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वैक्सीन है फिर भी पैर पसार रहा है करोना - KL Sandbox
खबर लहरिया Blog वैक्सीन है फिर भी पैर पसार रहा है करोना, बाँदा में भी लगा कर्फ्यू

वैक्सीन है फिर भी पैर पसार रहा है करोना, बाँदा में भी लगा कर्फ्यू

in banda Doing the vaccine is still spreading

बाँदा : यूपी के बांदा जिले में 10 अप्रैल की रात 9 बजे से कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए कर्फ्यू लगना शुरू हो गया है। 11 अप्रैल से 18 अप्रैल तक रात 9:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक संपूर्ण जनपद में  रात्रिकालीन आवागमन तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया गया है।

 रात में ही बांदा के डीएम और एसपी ने फोर्स के साथ शहर मे घूमकर लोगों में जागरुकता फ़ैलाने का काम किया है। पहले तो हमारे पास कोरोना जैसी महामारी से लड़ने का कोई उपाय नहीं था। लेकिन अब कोरोना वैक्सीन आने के बाद भी हालात सुधरे नहीं है। 

कोरोना की वैक्सीन भले ही बन गई है। लेकिन सावधानी ही बचाव है। बीते वर्ष से लेकर अब तक बहुत प्रचारप्रसार हुआ है। शहरियों और मजदूरों ने संक्रमण से उपजी आर्थिक, व्यवाहारिक और मानसिक तकलीफें भी झेलीं हैं। इसके बावजूद भी लगता है कि लोग अब भी नहीं जागे। शहर में जगहजगह सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही हैं और बढ़ते मामले इस बात के गवाह हैं।

in banda Doing the vaccine is still spreading

अगर हम यूपी के बाँदा जिले के बस अड्डे की बात करें तो वहाँ के हालात शहर के किसी भी आलाधिकारी से छिपे नहीं हैं। इतने ज्यादा बढ़ते कोरोना संक्रमण के बाद भी चाहें मुसाफिर हो या फिर बस अड्डा प्रशासन। कोई भी सावधानी बरतने को तैयार नहीं है। बीते वर्ष लॉकडाउन के बाद शुरू हुई बस सेवा में शुरुआती दिनों में तो काफी सख्ती की गई थी। बिना मास्क किसी को भी सवार नहीं होने दिया जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। बसों में मुसाफिर बिना सोशल डिस्टेंसिंग के सफर कर रहे हैं। अगर यही हालात रहें तो कोरोना संक्रमण रोजाना इसी तरह से पैर पसारता रहेगा। 

महेश्वरी देवी बाजार रोड पर खरीदारी करने आए लोगों में सिर्फ इक्कादुक्का लोग ही मास्क लगाए हुए दिखते हैं। अगर उनको छोड़ दें तो ज्यादातर लोग बिना मास्क के ही दिखाई देते हैं। बीते वर्ष में संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन की तकलीफें, ऐसा लगता लोग जैसे बिलकुल भूल ही गए हों। अब तो दुकानदार भी मास्क को लेकर नहीं टोकते हैं। लॉकडाउन के बाद व्यापार पटरी पर आना शुरू हुआ तो दुकानदार सावधानी बरतते थे। लेकिन अब सब बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के दिखाई देते हैं।

अगर बाबूलाल चौराहे की बात करें तो पूरे दिन भीड़ का जमावड़ा लगा रहेता है। शाम के वक्त इतनी भीड़ रहती है कि पैदल चल पाना भी मुश्किल रहता है। जबकि चौराहे के बगल में चौकी बनी हुई है। पर हालात में कोई सुधार नहीं है और मामले दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं। जिससे बीते वर्ष कि स्थिति की तस्वीरें एक बार फिर सामने रही हैं। जहां लोगों को क्यारंटाइन में रखा गया था। स्कूल, कॉलेज, दफ़्तर आदि सब बंद थे। 

लेकिन उस समय सख्ती के दिनों में दुकानें खुली होने के बावजूद भी ऐसे हालात नहीं रहते थे। जैसा की आज देखने को मिल रहा है। इससे साफ पता चल रहा है कि जब तक सख्ती नहीं होगी तब तक कोरोना संक्रमण को लेकर लोग इस तरह से ही लापरवाह बने रहेंगे। इसके लिए भले ही उन्होने तकलीफें झेली हो। लेकिन इस समय मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखकर अब लोग संक्रमण को बढ़ावा दे रहें हैं। 

यही हाल नरैनी चौराहा का भी है। खासकर अगर बात की जाए जिला बांदा के रोड की। यहां पर सब्जी मंडी और बस अड्डा दोनों चीजें है और पूरे दिन भीड़ लगी रहती है। पुलिस भी घूमती रहती है पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिग का किसी को कोई ख्याल नहीं हैं। ये देख कर अब डर लगने लगा है कि कहीं फिर से बीते वर्ष का समना करना पड़े। अब बाहर शहरों में काम ना मिलने के कारण और स्थिति को देखते हुए डर के कारण जो लोग लॉकडाउन के बाद दोबारा  काम के लिए गये थे। वह भी वापस आने लगे हैं। इस लिए सख्ती बरतना बहुत ही जरुरी है। 

रविवार 11 अप्रैल को यूपी में  71,241 कोरोना के नए मामले पाए गए। जो की अब तक सबसे ज़्यादा है। ऐसे में कोरोना नियमों का पालन करना, महामारी को बढ़ावा देना है।