियो देखने के लिए बने रहिए मेरे साथ, जासूस या जर्नालिस्ट पर। दोस्तो मामला महोबा जिला के कबरई थाना क्षेत्र के मकरबई गाँव का है। जहां पर एक मजदूर की पहाड़ में मजदूरी करते समय ऊपर से पत्थर गिरने के कारण दर्दनाक मौत हो गई थी। इसकी सूचना पुलिस को मिली, पुलिस मौके पर पहुँची और शव को कब्जे में लिया। पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजती उसके पहले ही पहाड़ मालिक और पीड़ित परिवार के बीच मे शव की बोली लगनी शुरू हो गई। जिसमें पहाड़ मालिक ने 10 लाख से शुरू किया मामला और जाकर 12 लाख में जाकर निपट गया।
मृतक की माँ ने बताया कि 3 बेटे थे। रोज की तरह उस दिन भी वह काम करने गया था। साढ़े 10 बजे लोगो से पता चला कि ऊपर से पत्थर गिर गया। जब हम मौके पर पहुँचे तब तक पुलिस आ गई थी। मृतक के भाई ने बताया की उसके पास दो छोटी छोटी लड़कियां है। जमीन तो है नही इसलिए मजदूरी का काम सब लोग करते थे।

वही हम सबका भरण पोषण करता था। जब हमें यह घटना की जानकारी हुई तो हम लोग वहां गए, पर पुलिस ने शव को अपने कब्जे में ले लिया था। हमने रिपोर्ट करने की कोशिश की पर हम लोग गरीब है इसलिए हमारी कोई सुनवाई नही होती है। इसलिए राजीनामा करना हमारी मजबूरी है। इस पूरे मामले को लेकर जब हमने गाँव के लोगो से गोपनीय तरीके से बात की तो पता चला कि वह पहाड़ की ऊंचाई में चढ़कर ब्लास्टिंग कर रहा था। कोई भी सेफ़्टी बेल्ट या हेलमेट नही था उसके पास।
पहाड़ की ऊपर से सफाई न होने कारण, बारिस की वजह से चट्टान फिसल कर संतू के ऊपर गिर गई। जिससे उसकी मौके पर दर्दनाक मौत हो गई। लोगो ने यह भी कहा कि यहां पर तो अक्सर ऐसी मौत होती रहती है। जिसमे रुपये लेदेकर आपसी मामला का समझौता करा दिया जाता है। सन्तु की मौत कोई पहला केस नही है। जिसमे राजीनामा हुआ है। अक्सर इन पहाड़ों में मजदूरों की मौत होती है और मामला सब ले देकर रफा दफा कर दिया जाता है। लोगो ने यह भी कहा कि एक साल में एक दर्जन से ज्यादा लोगो की मौत होती है। पर मुकदमा किसी मे नही लिखी जाती है। लोगो ने यह भी कहा कि अगर पहाड़ में किसी की भी मौत होती है, और राजीनामा होता है तो क्षेत्र के इंचार्ज दरोगा से लेकर ऊपर तक मोटी रकम दी जाती है।
यह बात किसी अधिकारी नेता मंत्री से छुपी नही है। सबको पता है कि कबरई पहाड़ मंडी के अलावा भी जो पत्थर मंडी है वहा मजदूरो की अगर मौत होती है तो लाश की बोली लगा कर ही मामला को निपटाया जाता है। इस पूरे मामले को लेकर पुलिस से बात करने की कोशिश की गई तो पुलिस ने कोई जवाब नही दिया। शिवाय ये कहने के की अगर दरखास मिलती है तो उसी आधार पर देखा जाएगा।
अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर ये मौत का खेल कब तक चलता रहेगा। क्या एक मजदूर ब्यक्ति की कीमत इतनी ही होती है मरने के बाद। जिले का प्रसाशन क्यों कोई ठोस कदम नही उठा रहा है, जिससे इन मौत के बाद शव की बोली को बंद किया जा सके। जब मजदूरी करने वालो के लिए सरकार इतनी सारी सुरक्षा और सुविधा दे रही है तो उनको प्रसाशन क्यों लागू नही किया जाता है।
आख़िर इन मौत का जिम्मेदार कौन, पुलिस, प्रशासन, माफ़िया या गरीब मजदूर, जो दो वक्त को रोटी के लिए भटकता है। क्या आने वाले समय मे इन मौत के सिलशला को रोका जाएगा। क्या रूल नियम और सुरक्षा ब्यवस्था को न लागू करने वाले माफियाओं के ऊपर करवाई होगी, या नही।