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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर सबसे जरुरी है कि अपनों से बात करें - KL Sandbox
खबर लहरिया ताजा खबरें विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर सबसे जरुरी है कि अपनों से बात करें

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर सबसे जरुरी है कि अपनों से बात करें

फिल्मी एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या का मामला कई महीनों से अखबारों और चैनलों की सुर्खियों में हैं। मुंबई से लेकर बुंदेलखंड तक पुलिस से लगातार कार्यवाही की मांग की जा रही है। बुंदेलखंड में तो अलग अलग कारणों से हर रोज सुसाइड होते रहते हैं। “ताज़ा उदाहरण बांदा जिले के पपरेन्दा गांव निवासी एक युवक के द्वारा आत्महत्या करने का मामला सामने आया जिसका कारण बताया गया पीएचडी पढाई के लिए पैसा न जुगाड़ पाना” जैसे तमाम केस रोज होते हैं।
कई तो मीडिया की पहुंच से बहुत दूर हैं। उन मामलों में कार्यवाही की इतनी भयानक मांग क्यों नहीं उठाई जाती। हमारे कहने का मतलब|| हर केस में कार्यवाही होना जरूरी है चाहे वह गांव हो या शहर। तो इस विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर पेश हमारी तरफ से एक खास रिपोर्ट |
ये तो सिर्फ कुछ उदाहरण है जीमने लोगों ने अलग अलग कारणों से आत्महत्या की है लेकिन आपको इतना बता दें कि नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार देश में साल 2019 में 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की है लेकिन ये तो पिछले साल की बात है पर इस साल कोरोना और लॉकडाउन की वजह से भी कितनी जाने गई है इसका अंदाजा है आपको ? नहीं न तो मैं आपको बता दूँ कि सुसाइड प्रिवेंशन इंडिया फ़ाउंडेशन ने हाल ही में ‘कोविड19 ब्लूज़’ नामक ऑनलाइन सर्वे किया।
जिसमे चौकाने वाले आकड़े सामने आये है सर्वे के नतीजों के अनुसार कोरोना के बाद से तक़रीबन 65 प्रतिशत लोगों ने ख़ुद को मारने के बारे में सोचा या ऐसे प्रयास किए. साथ ही तक़रीबन 71 प्रतिशत लोगों में कोरोना के बाद मरने की इच्छा बढ़ी हुई पाई गई है|
” मतलब कोरोना से हुई मौत से ज्यादा कोरोना काल में मरने की इक्षा या आत्महत्याएं हुई है. और इसका कारण कोरोना के बाद लोगों में बढ़ती हताशा और रोजगार की चिंता सबसे ऊपरी पायदान पर रहा. यानी आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण मानसिक स्वास्थ्य पर असर की वजह से हुआ है. हम हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मानते है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय एसोसिएशन फॉर आत्महत्या रोकथाम द्वारा आयोजित किया जाता है।
जिसका उद्देश्य इस तथ्य के बारे में लोगों के बीच जागरूकता उत्पन्न करना है कि आत्महत्या को रोका जा सकता है। तो इस बार बहुत जरुरी है की हम अपनों से अपने दोस्तों से बात करें उनकी उनकी चिंता का कारण जाने और जरुरत पड़े तो उन्हें डॉक्टर से मिलने की सलाह भी जरूर दे. तभी इस दिवस का उदेश्य सफल हो पायेगा