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क्या नाम बदलने से रंग भेद खत्म होगा, या कम्पनी का मार्केटिंग फंडा - KL Sandbox
खबर लहरिया जवानी दीवानी क्या नाम बदलने से रंग भेद खत्म होगा, या कम्पनी का मार्केटिंग फंडा

क्या नाम बदलने से रंग भेद खत्म होगा, या कम्पनी का मार्केटिंग फंडा

हमारे समाज में रंग भेदभाव हमेशा से रहा है कई जगह देखा गया है रंग की वजह से लड़कियों की शादी में भी रूकावट हुई. ऐसा नहीं ये रंग का भेदभाव सिर्फ लड़कियों के साथ रहा हो लडको के साथ भी होता है लेकिन लड़कियों मे ज्यादा रंग भेदभाव होता है हांलांकि लोग जागरूक हो रहे हैं बदलाव आ रहा इस दौर मे लोगों की सोच बदल रही है लेकिन अभी भी काफी फासला है काले और गोरे रंग में।
इस मुद्दे पर जब लोगो से बात की सबका यही कहना था आज भी चाहे जितना भी समाज जागरूक हुआ हो टैंलेंट के अधार पर लोग मान्यता देते हैं लेकिन फस्ट इम्प्रेशन रंग से पड़ता है जब किसी से मिलते हैं तो सामने वाला हमारे रंग से हमे इज्ज़त देता बाद मे हमारे टैंलेंट के बारे में जानकर भले ही उसकी सोच बदल जाए,लेकिन रंग भेदभाव पूरी तरह से नहीं खत्म हुआ |

फेरनलवली क्रीम के नाम बदलने को लेकर जब दुकानदार से बात करी दुकानदार का कहना था हमें फेरनलवली क्रीम के बारे मे ग्राहकों को समझना नहीं पड़ता आंख बंद करके लोग इस क्रीम पर भरोसा करते 95 पर्सेंट लोग इस क्रीम को लगाते हैं बाकी पांच पर्सेंट मे अन्य क्रीम उसमें भी समझना पड़ता है. इसलिए हमें असान था फेरनलवली बेचना, नाम चेन्ज होने से दिक्कत होती है समझाना पड़ता है|
वही कुछ लोगों का ते भी कहना है ब्यूटी भी जरूरी है लेकिन वो वख्ती है अगर जो पैसा ब्यूटी पर ख़र्च करते हैं वो अपनी पढाई और चीजो मे लगाएंगे। वो हमेशा काम आएगा उसे कोई छीन नहीं सकता तो आजके दौर में टैंलेंट जरूरी है.