राजस्थान की राजनीति में हर रोज नए नए ट्विस्ट सामने आ रहे है। जयपुर हाई कोर्ट ने 24 जुलाई को स्पीकर सीपी जोशी के नोटिस पर स्टे लगा दिया. इस नोटिस के जरिए और विधानसभा का सत्र बुलाकर सी एम अशोक गहलोत बागी विधायकों पर दबाव बनाना चाहते थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 27 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी है. साथ ही हाई कोर्ट ने कहा है कि फिलहाल राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनकी टीम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।
क्या है राजस्थान की राजनीति का नया ट्विस्ट
एनडी टीवी की रिपोर्ट के मुताबित हाईकोर्ट के आदेश के बाद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने बहुत ही गुस्से में मीडिया से बात की है और कहा कि हमने 25 जुलाई को राज्यपाल से सत्र बुलाने की मांग की है लेकिन राज्यपाल की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. ऐसा लगता है कि उनके ऊपर कोई दबाव है. गहलोत ने बताया कि मैंने फिर उनसे टेलीफ़ोन पर बात की है कि आपका एक संवैधानिक पद है उसकी गरिमा है..कृपा करके आप फैसला करें। पूरा देश देखेगा। प्रदेश देखेगा कि किस तरह का दबाव पड़ रहा है। किन कारणों से सत्र नहीं बुला रहे हैं। मैं बार-बार कह रहा हूं कि मेरे पास बहुमत है। हमारे कुछ लोगों को बीजेपी के लोगों ने बंधक बनाकर रखा है, वे हमारे साथी हैं। वे रो रहे हैं, हमें फोन कर रहे हैं कि हमें यहां से छुड़ाओ। राजस्थान में प्रदेश की जनता हमारे साथ है. इस समय कोरोना से जिंदगी बचाने की चुनौती है. हमने शानदार मैनेजमेंट किया है. पूरे देश में वाहवाही हो रही है…ऐसे माहौल में सरकार गिराने की साजिश हो रही है.राज्यपाल जी ने शपथ ली है उसी हिसाब से काम करें नहीं तो राजस्थान की जनता आपका राजभवन को घेरने न आ जाए फिर हम कुछ नहीं कर पाएंगे’.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की तरफ से डिप्टी सी एम सचिन पायलट को नोटिस भेजे जाने को लेकर नाराज़गी है। पायलट समर्थकों का कहना है कि डिप्टी सी एम से पूछताछ के लिए स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप का नोटिस स्वीकार्य नहीं है। आरोप है कि अशोक गहलोत समर्थक सचिन पायलट को बदनाम करना चाहता है। हालांकि इस मामले को लेकर सी एम गहलोत ने सफाई दे दी थी। और तब से ये सियासी खेल शुरू हो गया।