पन्ना जिले में अब महुआ का मौसम आ चुका है। इसके साथ ही लोगों ने पेड़ों से गिरे हुए महुआ को उठाना भी शुरू कर दिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें, अप्रैल के आखिरी महीने तक महुला का फल गिरता रहता है। महुआ जंगल में उगने वाला एक तरह का फूल होता है। ग्रामीण लोगों द्वारा इसे काफ़ी चाव से खाया जाता है। साथ ही लोग इसका इस्तेमाल खाना बनाने में भी करते हैं।
इसके लड्डू भी बनाये जाते हैं। जैसे- महुआ और तिल के लड्डू, चने और महुआ के लड्डू आदि। इस तरह से इसके कई प्रकार से लड्डू बनाये जाते हैं। यह खाने में बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं।
लेकिन आज के समय में लोगों को महुआ पहले की तरह नहीं मिलता। पहले जंगल थे तो महुआ के पेड़ भी बहुत होते थे। अब जंगल खत्म होने के साथ-साथ महुआ के पेड़ भी खत्म हो गए हैं। आये दिन जंगलों में आग लगती रहती है।
गाँव के सुनील का कहना है कि बाज़ार में इसकी कीमत 50 रूपये किलो है। यह एक ऐसा फूल है, जिससे कई प्रकार के स्वादिष्ट भोजन बनाये जा सकते हैं। जैसे गांव में लपशी, ढुभरी, लड्डू, आदि बनाए जाते हैं।