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सरकार के पास नहीं पर हमारे पास हैं प्रवासी मजदूरों की मौत के आंकड़े | द कविता शो - KL Sandbox
खबर लहरिया कोरोना वायरस सरकार के पास नहीं पर हमारे पास हैं प्रवासी मजदूरों की मौत के आंकड़े | द कविता शो

सरकार के पास नहीं पर हमारे पास हैं प्रवासी मजदूरों की मौत के आंकड़े | द कविता शो

नमस्कार दोस्तों द कविता शो के इस एपीसोड में आपका स्वागत है ।दोस्तों इस बार मैं बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने जा रही हूं आप मेरी इस चर्चा को पूरा सुनिएगा, मैं इस बार के शो में रिया चक्रवती और कगना रानौत पर बात नहीं करूंगी क्योंकि देश की मीडिया को तो यही दो मुद्दे दिखते हैं ।मैं बाद करने जा रही हूँ लाक डाउन के दौरान मरने वाले मजदूरों की जिनके आकडे सरकार के पास तो नहीं हैं लेकिन हमारे पास हैं
4. 14 सितम्बर को लॉकडाउन के बाद संसद का पहला मानसून सत्र शुरू हुआ। लोकसभा में बैठे संसद के सदस्यों प्रवासी मज़दूरों के बारे में सरकार के सामने सवाल रखा। कहा कि तालाबंदी के दौरान मज़दूर देश के अलग-अलग हिस्सों से अपने राज्यों और अपने घरों की तरफ़ लौट रहे थे। जिसके दौरान कई प्रवासी मज़दूरों ने अपनी जान भी गवां दी। सरकार से उन सभी प्रवासी मज़दूरों की जानकारी मांगी, जो अपने घर जीवित नहीं पहुंच पाए और रास्तें में ही उनकी मौत हो गयी।
5-संसद के सवाल पर श्रम और रोज़गार मंत्री, संतोष कुमार गंगवार ने प्रवासी मज़दूरों की हुई मौतों को पूरी तरह से नकार दिया। उनका कहना था कि सरकार के पास ऐसे कोई जानकारी नहीं है। और जब प्रवासी मज़दूरों की हुई मौतों की जानकारी ही नहीं है तो मुआवज़े का सवाल कहां से आता है।
एकतरफ़ जहां लॉकडाउन के दौरान मज़दूर पैदल, नंगे पांव मीलों चलने के लिए मज़बूर थे। न कोई यातायात का साधन था, न ही उनके रहने-खाने की व्यवस्था। उस दौरान न जाने कितने हीं मज़दूरों ने भूख और प्यास से अपनी जान गवां दी। कई जान चले जाने के बाद सरकार अपनी नींद से जागी। प्रवासी मज़दूरों के लिए श्रमिक ट्रेन, निजी बसें और गाड़ियों के इंतज़ाम किए। लेकिन ये सब चीज़े मज़दूरों के लिए देरी से आयीं। आखिर सरकार करना क्या चाहती है कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है ।अरे मैं कहती हूं सरकार के पास लोगों के मरने के आंकड़े नहीं हैं ।लेकिन हमारे पास हैं हमने करी है इसपर रिपोर्टिंग । कोरेटाईन सेंटर में लोगों ने दम तोड़ा हैं लोग भूख से मरे हैं । लोगों ने आर्थिक तंगी के कारण आत्म हत्या की है ।
तकरीबन 1000 मज़दूरों की हुई थी मौत
स्वतन्त्र शोधकर्ताओं के एक ग्रुप ने बताया कि 19 मार्च से 4 जुलाई के बीच लगभग 1000ह्ज्ग मज़दूरों की मौत हुई थी। जिनके मरने की वजह कोरोना महामारी से ज़्यादा लॉकडाउन में बढ़ती समस्याएं थीं। इसकी जानकारी सार्वजनिक हित टेक्नोलॉजिस्ट थीजेश जी. एन , सामाजिक कार्यकर्ता और शोधकर्ता कनिका शर्मा और जिंदल ग्लोबल स्कूल ऑफ़ लॉ के सहायक प्रोफेसर अमन ने एकत्र की थी।
मरने की वजह मरने वालों की संख्या ( 4/7/ 2020 ) तक
भूख और आर्थिक संकट 216
इलाज की कमी 77
सड़क और ट्रेन के हादसें 209
श्रमिक ट्रेन में हुई मौतें 96
आत्महत्या 133
क्वारंटाइन केंद्र में हुई मौतें 49
लॉकडाउन से जुड़े अपराध 18
पुलिस बर्बरता 12
शराब वापसी संबंधित 49
थकावट 48
अवर्गीकृत लोग 65
कुल लोगों की संख्या 971
इसके आलावा 133 लोगों ने महामारी के डर, अकेलापन , कहीं न जाने पाने की वजह से आत्महत्या कर ली थी।
6-तो दोस्तो क्या आपके पास भी कोई सवाल हैं तो हमें लिख ,अगर आपको मेरा ये शो पसंद आया हो तो लाइक करें कमेंट करें और दोस्तों के साथ में सेयर जरूर करें