खबर लहरिया Blog 18 दिनों तक अवकास के बिना चलेगा मानसून सत्र, होगी नए विधेयकों पर चर्चा

18 दिनों तक अवकास के बिना चलेगा मानसून सत्र, होगी नए विधेयकों पर चर्चा


आज से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। यह अगले 18 दिन तक चलेगा। 18 दिवसीय मानसून के दौरान लोकसभा और राज्यसभा बीच में कोई भी अवकास नहीं लेगी। बल्कि बारी-बारी से सत्र को आगे बढ़ाएगी। सरकार ने रविवार को यह बात कही थी कि बढ़ती कोरोनावायरस  बीमारी के कारण सर्वदलीय बैठक नहीं होगी। लोकसभा सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक और राज्यसभा 3 से शाम 7 बजे तक बैठेगी। मतलब हर सत्र चार-चार घंटों का होगा। सत्र की शुरुआत होने के कुछ वक़्त बाद ही, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के प्रति शोक जताते हुए सत्र को एक घटें के लिए स्थगित कर दिया गया। 

सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री ने कही एकजुटता की बात


सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन बॉर्डर सीमा को लेकर एक मज़बूत संदेश दिया। “मुझे उम्मीद है कि संसद और संसद के सभी सदस्य एक साथ मिलकर यह सन्देश देंगे की राष्ट्र हमारे सैनिकों के साथ खड़ा है”, प्रधानमंत्री  ने कहा। आज सुबह बिना प्रश्नकाल के एक प्रस्ताव पारित किया गया। कहा गया कि “यह एक आसाधरण स्थिति है। जब विधानसभाएं एक दिन के लिए भी नहीं बैठ रही हैं , वहीं हम 800-850 सांसद एक साथ बैठक कर रहे हैं। सरकार पर सवाल उठाने के कई तरीके हैं, सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है– संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने लोकसभा में कहा। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया कि सरकार पर सवाल उठाने के लिए शून्यकाल का इस्तेमाल किया जा सकता है। 

नहीं होगा सत्र में प्रश्नकाल का समय 

सभा में प्रश्नकाल की जगह सिर्फ लिखित प्रश्न के ही उत्तर दिए जायेंगे। जिसका विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में कहा कि “आप प्रश्नकाल का सुनहरा समय सिर्फ परिस्थितियों की वजह से टाल नहीं सकते। ऐसे आप लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश कर रहे हैं।” ग्रह मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि  अधिकांश दलों के नेताओं ने 30 मिनट तक प्रश्नकाल और शून्यकाल पर सहमति व्यक्त की है। मैं सदन में बैठे सभी सदस्यों से आग्रह करता हूँ कि आप हमारा साथ दें क्यूंकि सत्र बहुत ही असाधरण स्थिति में आयोजित किया जा रहा है। असल में मैंने सत्र के दौरान प्रश्नकाल हटाकर 30 मिनट के शून्यकाल के लिए इसलिए कहा ,अगर किसे के प्रश्न हो तो वह शून्यकाल में पूछ सकता है। इससे सत्र में भी रुकावट नहीं आएगी।”

पुराने नियमों की जगह यह 11 बिल आएंगे

  1. i) किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020

(ii) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक, 2020 पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता
(iii) होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक
(iv) भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक
(v) आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020
(vi) दि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी (दूसरा) संशोधन विधेयक, 2020
(vii) बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020
(viii) कराधान और अन्य कानून (कुछ प्रावधानों की छूट) विधेयक, 2020
(ix) महामारी रोग (संशोधन) विधेयक, 2020
(x) मंत्रियों के वेतन और भत्ते (संशोधन) विधेयक, 2020
(xi) संसद सदस्यों का वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) विधेयक, 2020
इसके साथ ही श्रम कानून में भविष्य निधि, बीमा, मातृत्व लाभ, औद्योगिक विवाद और ट्रेड यूनियनों और औद्योगिक सुरक्षा कानून शामिल किए गए हैं। 

कांग्रेस व कुछ अन्य पार्टियां कर रही हैं विधेयक का विरोध

कांग्रेस और कुछ अन्य पार्टियां चार विधेयकों का विरोध करने की तैयारी में है।  इसमें कृषि से संबंधित तीन अध्यादेश शामिल है। विधेयक का विरोध करने वालों का कहना है कि विधेयकों को राज्यसभा की चयन समिति को भेजा जाना चाहिए। वहीं सीपीएम का कहना है कि वह लॉकडाउन के दौरान सभी विधेयकों का विरोध करेगी। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी मानसून के पहले सत्र में शामिल नहीं हो पायी हैं। उन्हें अपनी बीमारी की जांच के लिए विदेश जाना पड़ा। 
 
अब देखने की बात यह है कि सत्र के दौरान सरकार रोज़गार, बढ़ती आत्यमहत्या और सकल घरेलू उत्पाद को लेकर चर्चा करती है या नहीं। हाल ही में, घरेलू उत्पाद और रोज़गार में कोरोना महामारी की वजह से बहुत ज़्यादा गिरावट देखने को मिली है। सत्र में आरोपों से हटकर कौन आम लोगों की सामान्य समस्याओं पर बात करेगा, यह जानने वाली बात रहेगी।