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सरकारी धन का बंदरबांट लापरवाही की भेंट चढ़ते पौधे - KL Sandbox
खबर लहरिया क्राइम सरकारी धन का बंदरबांट लापरवाही की भेंट चढ़ते पौधे

सरकारी धन का बंदरबांट लापरवाही की भेंट चढ़ते पौधे

Saplings of negligence of government money
पौधारोपण अभियान को लेकर सरकारी आलम कितना गंभीर है यह सच जानना हो,तो बांदा जिले के सरकारी दफ्तरों सहित जारी और कालिंजर गांव आइए,जहाँ बड़ी संख्या में पौधारोपण किया गया थाजैसा की आप सभी जानते हैं कि सरकार ने इस साल जुलाई के महीने में बांदा जिले में वृक्ष महाकुंभ के तहत 26 लाख 87 हजार 4 सौ 26 पौधे लगाने का लक्ष्य दिया है और ये पौधे 5 जुलाई को सरकारी दफ्तरों सहित कई अलग-अलग गांव में रोपे गये हैं|
इसी तरह पिछले साल 2019 मैं बांदा जनपद में 19 लाख 13 हजार 2 सौ 28पौधे रोपे गए थे| आंकडा पूरा करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ सरकारी दफ्तरों में भी बड़ी संख्या में पौधे लगाए गए थेजिसका शुभारंभ बांदा जिले के पुर्व डीएम हीरालाल ने बैनर लगाकर किया थालेकिन अब उन जगहों पर बहुत ही कम पौधे जीवित बचे हैं|

पुरखों के रोपे पौधे दे रहे खुशहाली

लोगों का मानना है कि, इतना काटो पौधे हमारे जीवन में हर तरह से खुशहाली देते हैं| प्रकृति संवारते हैं और पेड़ पौधे ही हमको हवा,पानी और आय का संसाधन भी देते हैं| जिले में कई लोग इसका उदाहरण हैं जिनके पूर्वज खुशहाली का रास्ता बागवानी के ही जरिए से तय कर गए हैं| लेकिन पौधों को रोपने के बाद छोटे बच्चे की तरह पालना,सींचना पड़ता है और देख-रेख करनी पड़ती है जो सरकारी आलम नहीं कर पाते और यही कारण है कि उनकी लापरवाही के चलते वृक्ष महाकुंभ मुहिम के तहत रोपे गए पौधो मैं सिर्फ सरकारी धन का बंदरबांट होता है और पौधे तैयार नहीं हो पाते

खुद के लगाये पौधे और सरकारी पौधों

Saplings of negligence of government money
बांदा जिले के जसपुरा के रहने वाले 70 वर्षीय राम किशोर बताते हैं कि अभी तक में वह दो सौ से ज्यादा पौधे लगाकर उन्हें वृक्ष  का रुप दे चुके हैं| लगभग 22 सालों से वह  कडी मेहनत और लगन के साथ हर साल लगभग 30 फल दार पौधे जैसे आम,जामुन,महुआ और कटहल के पेड़ लगाते हैं| इस समय उनकी लगभग 21 बीधे में बागवानी है जो पर्यावरण सांवरने,आक्सीजन देने के साथ-साथ आय भी अच्छी दे रही है| जिसका फायदा उनकी अगली पीढी भी उढा रही है| लेकिन पौधों   को लगाने से बडा करके  उन्हें वृक्ष बनाने तक के लिए कडी मेहनत करनी पड़ती है| सिर्फ दिखावे के लिए पौधे लगा कर और फोटो खिंचा कर लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सकता| यही कारण है की वह पेड़ सरकारी रिकार्ड तो बना देते हैं पर जमीनी हकीकत नहीं |

क्या वृक्ष महाकुंभ मनाने भर की जिम्मेदारी है सरकार की

जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार ने वृक्षरोपण महाकुंभ का बडे़ पैमाने पर लक्ष्य दिया है उत्तर प्रदेश की आबादी को देखते हुए और पिछले साल के लगाये गये पेड़ सूख गये हैं| ये अपने आप में कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है क्योंकि जितनी धूमधाम से वृक्षारोपण महाकुंभ मनया जाता है और एक ही दिन में लक्ष्य पूरा करके रिकार्ड बना लिया जाता है| इससे ज्यादा जरुरी है पौधों की सुरक्षा और देख-रेख अगर सरकार कडो़रो रुपये खर्च करके पौधे लगवाती है तो उनकी देख भाल और सुरक्षा की व्यवस्था भी करे जिससे वह पौधे वृक्ष बन सकें और उनकी हरियाली से  पर्यावरण की सुन्दरता बढ सके ऐसे महाकुंभ के तहत पौधो को लगा कर वहावाही लूटने और जनता के बीच देखवा करने का कोई मतलब नहीं है|