खबर लहरिया Blog 10 लाख लोगों को रोजगार देने का दावा, तो अब तक UP सरकार क्या सोच रही थी?

10 लाख लोगों को रोजगार देने का दावा, तो अब तक UP सरकार क्या सोच रही थी?

10 लाख लोगों को रोजगार देने का दावा, तो अब तक UP सरकार क्या सोच रही थी? हमारा उत्तर प्रदेश सालों से बेरोजगारी मुख्य समस्या रही है वहां अब मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने अगले 6 महीनों के भीतर राज्य के 10 लाख लोगों को रोजगार देने का दावा कर रही रही है. इसके लिए कार्ययोजना भी तैयार कर ली गई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से कहा कि श्रमिकों और कामगारो को रोजगार दिलाने की कोशिशें थमनी नहीं चाहिए, इसपर लगातार कार्य होते रहना चाहिए।

साभार: ट्विटर

दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 10 जून को अनलॉक 0.1 के व्यवस्था की समीक्षा के दौरान निर्देश दिए गए कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में 15 जून 2020 तक ट्रूनैट मशीनों को कार्यशील किया जाए, जिससे कि कम से कम समय में कोरोना टेस्टिंग का रिजल्ट प्राप्त किया जा सके। उन्होंने निर्देश दिया कि कोविड और नॉन कोविड अस्पतालों की व्यवस्था को चुस्त बनाए रखने के लिए चिकित्सा शिक्षामंत्री और स्वास्थ्य मंत्री कार्यों की जानकारी नियमित तौर पर प्राप्त करें।
कोरोना महामारी के दौर में जो प्रवासी वापस आये है उन्हें रोजागार देने का एलान किया है. इसके लिए प्रदेश सरकार ने इंडस्ट्री के साथ समझौते हुए है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार ने स्किल मैपिंग से हर हाथ को काम और हर घर में रोजगार उपलब्ध कराने की कार्रवाई को आगे बढ़ाया है. 11 लाख प्रवासी मजूदरों और श्रमिकों की लिस्ट फिक्किी और इंडिया इंडस्ट्रीज एसोसिएशन जैसे संगठनों से मिली है, जिन्होंने इतनी बड़ी वर्कफोर्स को रोजगार देने का भरोसा दिया है. श्रम शक्ति को सबसे बड़ी ताकत बताते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि इस प्रयास से श्रमिकों को आमदनी का जरिया मिलेगा और जीवन दोबारा से आसान हो पाएगा. जानकारी के अनुसार, दूसरे राज्यों से यूपी लौटे 75 हजार श्रमिकों ने बिल्डर साइट पर काम करने के लिए सहमति दे दी है। पांच हजार श्रमिकों ने काम शुरू कर दिया है, जबकि अन्य भी इसी माह में काम शुरू कर देंगे। इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। नेरेडको का दावा है कि उन्होंने 2.85 लाख श्रमिकों से संपर्क किया था। जिनकी सूची प्रदेश सरकार ने उन्हें उपलब्ध कराई थी।


अगर लोगों को रोजगार मिलता है तो ये काफी सराहनीय कदम होगा। लेकिन सवाल ये उठता है ये काम पहले क्यों नहीं हुआ जब लोग पलायन कर के दूसरे शहरों को काम की तलाश में जाते थे. इस लॉकडाउन में भी कितनों की जाने गई शायद वो बच जाते। या इस बार भी रोजगार के नाम पर सिर्फ बातें हो रही है?