जिला ललितपुर, ब्लाक मडावरा गांव पारुल से 5 किलोमीटर की दूरी पर अंदर जंगल में पांडव का अज्ञातवास है वहां पर एक मेला लगता है वह मेला मकर सक्रांति के समय लगता है और मेला 10 दिन बराबर चलता है जहां तक कि अभी भी इस समय काफी लोग जाते आते रहते हैं और वहां बहुत सुंदर जो पांडवों की मूर्तियां हैं लोगों का कहना है कि यह पांडवान की मूर्तियां जादे हम लोग इन को मानते हैं और यहां पर आते हैं हम लोगों को यह सबसे अति सुंदर दर्शन लगते हैं और हम लोग जब यहां पर आते हैं तो प्रिया पकाते हैं भाटिया बनाते हैं हर साल आते हैं हर महीने आते हैं |
हर 6 महीने में आते हैं हर समय हम लोग यहां पर आते रहते हैं कहते हैं कि जब पांचवी पांडवा यहां पर उनका अज्ञातवास है और यहीं पर थे तो इन्हीं को तब से यहां मेला लग रहा है और सभी लोग वहां पर आते हैं जैसे कि जो अभी जो पर्व और त्योहार होते हैं वहां पर एक शराबी होता है जैसे कि जो सोमवती अमावस होती है या मकर सक्रांति होती है भाई दोज होती है या उन पर मां होती है ऐसी स्थिति में काफी संख्या में लोग आते हैं और जब मेला लगता है तब तो और लाखों की संख्या में लोग आते हैं और यहां पर काफी स्थित माना जाता है मकर सक्रांति को जब मेला लगता है और हर जगह लोग बुड़की लेने के लिए जाते हैं |
तो हमारे ललितपुर जिले के सबसे ज्यादा यही पांडवान की लेते हैं और यहां पर आते हैं तब से हमारे जो बूढ़े बुजुर्ग लोग हैं उनका कहना है कि यह है पांडवा का पांच पांडवों का अज्ञातवास है यहां पर और अति सुंदर लगता है वहां पर एक ऐसी धाराएं निकली है जल की कि जो वहां जल का तो पता नहीं होता है यह जल कहां से पाया जाता है और वहां से पत्थरों के नीचे से निकलता है जहां पर ललितपुर जिले के और कई दूर-दूर से किसान भाइयों आते हैं चले जाते हैं उनका कहना है कि जो फसल होती है उसमें कीड़े मकोड़े लगते हैं स्थिति में हम लोग जल डाल देते हैं रोग दूर हो जाता है फसल का और यहीं तक नहीं और भी कहना है कि जैसे कि यहां पर काफी सुंदर लगता है तो इस वजह से सारे इलाके के लोग दूर-दूर से लोग आते हैं और वहां पर दर्शन भी करते हैं इसको लेकर के वहां पर लाखों की संख्या में लोग आते रहते हैं और जब लोग वहां पर जाते हैं तो लोग कहते हैं कि हम तो एक बार नहीं बार-बार यहां पर आएंगे यहां पर बहुत अति सुंदर दर्शन हैं |
क्योंकि ऐसे दर्शन तो हर जगह लोग करते हैं पर इस तरह से लोगों को दर्शन नहीं मिलते हैं सब लोग जब एक बार दिख जाते हैं तो द्वारा से उनका आने का मन करता है वहां के लिए विभाग की तरफ से कोई योग नहीं है ना तो वहां पर पानी की सुविधा है और ना लाइट की सुविधा है और ना जो मंडल है वह भी वह भी नहीं बना है अधूरा पड़ा है इसको लेकर के वहां के पंडित ने कई बार विभाग से डीएम से सभी से मांग की है पर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है उनका कहना है कि जब मकर सक्रांति पर मेला लगता है तो ऐसी स्थिति में पानी को लेकर के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है क्योंकि लोग मेला देखने आते तब भी अपने साथ में पानी लेकर आते हैं और यहां हम लोग एक मोटर रखते हैं |
तो उससे कवर नहीं हो पाता है इसको लेकर के कई बार मांग कर चुके हैं और वही जो पारुल गांव है 5 किलोमीटर दूरी पर वहां भी उमा भारती ने सांसद ने गोद लिया जोपा रोल गांव है वहां पर भी उमा भारती ने यह गांव सांसद गोद लिया था फिर भी वहां पर कोई विकास नहीं हुआ है इसको लेकर के और भी लोग कहते हैं कि हमारे जो जंगल का रास्ता है 5 किलोमीटर की दूरी पर तो गाड़ियां मोटर साइकिलें बगैरा टैक्सी वगैरह ऐसी स्थिति में आती है तो काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है तो यह 5 किलोमीटर की रोड की मांग कर रहे हैं और लाइट की मांग कर रहे हैं पानी की मांग कर रहे हैं पर ऐसी इन तीन चीजों को लेकर के अभी तक वहां पर कोई समाधान नहीं हुआ है और यहां पर जब से यह मेला लग रहा है आर्य विख्यात मेला है फिर भी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है इसको लेकर के वहां के पंडित जी ने और गांववासियों ने बताया है तू देखते हैं आगे क्या होता है |