खबर लहरिया जवानी दीवानी तकनीकी निगरानी: सुरक्षा कवच या बुरी नज़र?

तकनीकी निगरानी: सुरक्षा कवच या बुरी नज़र?

कोरोना के समय सरकार की तरफ से टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया गया। इसके सहारे से लोग अपनी जॉब और पढ़ाई जारी रख पाए। पर ये सुविधाएं सिर्फ पुरुषों तक ही सीमित रहीं, चाहे वह लड़कियां हों या महिलाएं। जहां लड़कियों की पढ़ाई रुक गई वहीं महिलाएं अपनों से बात नहीं कर पाईं। लड़कियों और महिलाओं को स्मार्ट फोन को लेकर हमेशा शक के घेरे में देखा जाता है |
वह कैसे कर पायेगी पढ़ाई? महिलाएं कैसे हो पाएंगी फोन को लेकर आत्मनिर्भर? साथ ही अगर उनके साथ हिंसा हो तो फोन भी नहीं कर पातीं अपने मां बाप या पुलिस से शिकायत भी नहीं कर पातीं। कोरोना के समय हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है जिसकी रिपोर्टिंग हमने की है। जब बात आती है प्राइवेसी की तो कई बार इस डेटा के दुरुपयोग की संभावना भी होती है।
कई ड्रोन कैमरों में चेहरे की पहचान करने की तकनीकी होती है। चेहरे की पहचान तकनीकी का भंडार और बड़े पैमाने पर रिकार्डिंग और भंडारण, छवियों का विश्लेषण कई तरह के अधिकार छीन सकते हैं क्योंकि ये डेटा सरकार के पास होता है।ठीक है की ड्रोन कैमरा से कोरोना की निगरानी में मदद मिल रही है लेकिन जनता को भी पता होना चाहिए को उनपे ऐसे निगरानी चल रही है