भारत में आज से 45 और इससे अधिक उम्र के लोगों को कोरोना वैक्सीन लगना शुरू हो गयी है, जिसके साथ ही भारत ने कोरोना टीकाकरण के तीसरे चरण में भी प्रवेश कर लिया है। इस समय हमारे देश में चल रहा कोरोना का वक्सीनेशन ड्राइव दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान बन चुका है। अब तक भारत में कोविड-19 से बचाव के लिए 6 करोड़ 40 लाख से भी अधिक लोगों को कोरोना की वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है, जिसमें ज्यादातर फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग शामिल हैं।
भारत में जनवरी 2021 से कोरोना की वैक्सीन का पहला चरण शुरू हुआ था, जिसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशिल्ड और भारत बायोटेक की कोवाक्सिन को मंज़ूरी दी गई थी, लेकिन सरकार ने जल्द ही 7 और नयी वैक्सीन लाने का फैसला किया है, जिनपर अनुसंधान कार्य चल रहा है।
एक दिन में 62 हज़ार से अधिक कोरोना के मामले आए हैं सामने-
वहीँ जहाँ एक तरफ मार्च के आखरी हफ्ते में देशभर के कोरोना केसेस में एक बड़ा उछाल देखा गया, ऐसे में सरकार का नयी और बेहतर वक्सीनें लाने का फैसला भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 28 मार्च को 24 घंटे की अवधि में कोरोना के 62,714 नए मामले सामने आए थे, जो कि 16 अक्टूबर 2020 के बाद से अबतक का सबसे बड़ा उछाल है। ऐसे में ध्यान देने वाली बात यह भी है कि कई ऐसे भी मामले सामने आ रहे हैं जिसमें वो लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने वैक्सीन की दोनों खुराकें ले रखी हैं। महराष्ट्र, केरेला, पंजाब जैसे क्षेत्रों में वापस से रात्रि कर्फ्यू एवं लॉकडाउन जैसे नियम दोबारा से लागू किये जा रहे हैं। इसके साथ ही देश भर के ज़्यादातर स्कूल भी 8वीं कक्षा तक बंद कर दिए गए हैं।
“वैक्सीन की नहीं है कमी” – हर्षवर्धन
सरकार ने जनवरी 2021 में घोषणा की थी कि भारत में जुलाई 2021 तक 30 करोड़ लोगों को कोरोना की वैक्सीन लग जाएगी, लेकिन अबतक ढाई महीने बीत चुके हैं और देश अभी भी अपने लक्ष्य से काफी पीछे है। बता दें कि ऐसा भी माना जा रहा था कि शायद भारत में वैक्सीन की कमी है, जिसके चलते यह कार्य रफ़्तार नहीं पकड़ पा रहा है। लेकिन कल शाम यानी 31 मार्च को स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने वैक्सीन ड्राइव की तैयारी की समीक्षा की और प्रेस को आश्वासन दिया कि “टीकों की कोई कमी नहीं है“, इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि सरकार हर राज्य में वैक्सीन की भरपाई करने की पूरी कोशिश कर रही है, जिससे कोई भी कोरोना वैक्सीन लगवाने से वंचित न रहे। हर्षवर्धन का कहना है कि वैक्सीन की बर्बादी को रोकने के लिए भी ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
वैक्सीन लगने के बावजूद भी फ्रंटलाइन वर्कर्स, हेल्थ वर्कर्स के साथ–साथ 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग अभी भी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं, ऐसे में दोनों ही वैक्सीन कितनी कारगर हैं, यह अभी भी सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है। कई ऐसे भी मामले सामने आए जिसमें वैक्सीन लगने के बाद कई व्यक्ति बीमार पाए गए, जिसके चलते कई लोग कोरोना वैक्सीन की खुराक लेने से कतरा रहे हैं।
पहले युवाओं को कोविड वैक्सीन लगवाने की मांग-
इसके अलावा सोनी राज़दान जैसी कई सेलिब्रिटीज ने ट्विटर पर सरकार से यह भी गुहार की थी कि पहले अभिनेताओं और फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को वैक्सीन लगनी चाहिए जो बाहर काम करने जा रहे हैं, इसके साथ उनका यह भी कहना था कि युवा पीढ़ी ज़्यादा बाहर जा रही है और बिना सोशल डिस्टन्सिंग के घूम रही है, इसलिए ज़रूरी है कि बुज़र्गों से पहले उन्हें कोरोना वैक्सीन की खुराक दी जाए। कई लोगों ने इन ट्वीट्स का समर्थन भी किया था और ऐसा माना जा रहा था कि अप्रैल से वैक्सीन सभी के लिए उपलब्ध करा दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
जहाँ एक तरफ सरकार कोरोना महामारी से देश को मुक्त कराने के लिए हर कोशिश कर रही है, वहीँ कोविड– 19 के केसेस कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। कोरोना की 2 वैक्सीन भी ज़्यादा कारगर नहीं साबित हुई हैं, ऐसे में देश की नज़रें अब आने वाली 7 नयी कोरोना वैक्सीन पर ही टिकी होंगी, और वो सफल होती हैं या नहीं, यह तो समय ही बताएगा।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए फ़ाएज़ा हाशमी द्वारा लिखा गया है।