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बुन्देलखंड के कई ग्राम पंचायतों के पुरवे रास्ता न होने से कैद - KL Sandbox
खबर लहरिया Blog बुन्देलखंड के कई ग्राम पंचायतों के पुरवे रास्ता न होने से कैद

बुन्देलखंड के कई ग्राम पंचायतों के पुरवे रास्ता न होने से कैद

Many gram panchayats of Bundelkhand imprisoned due to lack of way

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में आज भी हजारों ग्राम पंचायतों पुरवे ऐसे है,जहां के लोग रास्ता न होने के कारण कैद है और खासकर बरसात के महीने में तो 4 महीने पूरी तरह से कैद हो जाते हैं| क्योंकि सुखे में तो किसी तरह खेतों की पगड़डी से निकलते हैं पर बारिश में नहीं निकल पाते|ऐसा ही कुछ हाल हैं बांदा जिले के नरैनी ब्लाक का जहां पर जमवरा ग्राम पंचायत के मजरा क्योटन पुरवा और गुढा़कला ग्राम पंचायत के मैकू पुरवा सहित कई पुरवे रास्ता न होने के कारण पूरी तरह कैद हैं| वहाँ के लोग रास्ते की मांग को लेकर नरैनी तरसील से लेकर जिले के अधिकारियों तक चक्कर लगा चुके हैं, आज तक रास्तों की समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ |

 इस मामले को लेकर लोगों का क्या है कहना

नरैनी ब्लाक के ग्राम पंचायत गुढा़ कला के मजरा मैकू पुरवा के कल्लू,सुखिया और सुंदरलाल का आरोप है कि उनको निकलने के लिए जो रास्ता थी वह रोक दी गई है जिससे वह बहुत ही परेशान है और 10 से 15 किलोमीटर घूमकर वह नरैनी बाजार करने के लिए आते हैं उनका कहना है कि वह सभी केवट बिरादरी के लोग हैं, जो सब्जी भाजी का कछवार कर अपना जीवन यापन करते हैं| उनका लगभग तीन सौ वोटर है पर उनके पुरवा से कुछ दूर तक उनकी जमीन है जहां पर सेक्टर पड़ा हुआ है|
लेकिन आगे निकलने के लिए ग्राम पंचायत के कुछ जमीदारों की जमीन है जहां से पगडंडी पड़ी हुई थी और उसी पगडंडी से वह पीढ़ियों से निकलते आ रहे हैं लेकिन कुछ दिनों से उन्होंने तार वाड़ी लगाकर उस पगडंडी की रास्ता को बंद कर दी है और कहते हैं,तो गाली गलौज करते हैं जिससे उनका निकलने का रास्ता बंद हो गया है और वह पूरी तरह कैद हो गए हैं|

इस समय बारिश का सीजन है नदी में बाढ़ पर चल रही है, तो वह लोग रोजमर्रा के कामों के लिए कहाँ से निकालेंगे| क्योंकि वही पगडंडी ही उनका मेन रास्ता था और कोई दुसरा रास्ता अपनाते हैं, तो बहुत घुमना पडता है या फिर नदी पार करनी पड़ती है| इस लिए बहुत ही दिक्कत हो रही है अगर रात विरात कोई बीमार हो जाये तो इस तरह की स्थिति में वह अस्पताल तक नहीं पहुंचा सकते हैं चाहे वह रास्ते में ही मर जाए |

 कैसे निकलते हैं लोग

ऐसा ही इसी ग्राम पंचायत का और भी एक पुरवा है| जहाँ पर पिछले साल एक महिला ने परिवार कलह के चलते आग लगा ली थी और रास्ता न होने के कारण लोग अस्पताल ले जाने को परेशान थे और इसकी बीच किसी  ने पुलिस को सुचना दी तो 100 नंबर पुलिस वहाँ मौके पर पहुंची और रास्ता न होने के कारण पुलिस ने उसको चारपाई में लेटा कर खुद कंधे पर लेकर अस्पताल पहुंचया लेकिन रास्ता आज भी ज्यो की त्यो है|

रास्ता बीना रुक जाती हैं शादी

इसी तरह जमवरा ग्राम पंचायत के मजरा क्योटन पुरवा का लगभग ढाई सौ वोटर है और एक तरफ केन नदी का किनारा और दूसरी तरफ लोगों के खेत लेकिन उनके भी निकलने का कोई रास्ता नहीं है| वहाँ के रामकिशोर और लल्लू का कहना है की वह लोग भी रास्ता न होने से बहुत परेशान रहते है और यहाँ तक की उनके बच्चों की शादी भी रास्ता न होने के कारण रुक जाती है|
रोजर्मरा के काम तो रुकते ही हैं कई बार उन्होंने रास्ते की मांग को लेकर तहसील से लेकर जिले तक के चक्कर लगाये और सांसद विधायक से कहा लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ लगभग दो किलो मीटर खेतों के मेडो़ से पगडंडी-पगडंडी जाना पड़ता है| जिससे उनके बच्चे पढ़ लिख नहीं पाते और अगर कोई बीमार हो गया या महिलाओ के डिलेवरी होनी होती है |
तो वह अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते चार पांच महिलाओं के तो बच्चे रास्ते में ही हो गये हैं क्योंकि पुरवे से रोड तक दो किलो मीटर है और कुछ बुजुर्ग लोग तो दवा न मिल पाने के कारण खत्म भी हो गये पर यहाँ जमीदारों की जमीन होने के कारण रास्ता नहीं बन पाई वोट मांगने के समय तो नेता मंत्री इस पुरवे के खुब चक्कर लगाते हैं और रास्ता बनवाने का भरोसा देते हैं और उसी भरोसे के साथ वह उनको वोट भी करते हैं पर जितने के बाद पलट कर कोई नहीं देखता,वह कई पीढी़यो से इस पुरवे में रहते है |
सुखे मौसम में तो फिर भी किसी तरह गुजारा कर लेते हैं पर जब शादी विवाह और बडे़ काम काज कुछ होते हैं तो बहुत दिक्कत आती है क्योंकि नसेनी होकर बाजार करके आते हैं तो सिर में सामान रख कर नदी  का भीटा चढ़ना पड़ता है तो चार बार सामान रख कर बैठते है और अगर जमवारा हो कर आते हैं तो गांव से दो किलो मीटर खेतों की पगड़डी से सिर मे सामान रख तक पुरवे तक पहुंचाते है और बारिश के चार महीने तो पुरी तरह कैद हो जाते है कोई भी बड़े काम नहीं कर सकते |
अभी इस समय प्रधानमंत्री आवास आ रहे हैं लोगों के तो सब लोग पूरा निर्माण का मटेरियल सिर में ही ढै कर लाये है| इस तरह की बहुत सी दिक्कत है रोजर्मरा के कामो को लेकर रास्ता न होने से पर क्या करें मजबूर हैं| अब सोचने वाली बात ये है की एक तरफ सरकर ने प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत गांव गांव तक सडक और बिजली पहुंचाने का वाद किया है वहीं अभी भी बांदा जिले में इतने बडे मजरे बिन रास्ता कैद हैं क्या ये सरकार की जिम्मेदारी नहीं है जो उनकी कहीं पर सुनी नहीं जाती और क्या वह इस तरह कैद रहखर ही जिन्दगी गुजरेंगे या कभी  मुख्त होगें|