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क्या स्वतंत्र पत्रकारों की आवाज़ को दबाना चाहती है वर्तमान सरकार? - KL Sandbox
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क्या स्वतंत्र पत्रकारों की आवाज़ को दबाना चाहती है वर्तमान सरकार?

नमस्कार दोस्तों द कविता शो के इस एपीसोड में आपका स्वागत है. दोस्तों इस बार मेरे शो का मुद्दा है सरकार के ऊपर जो पत्रकार सवाल उठाते हैं उनके खिलाफ सीधे सरकार एफाईआर लिखा कर कार्रवाई की धमकी देकर मुंह बंद करवाना चाहती है. इस लाक डाउन और कोरोना की वजह से हुई बंदी ने सरकार की हर तरह से पोल खोली है चाहे प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को देख लीजिए,लोगों का छिना रोजगार हो या फिर गांवों में कैद गरीबों और मजदूरों की भुखमरी हो. इस आवाज़ को दबाने की बहुत कोशिश हुई लेकिन स्वतंत्र पत्रकार और मीडिया ने जमकर लिखा बोला और पोल खोली है. सरकार को मिर्ची लगते ही उसने अपने सत्ता का पूरा दाम,दंड और भेद लगा दिया . कुछ कर तो नहीं सकती लेकिन स्वतंत्र मीडिया का मुंह बंद करवाने का एक ही फंडा अपनाया गया वह है दबाव बना कर रिपोर्टर के ऊपर कार्यवाही का. मैं अभी हाल ही का वाराणसी जिले का ताजा केस सेयर करना चाहती हूं |
समाचार पोर्टल ‘स्क्रोल डॉट इन’ की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा और एडिटर-इन-चीफ के ख़िलाफ़ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) क़ानून 1989 और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस ने केस दर्ज़ किया है. पोर्टल की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा के खिलाफ उत्तर प्रदेश में वाराणसी जिले के रामनगर थाना क्षेत्र में स्थित डोमरी गांव की निवासी माला देवी ने शिकायत दर्ज करवाई है.अपनी शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया है कि सुप्रिया शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में गलत तरीके से बताया है कि कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के कारण आपातकालीन भोजन की व्यवस्था न होने से उनकी स्थिति और खराब हुई है.माला की शिकायत पर 13 जून को को दर्ज एफआईआर में सुप्रिया शर्मा और समाचार पोर्टल के एडिटर-इन-चीफ के खिलाफ आईपीसी की धारा 269 और धारा 501 (मानहानिकारक विषय का प्रकाशन) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की दो धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है |
.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिए वाराणसी के गांव में लोग लॉकडाउन के दौरान भूखे रहे) में सुप्रिया ने डोमरी गांव के लोगों की स्थिति की जानकारी दी थी और गांववालों के हवाले से बताया था कि लॉकडाउन के दौरान किस तरह से उनकी स्थिति और बिगड़ गई है.डोमरी उन गांवों में से एक है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया है.सुप्रिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि सार्वजनिक वितरण प्रणालीके फेल हो जाने से गांव के गरीब लोगों को जरूरी राशन के बिना गुजारा करना पड़ रहा है. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है कि किस तरह से राज्य प्रशासन की ओर जारी राहत खाद्यान्न भी मुश्किल से गांव तक पहुंच पा रहा है.इसी रिपोर्ट के लिए उन्होंने एक दलित घरेलू कामगार माला देवी नाम की महिला से इंटरव्यू किया था खबर निकलने के बाद ये एक्शन लिया गया है
यह सिर्फ एक उदाहरण है बहुत ऐसे केस हुए है मार्च से अब तक में. सरकार ने 50से ज्यादा ऐसे स्वतंत्र पत्रकारों के ऊपर केस दर्ज कर चुकी है .इस तरह से अगर पत्रकारों के साथ में किर्यवाही होगी तो आखिर जमीनी सच्चाई कहां से आ पायेगी ,ऐसी दबती आवाज़ को उढाने के लिए आगे आना होगा, बोलना होगा लिखना होगा ,सरकार धमकी देकर सच्चाई का रास्ता नहीं रोक सकती है ,खबर लहरिया ने भी वाराणसी क्षेत्र से इसलाकडाऊन की सच्चाई का पर्दाफाश किया है ,मोदी के क्षेत्र में क्या सवाल उठाना गुनाह है क्या आखिर सरकार के ऊपर कौन कार्यवाही करेगा. खबर लहरिया ने पिछले 20 सालो से जमीनी रिपोर्टिंग कर रही है. हम जानते है की किस तरह से सत्ता और रिपोर्टिंग के पीछे का खेल होता है . पहली बात तो दबी आवाजे बाहर आ ही नहीं पाती हैं आखिर लाये कौन इन आवाजो को ? उसके पीछे का खेल ये है की पत्रकारिता के श्रत्र में भी तो उच्च जाती और सत्ता पछ ही हाबी होता ऐसी स्थिति में सुप्रिया या हम जैसे मीडिया जब पोल खोलते है तो इसकी चोट उपर से नीचे तक लगती है और तब ऐसी आवाज को दबाने के लिए एक सडयन्त्र रचा जाता है
सिये पर रहने वाले हजारो परिवार की स्टोरी मैने कबरेज करी और करवाई जिसमें दलित आदिवासी मुस्लिम ,गरीब ,महिलाये और बच्चे शामिल हैं उनकी समस्या को आप लिखते हैं पूरी सच्चाई भी सामने आती है लेकिन अगर सत्ता धारी लोगों का दबाव उनके ही गाव और शेत्र से आता है धमकी और पैसे का लालच मिलता है तो ऐसे में लोगो को अपनी आवाज बंद करना या फिर पलट जाना उनकी मजबूरी बन जाती है चाहते हुए भी वो अपनी बात को पलटने के लिए मजबूर होते है क्योकि उनको तो उसी गाँव घर गली में रहना है और ऐसी स्थिति में सत्ता पछ का सीना तन जाता है |
यहाँ पर यह बात तो साफ ही है की बात को कैसे दबाया जाता है ,तो ऐसी रणनीति के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है सुप्रिया के खिलाफ की गई एफआई की निष्पक्ष जाच की मैं अपील करती हूँ