विश्व मे तेज़ी से बढ़ती आत्महत्याओं को रोकने के लिए विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाने की शुरुआत की गयी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। जिसे रोकने के लिए इस दिवस को मनाने की शुरूआत की गयी।
क्या है विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस ?
आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस है। जो कि 2003 से हर साल आत्महत्या को रोकने और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए 10 सितंबर को मनाया जाता है। देश में बढ़ती आत्यमहत्यायों को देखते हुए इस साल विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 2020 का विषय ‘वॉकिंग टुगेदर टू प्रिवेंट सुसाइड‘ यानी ‘आत्महत्या की रोकथाम के लिए साथ काम करना ‘ रखा गया है। इसकी शुरुआत आईएएसपी (इंटरनेशनल असोसिएशन ऑफ सुसाइड प्रिवेंशन) द्वारा की गई थी ।
क्या है सर्वेक्षण रिपोर्ट का कहना?
देश मे बढ़ती बेरोज़गारी, आर्थिक समस्याएं और अब कोरोना महामारी, इन सब ने लोगों के जीवन मे परेशानियों का सैलाब खड़ा कर दिया है। मानसिक स्वास्थ्य की अभी के सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत मे 43 प्रतिशत लोग अवसाद से ग्रसित हैं।
GOQii के अनुसार, जो कि एक स्मार्ट–टेक सक्षम निवारक हेल्थकेयर इकोसिस्टम है, जिसने 10,000 से अधिक भारतीयों का सर्वेक्षण किया। यह जानने के लिए की किस तरह से कोरोना महामारी ने लोगों के जीवन जीने के तरीकों को बदल दिया है। लोग नए सामान्य जीवन को किस तरह से अपना रहे हैं। 43 प्रतिशत वह हैं जो अवसाद से बुरी तरह पीड़ित हैं, 26 प्रतिशत लोग अवसाद के पहले चरण पर हैं, 17 प्रतिशत लोग इसका सामना कर रहे हैं।अध्ययन में पाया गया कि आबादी के 59 प्रतिशत लोग कोरोना महामारी में खुशी न मिलने की वजह से दुखी हैं। 7 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो इससे रोज़ ही गुज़रते हैं।
यह है वजह है मानसिक बीमारी की
इस दौर में लंबे–लंबे वक्त बिना पूरी नींद के घण्टों काम करना, स्वास्थ्य की ओर ध्यान न देना, गिरती हुई अर्थव्यवस्था और बढ़ती मंहगाई , साथ में नौकरी खोने का डर । इन सबकी वजह से मानसिक परेशानियों में बढ़ोतरी होती है। ज़्यादा सोचने की वज़ह से व्यक्ति अवसाद महसूस करने लगता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2020 की रिपोर्ट
साल | राज्य | मरने वालों की संख्या | मरने वालों के काम का क्षेत्र |
2019 | कुल मिलाकर राज्य | 1,39,123 | दिहाड़ी मजदूर, कृषि क्षेत्र |
2019 | तमिलनाडु | 5,186 | दिहाड़ी मजदूर, कृषि क्षेत्र |
2019 | महाराष्ट्र | 4,128 | दिहाड़ी मजदूर, कृषि क्षेत्र |
2019 | मध्यप्रदेश | 3,964 | दिहाड़ी मजदूर, कृषि क्षेत्र |
2019 | तेलंगाना | 2,858 | दिहाड़ी मजदूर, कृषि क्षेत्र |
2019 | केरल | 2,809 | दिहाड़ी मजदूर, कृषि क्षेत्र |
बेरोज़गारी की वजह से होने वाली आत्महत्याएं 2019 में 10.1 प्रतिशत हो गयी हैं।
इस तरह से रोकें आत्महत्यायों को
इन आंकड़ों से यह बात साफ़ होती हैं कि आत्महत्यायों के मामले हर साल बढ़ते जा रहे हैं। जिसका मूल कारण बेरोज़गारी और उचित मूल्य या दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उचित पैसों का न होना।
महामारी के दौरान बढ़ती आत्महत्यायों को हम रोक सकते हैं क्योंकि इसमें कुछ ऐसे लोग हैं जो अकेला होने की वजह से दुखी होते हैं। हम उनसे बात कर सकते हैं। उनके साथ मिलकर उनको समस्याओं को सुलझा सकते हैं। उन्हें खुश रखने की कोशिश कर सकते हैं।
लेकिन बेरोज़गारी से होती आत्महत्यायों के लिए सरकार को ही कड़े कदम उठाने की ज़रूरत है। महामारी में लोगो से उनकी नौकरियां छिन गयी हैं। जो की सबसे बड़ा तनाव का कारण है। आखिर महामारी के पांच महीने बीतने के बाद भी सरकार ने रोज़गार के लिए कुछ नही करा। आत्महत्याओं का सिलसिला बस बढ़ते सालों के साथ बढ़ता चला जा रहा है। देश की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ लोगों के घरों की आर्थिक स्थिति भी बस गिर रही है। सरकार द्वारा जल्द ही इसमें सुधार न लाया गया तो देश आर्थिक मंदी भी देख सकता है। अगर ऐसा हुआ तो आत्महत्यायों की संख्या और बढ़ जाएगी और फिर सब संभाल पाना और भी ज़्यादा मुश्किल होगा। सरकार को ज़रूरत है रोज़गार के ज़रिए बढ़ाने की ताकि लोग इसकी वजह से तनाव न महसूस करें।