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बाँदा-कानपुर में लापरवाही की हद पार करती स्वास्थ्य व्यवस्था, सुनिए द कविता शो में - KL Sandbox
खबर लहरिया ताजा खबरें बाँदा-कानपुर में लापरवाही की हद पार करती स्वास्थ्य व्यवस्था, सुनिए द कविता शो में

बाँदा-कानपुर में लापरवाही की हद पार करती स्वास्थ्य व्यवस्था, सुनिए द कविता शो में

द कविता शो

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नमस्कार दोस्तों द कविता शो के इस एपीसोड में आपका स्वागत है दोस्तों इस बार मेरे शो का मुद्दा स्वास्थय का स्वास्थय सेवाओं पर तो हमेशा सवाल खड़े होते रहते हैं लेकिन जबसे कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ा तबसे सरकारी अस्पतालों के हालात बद से बद्तर हो गये है लोग बीमार होने पर अगर सरकारी अस्पताल जाते हैं तो उनको कयी तरह की यातनाएं झेलना पड़ता है ग्रामीण स्थर के तो सारे स्वाथ्य केंद्र बंद जिस वजह से ग्रामीणों को भी परेशानी उठानी पड़ती है तो वहीं पर जिला स्तर या फिर बड़े शहरों के अस्पतालों के हाल भी बुरे हैं |

मैं ताजा उदाहरण देना चाहती हूं आपके सामने 16जून को मेरे स्टाफ के फैमली का स्कूटी से एक्सीडेंट हुआ शाम 6बजे जिसमें दो बेटियां और उनके पापा बुरी तरह घायल हो गये उनको लेजाकर बांदा के ट्रामा सेंटर में भर्ती किया डाक्टर तीनों का शिटी स्कैन प्राईवेट क्लीनिक बंजरंगा के यहां लिखा वहां पर 4800रूपये बता शिटीस्कैन कराया गया बाद में परिचय होने पर 2000रूपये लिया रिपोर्ट आने पर असरकारी अस्पताल के डाक्टरों ने कानपुर के लिए रिफर कर दिया कहा की सिर में गहरी चोट हैं और हमारे पास न्यूरोलॉजिस्ट डाक्टर ने नहीं हैं | दोनों बच्चियां वेहोस थी हमने अस्पताल से ही 108नम्बर एंबुलेंस को कयी बार फोन किया लेकिन फोन नहीं लगा हमने डाक्टर से कहां की एम्बूलेंश का नम्बर नहीं लग रहां है |

आप व्यवस्था करवा दीजिए डाक्टर बोले ये हमारी जिम्मेदारी में नहीं आता तब हमने प्राईवेट एम्बुलेंस बुक किया और सीधे कानपुर के ट्रामा सेंटर में एडमिट करवाया कानपुर के सरकारी अस्पताल ट्रामा सेंटर में दूबारा से शिटी स्कैन हुआ और यहां पर एक स्कैन का साथ सौ रूपये लिया स्थित गम्भीर बताई गई दोनों की लगभग 8घंटे इमरजेंसी मैं ठीक से इलाज हुआ फिर हमको प्राईवेट वार्ड पर भेज दिया गया एक लड़की को एडमिट किया और एक लड़की को डिस्चार्ज कर दिया डाक्टर ने यह कहां की बड़ी लड़की ठीक है |

ले जाओ जबकी उसके कान से बराबर खून का रिसाव हो रहा था लड़की चल न पा रही थी हमने उसको भी एडमिट के लिए बोला लेकिन किसी भी हालात में एडमिट नहीं किया गया जिन प्राईवेट वार्ड में हमको डाला गया उस वार्ड में इतनी गंदगी थी की रहना मुस्किल था , बाथरूम इतने गंदे कि आपको देखते ही उल्टी हो जायेगी ,स्टाफ का रवैया बहुत ही खराब था दोनों लड़कियों की हालात बिगड रही थी वार्ड नर्स के पास बुलाने जाते तो चिल्लाती जो बच्ची को डिस्चार्ज कर दिया था |
उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी और उसको नर्स और डाक्टर बाहर निकाल रहे थे ,तब हम घबडाये और हमको गुस्सा भी आया तब हमने अपने शुभ चिंतकों और दोस्तों को बताया हमारे सोसल मीडिया में पोस्ट डाली और और डाक्टरों के उपर दबाओ बनाया तब जाकर अस्पताल के प्रिसंपल आये डाक्टर आये और जनरल वार्ड से इमरजेंसी वार्ड में लाये दूसरी लड़की को भी भर्ती किया और अच्छे से इलाज शुरू हुआ तो दोस्तों यह एक घटना है |
हम जैसे पढ़ें लिखे और पहूंच वाले लोगों के साथ अगर ऐसा रवैया है तो समझिए जो व्यक्ति गांव से है या पढ़ा लिखा नहीं हैं उनके कितने खराब हालत होते होंगे कितने लोग ऐसी खराब व्यवस्था के कारण दम तोड देते होंगे ऐसी टूटी-फूटी व्यवस्था पर क्या सवाल नहीं उठना चाहिए ,आप क्या सोचते हैं इसके बारे में मुझे लिख भेजिए तो दोस्तों कैसा लगा मेरा शो आप जरूर बताइएगा आप मेरे चैनल को लाईक , सब्सक्राइब करें और सेयर करें तो अगले शो में मैं फिर मिलूंगी कुछ करारी बातों के साथ जबतक के लिए नमस्कार