बुन्देलखण्ड में डाकुओ के आतंक के नाम से जाना जाता है कई डाकुओ का सफाया हो चुका है लेकिन एक केंबाद एक डाक तैयार ही हो जाता है बबली कोल की मौत के बाद प्रशासन ने कहा था की अब डाकुओ का पूरी तरह से सफाया हो है ,लेकिन सायद यह कहना गलत था 5 सितंबर 2019 को मारे जा चुके कुख्यात डकैत बबली कोल के पिता रामचरण कोल को मारकुंडी पुलिस ने 20 जुलाई को भेड़ा जंगल से गिरफ्तार किया
मुखबिर की सूचना पर पुलिस टीमों ने घेराबंदी की। कुछ देर बाद जैसे ही एक ग्रामीण उधर से जाता दिखा तो पुलिस टीम ने दबिश देकर धर दबोचा। उसके पास से तमंचा 315 बोर व कारतूस बरामद हुआ। पूछताछ में नाम पता रामचरन कोल पुत्र मथुरा कोल निवासी सोसाइटी कोलान मजरा डोडामाफी बताया। तो दोस्तों इस घटना के बाद फिर से डर का माहौल बन गया है पता नहीं कब बुन्देलखण्ड डाकुओ के चंगुल से आजाद होगा दोस्तों अब में आपके सवालों को पढ़ती हूँ और देती हूँ जवाब
2_दोस्तों सावन का महीना चल रहा है चारो तरफ हरियाली है और सावन के गीतों की गूज सुनाई देती है हमारे बुन्देलखण्ड की ओरते भी जमकर सावन में एंज्वाय करती है हरी चूड़ी पहनती है हरी साडी पहनती है मेहदी लगाती है झुला झूलती है और सावन के गीतों को गाती है इस स्टोरी को हमने किया जो आप लोगो का मन लुभा ली कुछ सवाल पढ़ती हूँ .
लवाल _किशन पुराना टाईम पहले की याद आ गया
जवाब _किशन जी आप सही कह रहें हैं की पहले की बचपना याद दिलाती है यह स्टोरी और मन करने लगता है की हम भी ऐसे माहोल में सराबोर हो जाए ,लेकिन आज की डिजिटल दुनिया ने पुराने सुख शीन ली है लेकिन ग्रामीण इलाको में अभी भी हमारे कल्चर ज़िंदा है और हमारी कोशिस रहती है की हम आपको गाँव का सीन दिखाते रहे
3 _एक खबर हमने अपने चेनल में चलाई थी खबर थी की यूपी सरकार ने दुबारा से 13 ,14 और 15 जुलाई को पूर्ण लाक्दाउन कर दिया था इसको लेकर हमने बुन्देलखण्ड की जनता थे जाने की इस लाक्दाउन से उनको क्या फायदा होगा यह खबर आप लोगो को पसंद आई इसको 12 हजार से ज्यादा लोगों ने देखा है और कमेन्ट भी बहुत आये है तो कुछ कमेन्ट को में पढना चाहती हूँ
सवाल _चुन्ना लाल इस लोक डाउन से कोई फायदा नहीं है केवल जनता को परेशान किया जा रहा है गरीब मजदूर को मोदी सरकार में और अन्य सरकार में ऐसा कभी नहीं हुआ?
जवाब_ चुन्ना जी आपका सवाल एकदम सटीक है अब जो बीच बीच में लाक दाऊँ हो रहे है उससे कोइ फायदा नहीं है जो पहला लाक्दाउन हुआ था उसको और बढाया जा सकता था लेकिन लाक्दाउन खोलने के बाद से अब कोरोना से अपना घर बना लिया है हर जिले में हर दिन कोरोना पाज्तीव केस बड़ी संख्या में मिल रहे है और हमारी सरकारों के पास में इससे निपटने के लिए ख़ास इंतजाम नही है
4_दोस्तों एक खबर और हमने कबरेज की. लाक्दाउन के दौरान जो लोग बाहर बड़े शहरों और कम्पनियों में काम करते थे ओ अपने गाँव वापस आ गये है और अब मनरेगा में काम करने को मजबूर हैं इस स्टोरी में के कमेन्ट मैं पढ़ रही हूँ