उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र इस समय गर्मी से बेहद बुरी तरह से प्रभावित है। बढ़ते तापमान की वजह से कहीं न कहीं आग लगने के मामले होते ही रहते हैं। पिछले कई दिनों में मशहूर कालिंजर किले और आस–पास के जंगल के क्षेत्र भी आग की चपेट में आ चुके हैं। जिस पर अग्निशामक भी सही समय पर काबू नहीं पा पाए और जंगल जलकर राख हो गए। जंगल में रहने वाले कई जानवरों ने भी आग में अपनी जानें गवां दी।
बुधवार,14 अप्रैल को कालिंजर कस्बे में आग लगने की ताज़ा खबर सामने आयी है। कस्बे में रमेश गुप्ता नाम के व्यापारी की कपड़े दुकान थी। जिसमें बीते रात अचानक से आग लग गयी। जानकारी के अनुसार, जब तक व्यापारी को आग लगने की खबर लगी तब तक आग काफी फ़ैल हो चुकी थी। उस आग में दुकान, उसकी गृहस्थी सब जलकर ख़ाक हो गया है। इतना ही नहीं इस आग में व्यापारी ने अपनी बेटी को भी खो दिया, जिसकी मौत दुकान में लगी आग में जलने से हुई। पुलिस द्वारा शव का पंचनामा भरकर पोस्टमॉर्टेम के लिए भेज दिया गया है।
घटना के बाद से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है। पुलिस और दमकल की गाड़ियां दोनों ही घटनास्थल पर मौजूद है। मिली जानकारी के अनुसार, घटना के समय दो दमकल की गाड़ियां स्थल पर पहुंची थी। फ़िलहाल आग पर काबू पाया जा चुका है।
करंट के चपेट में आने से हुई मौत
स्थानीय लोगों के अनुसार, रमेश गुप्ता कालिंजर कस्बे का सबसे बड़ा व्यापारी है। रात में दुकान बंद करने के बाद रमेश और उसका परिवार अपने कमरे में सो रहे थे। अचानक से बिजली के खंभे से जुड़े तार टूटकर नीचे बिखर गए और देखते ही देखते घर में आग लग गयी। बिजली का खंभा व्यापारी के घर के करीब में था। बिजली का तार गिरने से पूरे घर में करंट की लहर दौड़ गयी। ऐसे में परिवार का बाहर निकलना मुश्किल हो गया। जैसे–तैसे पति और पत्नी बाहर निकलने में कामयाब हो गए। लेकिन उनकी 16 साल की बेटी करंट की चपेट में आ गयी और आग में जलने से उसकी मौत हो गयी।
सब कुछ तो बर्बाद हो गया, बेटी भी नहीं रही – रमेश गुप्ता
जब तक आग को लेकर शोर मचाया गया और दमकल की गाड़ियां आईं तब तक करोड़ों का नुकसान हो चुका है। जिसमें एक ज़िंदगी भी ख़त्म हो चुकी थी। जानकारी के अनुसार, रमेश गुप्ता आग बुझाने और इत्यादि चीज़ों में इतने व्यस्त थे कि उन्होंने देखा ही नहीं की उनकी बेटी कहां है। जब तक पता चला तो उसकी बेटी की मौत हो चुकी थी।
रमेश गुप्ता का कहना है कि वह अब पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है। उसने अपनी बेटी भी खो दी। उसका कारोबार भी चौपट हो गया। अब वह फिर से अपना कारोबार किस तरह से खड़ा करेगा। अपने परिवार का भरन–पोषण कैसे कर पाएगा। यह उसके सामने सबसे बड़ा सवाल है।
लोगों का कहना था कि बांदा नरैनी और कालिंजर की ओर से इकठ्ठा हुई टीम ने आग बुझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन इस दौरान एक पुलिस वाला भी बुरी तरह से आग में झुलस गया।
प्रशासन दे आर्थिक मदद – स्थानीय लोग
फ़िलहाल, प्रशासन और कस्बे के लोग परिवार की मदद में लगे हुए हैं। एक–एक सामान को किसी तरह से निकाला जा रहा है। जो नुकसान हो चुका है, उसकी भरपाई तो नहीं की जा सकती। लेकिन लोगों का कहना है कि आग बिजली की वजह से लगी है। लेकिन जिस तरह से क्षेत्र में दमकल की गाड़ियों की स्थिति है। उसमें सुधार होने की ज़रुरत है। लगातार दो महीने से क्षेत्र में बस आग लगने के ही मामले सामने आ रहे हैं। जब कालिंजर के जंगल में आग लगी थी तब भी दो परिवारों का काफी नुकसान हुआ था। अगर प्रशासन की तरफ से परिवार को कुछ मदद मिल जाएगी तो परिवार को घटना से उभरने में सहायता मिलेगी।
जांच के बाद मिलेगा मुआवज़ा – कालिंजर लेखपाल
इस मामले को लेकर खबर लहरिया द्वारा कालिंजर के लेखपाल राम भवन से बात की गयी। जिसे लेकर उनका कहना था कि वह मौके पर जाकर जांच करेंगे। जितना भी नुकसान हुआ है, उसकी रिपोर्ट बनाई जायेगी। रिपोर्ट को तहसील स्तर पर उच्च अधिकारीयों को दिया जाएगा। आग लगने से जितना भी नुकसान हुआ है। उसी हिसाब से परिवार की मदद की जाएगी और मुआवज़ा दिया जाएगा।
क्षेत्र में लगातार आग लगने के बढ़ते मामले और दमकल गाड़ियों का समय से न पहुँच पाना, कई चीज़ों की तरफ इशारा करता है। पहला यह है कि अगर घटनास्थल पर दमकल की गाड़ियां समय से पहुँचती तो शायद ज़्यादा हुए नुकसान को बचाया जा सकता था। दूसरा यह है कि क्षेत्र में जिस हिसाब से दमकल की गाड़ियों की व्यवस्था होनी चाहिए, वह नहीं लगती। अगर बड़ी आग लगने की घटनाओं के लिए टीम गठित की गयी होती तो आग बुझाने में लंबा समय नहीं लगता। इन सब चीज़ों की तरफ प्रशासन को गौर करने की ज़रुरत है।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए गीता देवी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।