खबर लहरिया Blog गाज़ियाबाद के पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या से यूपी सरकार सवालों के घेरे में

गाज़ियाबाद के पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या से यूपी सरकार सवालों के घेरे में

Ghaziabad journalist Vikram Joshi killed by UP government
उत्तर प्रदेश में एक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जहाँ एक पत्रकार की फिर से मौत हुई जो उत्तर प्रदेश के कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है। गाज़ियाबाद के एक पत्रकार विक्रम जोशी ने अपनी भांजी के छेड़ खानी की तहरीर पुलिस को दी थी, इस पर कार्यवाही तो नहीं हुई लेकिन आरोपियों द्वारा 20 जुलाई को गोली जरूर मारी गई। इलाज के दौरान 22 जुलाई को उसकी मौत हो गई।

किस कारण हुई पत्रकार की हत्या

मिडिया रिपोर्ट के अनुसार पत्रकार विक्रम जोशी 20 जुलाई को  देर रात अपनी बेटियों के साथ घर वापस आ रहा था। गाज़ियाबाद केमाता कॉलोनी में ही गली से बाहर निकलने पर आठ से नौ लोगों ने उनकी मोटरसाइकिल रोक ली और  उन पर हमला कर दिया था। पत्रकार के साथ मार पीट की और  गोली मार दी थी।  इसके बाद विक्रम को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिंदगी और मौत  से जंग लड़ रहे पत्रकार विक्रम जोशी की 22 जुलाई की सुबह मौत हो गई। पुलिस की लापरवाही से नाराज़ पत्रकार विक्रम जोशी के परिवार औऱ दोस्तों ने आरोपियों के इनकाउंटर की मांग की है ।

सामने आया घटना का एक सीसीटीवी फुटेज

Ghaziabad journalist Vikram Joshi killed by UP government cctv footage
दरअसल, घटना का एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है, जिसमें दिखाई दे रहा है कि पांच-छह बदमाश जोशी को घेरकर मार रहे हैं, तभी एक दूसरा आरोपी आता है और पत्रकार विक्रम जोशी के सिर में बिल्कुल करीब से गोली मार देता है। गोली लगने के बाद पत्रकार जमीन पर गिर जाते हैं और बदमाश भाग जाते हैं। जिसके तुरंत बाद उनकी बेटी पास में आती है और घबराई हुई मदद के लिए चिल्लाती है।

2 मुख्य आरोपी समेत 9 लोग हुए गिरफ्तार

इस मामले में विक्रम के भाई अनिकेत ने तीन आरोपितों को नामजद करते हुए कई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।इस मामले में 21 जुलाई तक पुलिस ने 9 आरोपी गिरफ्तार किए गए थे जिसमे 2  मुख्य आरोपी रवि और छोटू भी शामिल हैं। एक आरोपी फरार है जिसकी तलाश की जा रही है।  वहीं, चौकी इंचार्ज को लापरवाही बरतने पर सस्पेंड भी कर दिया गया।
इस मामले पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने  21 जुलाई को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाते हुए ट्वीट किया  कि अपनी भांजी के साथ छेड़छाड़ का विरोध करने पर पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या कर दी गयी। शोक ग्रस्त परिवार को मेरी सांत्वना। वादा था राम राज का, दे दिया गुंडाराज।’

इससे पहले, कांग्रेस महासचिव और राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार पर निशाना साधा था उन्होंने ट्वीट कर कहा,

गाज़ियाबाद NCR में है। यहां कानून व्यवस्था का ये आलम है तो आप पूरे यूपी में कानून व्यवस्था के हाल का अंदाजा लगा लीजिए एक पत्रकार को इसलिए गोली मार दी गई क्योंकि उन्होंने भांजी के साथ छेड़छाड़ की तहरीर पुलिस में दी थी। इस जंगल राज में कोई भी आमजन खुद को कैसे सुरक्षित महसूस करेगा?


उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा” ग़ाज़ियाबाद के पत्रकार साथी का क्या गुनाह था? क्या अपने परिवार की सुरक्षा के लिए न्याय की गुहार लगाना गुनाह है? मुख्यमंत्री जी ! यह प्रदेश आपसे नहीं संभल रहा। इस्तीफ़ा दीजिए और गोरखपुर लौट जाईये। गोरखपुर आपका इंतज़ार कर रहा है।”


तो वहीँ बसपा सुप्रीमो ने ट्वीट कर कहा कि ‘पूरे यूपी में हत्या और महिला असुरक्षा सहित जिस तरह से हर प्रकार के गंभीर अपराधों की बाढ़ लगातार जरी है उससे स्पष्ट है कि यूपी में कानून का राज नहीं, बल्कि जंगल राज चल रहा है…. ।’ उन्होंने कहा, ‘…. अर्थात यूपी में कोरोना वायरस से ज्यादा अपराधियों का क्राइम वायरस हावी है, जनता त्रस्त है। सरकार इस ओर ध्यान दे।’

सी एम ने 10 लाख मुआवज़े की घोषणा की

हालाकिं सी एम योगी आदित्य नाथ ने पत्रकार के परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का ऐलान किया है। इसी के साथ मृतक की पत्नी को नौकरी और बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का वादा भी किया है।

गेटिंग अवे विद मर्डर’ के अध्ययन के मुताबिक पत्रकारों की हत्या के आकड़े

‘गेटिंग अवे विद मर्डर’ नाम के अध्ययन के मुताबिक, 2014 से 2019 के बीच 40 पत्रकारों की मौत हुई, जिनमें से 21 पत्रकारों की हत्या उनकी पत्रकारिता की वजह से हुई। 2010 से लेकर 2019  तक 30 से अधिक पत्रकारों की मौत के मामले में सिर्फ तीन को दोषी ठहराया गया है।

लोकसभा में पेश राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक 2013 से अब तक देश में पत्रकारों पर सबसे ज्यादा हमले उत्तर प्रदश में हुए है. 2013 से लेकर 2019 तक उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर हमले के 67 केस दर्ज हुए हैं। दूसरे नंबर पर 50 मामलों के साथ मध्य प्रदेश और तीसरे स्थान पर 22 हमलों के साथ बिहार है। इस दौरान पूरे देश में पत्रकारों पर हमले के 190 मामले सामने आए हैं।