साक्षरता दिवस 8 सितंबर को पूरे विश्व मे मनाया जाता है। इसके जरिए लोगों में कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाता है। ताकि समाज और समुदाय का हर एक व्यक्ति साक्षरता की ओर बढ़े और अपने जीवन को बेहतर कर सके।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2020 का विषय
2020 का विषय “साक्षरता शिक्षण और कोविड-19 संकट के बारें में जानना” रखा गया। यह विशेष रूप से शिक्षकों की बदलती भूमिका और बदलती शिक्षाओं के ऊपर रोशनी डालता है। विषय युवा और वयस्कों को जीवनभर साक्षरता सीखने के लिए मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करता है।
2019 का विषय ‘साक्षरता और बहुभाषावाद’ था । हम जानते हैं कि साक्षरता में प्रगति के साथ कई चुनौतियां हैं। यह देशो और देश की आबादी में असमान रूप से बांटी जाती है। ताकि बढ़ती मुश्किलें को खत्म किया जा सके। इसलिए हमें साक्षरता के विकास में अन्य भाषाओं पर भी देना ज़रूरी है।
वहीं 2018 का विषय ‘साक्षरता और कौशल विकास’ रखा गया था। जिसका उद्देश्य लोगों के जीवन और काम को बेहतर बनाना था। इस दिन के ज़रिए रोज़गार, व्यवसाय, आजीविका के लिए अलग-अलग कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। विशेष रूप से तकनीकी और व्यवसायिक कौशल पर।
क्यों मनाया जाता है यह दिन
यह दिन साक्षरता की ओर सबका ध्यान बढ़ाने और सामाजिक और मानव विकास के लिए मनाया जाता है। ताकि लोग अपने अधिकारों के बारे में जान सकें। जैसे जीवित रहने के लिए भोजन ज़रूरी है, वैसे ही सुखी और सफल जीवन जीने के लिए साक्षर होना ज़रूरी है। यह गरीबी, बाल मजदूरी, जनसंख्या वृद्धि को कम करने में मदद करता है। यह कहा जाता है कि साक्षरता एक परिवार को पूर्ण रूप से बढ़ाने की क्षमता रखती है। इसके जरिए लोगो को शिक्षा प्राप्त करने, परिवार, देश और समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को समझने के लिए प्रेरित और बढ़ावा दिया जाता है।
यूनेस्को वैश्विक साक्षरता में सुधार लाने के लिए सरकार और समुदायों आदि के साथ विश्व भर में साक्षरता को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
साक्षरता दिवस का इतिहास
अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का विचार 1965 में तेहरान में आयोजित ‘अशिक्षा की कमी’ सम्मेलन में हुआ था। जिसमें विश्व के सभी शिक्षा मंत्री आए हुए थे।
2020 नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस की सर्वे रिपोर्ट
अभी भी कई युवा और बच्चे इसलिए शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते क्योंकि उनके पास उतना पैसा नहीं होता। वक़्त के साथ शिक्षा प्रणाली और नीतियों में बदलाव तो आया, लेकिन समस्याएं जो पहले थी अभी भी वही हैं।
सवाल यह है कि अभी भी शिक्षा का दर ग्रामीण इलाकों में कम क्यों है? क्यों सब एक समान शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं? इतनी जागरूकता होने के बाद भी सरकार की नीतियों में कहाँ कमी रह रही है ?