खबर लहरिया Blog बेरोज़गारी , बाढ़ और महामारी नहीं , बहुचर्चा का विषय राममंदिर है

बेरोज़गारी , बाढ़ और महामारी नहीं , बहुचर्चा का विषय राममंदिर है


5 अगस्त 2020 को अयोध्या में रामजन्म भूमि पूजन का कार्यक्रम हो रहा है।   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भूमि पूजन में सम्मलित हो रहे  है। प्रधानमंत्री द्वारा ही 12: 30  भूमि पूजन का शुभ आरंभ किया जाएगा यूपी के  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद भूमिपूजन के सारे कामो को देख रहे है।  भूमि पूजन के पूरे कार्यक्रम में काशी, अयोध्या, दिल्ली, प्रयाग के विद्वानों को बुलाया गया है।  इसे 9 ब्राह्मण पूजा करवाएंगे और 21 ब्राह्मण पूजा के साक्षी बनेंगे। भूमिपूजन के लिए 175 लोगो को बुलाया गया है। इसमें  गृह मंत्री अमित शाह , रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह , पूर्व बीजेपी प्रेसिडेंट लाल कृष्ण आडवाणी, बीजेपी नेता उमा भारती और मुरली मनोहर जोशी के नाम शामिल हैं। अमित शाह के कोरोना पॉजिटिव निकलने के बाद वह कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। 
अयोध्या वासियों ने रामभूमि पूजन की ख़ुशी में पूरी अयोध्या को दीपों से सजा रखा है। पूरी अयोध्या रोशनी से जगमगा रही है।  रामभूमि पूजन का दिन लोगो के लिए दिवाली के त्यौहार से कम नहीं है।
 

कोरोना के समय हो रहा है भूमि पूजन कितना सही


आज पूरा  देश कोविड-19 जैसी महामारी से झूझ रहा है। मंगलवार 5 अगस्त तक पूरे देश में मरने वालों की संख्या 39,795 हो चुकी है।  वहीं 1.9मिलियन लोग इस महामारी से अभी तक संक्रमित हो चुके हैं।  हालत इतनी बुरी है कि सरकार ने बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में फिर से लोकडाउन लगा दिया है। इसी बीच राममंदिर का इतना बड़ा आयोजन भी किया जा रहा है।  जिसमे 100  से भी अधिक लोग रहे है।  ऐसे में सोशल दूरी रख पाना कैसे सम्भव होगा। एक तरफ  रोज़ हज़ारो लोग संक्रमित हो रहे है और कोरोना से मर रहे है।   इसी बीच जब भीड़ इकट्ट्डी करने की ज़रुरत है तो सरकार भूमि पूजन का कार्यक्रम करा रही है। 
 

राम मूर्ति का निर्माण

अयोध्या में भूमि पूजन के साथसाथ भगवान राम की मूर्ति भी बनायी जाएगी। भवन राम की मूर्ति 251 मीटर लम्बी होगी।  मूर्ति बनाने के  लिए अयोध्या के बरहता गांव को खली कराया जा रहा है। यह गांव 500 साल पुराना है।  करीब 1,500 लोग और 350 परिवार इस गांव में रहते है। बरहता गांव के लोग खेती पर ही निर्भर है।  अब अगर उनसे उनकी ज़मीन भी छीन ली गयी , तो वह  जीवनयापन कैसे करेंगे।  4 अगस्त 2020 की क्विंट की रिपोर्ट में गांव का ही एक निवासी कहता है किअयोध्या छोड़ने की बजाय वह मरना पसंद करेंगे“.   लोगो से उनका घर छीना जा रहा है।  उनकी एक मात्र ज़मीन छीनी जा रही है।   रोज़गार छीना जा रहा है।  वहां सरकार द्वारा  भगवान राम की मूर्ति बनाने का कोई मतलब  नहीं बनता। 

राममंदिर और मूर्ति में हो रहे है करोड़ो खर्च पर हॉस्पिटल्स की ज़रूरी चीज़ो की ओर ध्यान नहीं

भूमिपूजन से पहले ही राम मंदिर का मॉडल बनाकर  तैयार कर दिया गया। मंदिर के  निर्माण के लिए प्रधानमंत्री ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अलग से शुरू किया है।  जिसमे लोग मंदिर निर्माण के लिए दान देंगे। मंदिर बनाने में करोड़ो रूपये खर्च होंगे। पर सरकार का मंदिर निर्माण में करोड़ो खर्च होना बेकार नहीं लगता।  एकतरफ जहां कोरोना संक्रमित मरीजों के  लिए हॉस्पिटल्स कम पड़ रहे है।  सरकार हॉस्पिटल्स बनाने की बजाय मंदिर बनवा रही है।  देश में लॉकडाउन के दौरान बड़ेबड़े उद्यम्पतियो , अभिनेताओं और खिलाड़ियों ने पीएम केयर फण्ड में करोड़ो रुपयों का य्ग्दान दिया गया था।  प्रधानमंत्री के अनुसार पीएम केयर फण्ड के  पैसो से हॉस्पिटल्स के लिए वेंटिलेटर्स खरीदे जाएंगे।  लेकिन ज़मीनी तौर परं सभी हॉस्पिटल्स के पास सही मात्रा में वंटीलेटर्स है ही नहीं।  हॉस्पिटल्स में इतनी भीड़ है कि  लोग बाहर लम्बीलम्बी लाइने लगाकर अपने नंबर का इंतेज़ार करते है। 

लगातार बढ़ती बेरोज़गारी

महमारी के दौरान आधी से ज़्यादा कंपनियों, कारखानों और छोटेमोटे सभी कामों को बंद कर दिया गया था। लोकडाउन खुलने बाद  के बहुत सी कंपनियों ने लोगो से उनकी नौकरियां छीन ली। जो लोग पढ़ेलिखें हैं वो और वह जो दिहाड़ी मज़दूर के रूप में काम करते थे सब बेरोज़गार हो गए।  सेंटर फॉर मॉनिटरिंग    इंडियन इकॉनमी के अनुसार 2020 में भारत का बेरोज़गारी दर 27 .1  प्रतिशत हो गया है।  वहीं 120 मिलियन लोग बेरोज़गार हो चुके  हैं। टाइम्स ऑफ़ इंडिया कि 2 अगस्त 2020 की रिपोर्ट कहती है कि सिर्फ हैदराबाद  में ही 33 प्रतिशत , 16 से 20 साल के बच्चे डिप्रेशन जैसी समस्या का सामना कर रहें हैं।

नौकरी होने की वजह  से लोग बेघर हो गए हैं।  घरेलू हिंसा , तनाव लेना , हमेशा डिप्रेशन में रहना , शराब की आदत लगना जैसी चीज़े बढ़ गयी हैं।  अकेले रहने से नौकरी होने की वजह से लोगों के  मन में आत्महत्या जैसे ख़याल आने लगे।  सरकार ने लोगो से नौकरियों के लिए कई वादें तो किए पर अभी तक किसी को भी नौकरी नहीं मिली है। 

महामारी के साथ -2 बाढ़ ने बड़ाई लोगो की समस्या


बिहार और असाम दो ऐसे राज्ये हैं जो इस वक़्त महामारी के  साथसाथ समस्या बाढ़ जैसी समस्या का भी सामना कर रहे है।  बिहार में इस वक़्त कोसी और उसकी सहायक नदियां खतरे के  निशान के ऊपर बह रही हैं।  इससे अभी तक 38 लाख लोगो को नुकसान  पहुंचा है।  बाढ़ से अभी तक बिहार में  11 लोगों की जान चुकी है। साथ ही बिहार के 38 डिस्ट्रिक्ट अभी तक बाढ़ से ग्रस्त हो चुके है। वहीं अगर असाम की बात की जाए तो वहां ब्रह्मपुत्रा  नदी उफान पर है। असाम स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के अनुसार 16 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हो चुके है।  मरने वालो की संख्या 107 हो गयी है। असाम 33  डिस्ट्रिक्ट इस वक़्त बाढ़ से परेशान है। लोगो घरो में पूरी तरह पानी भर चुका है।  कई लोगो के  घर तो बाढ़ में पूरी तरह से डूब ही गए है। पानी भरने की वजह  से लोगो को अपने घरो को छोड़ना पड़ा है। जिनके घर थोड़े ऊँचे है वह अपने घरो की छतों पर रहने के लिए मज़बूर है।  लोगो के घरो मे तो इस वक़्त बस मछलियां और ज़हरीले सांप रह  रहे है। ऐसे में लोग अपने दैनिक काम करने लिए नाव का इस्तेमाल कर रहे है। लोग जान जोखिम में डालकर पानी को पार कार रहे है। फिर भी यह  सरकार द्वारा अभी तक चिंता का विषय नहीं है।

नज़रअंदाज़ किया जा रहा है लोगो की असल ज़रूरतों को

इस वक़्त प्रधानमंत्री अयोध्या रामभूमि पूजन के लिए गए हुए है। वहीं दूसरी तरफ बिहार और असाम राज्य पूरी तरह से बाढ़ से  डूब चुका है। जब की यहां ज़रुरत ही प्रधानमंत्री खुद यहां बाढ़ पीड़ितों से मिलने जाए , पर ऐसा नहीं हुआ। कुछ  मीडिया कर्मियों के लिए तो राममंदिर से ज़्यादा कोई और खबर है ही नही दिखाने को। लोग महामारी, बेरोज़गारी , भूख और बाढ़ जैसी समस्याओ से लड़ रहे हैं, वहां चर्चा का विषय सिर्फ राम मंदिर ही  है। सरकार और नेता भी केवल इसी विषय में सोचने के लिए मसगूल है।  वहीं आपदा और महामारी से लोगो की सुरक्षा के लिए, झूठो वादों के आलावा कुछ नहीं किया गया है। 
 जहां देश बेरोज़गारी और आपदा से लड़ रहा है वहीं सरकार इस वक़्त मंदिर निर्माण के कामो में घुसी हुई है। यह तो इसी और संकेत करता है कि सरकार के लिए कौन सा काम ज़्यादा ज़रूरी है।