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कोरोना की वजह से जॉब जाना, डिप्रेशन, बेरोज़गारी व सरकार की स्कीम - KL Sandbox
खबर लहरिया Blog कोरोना की वजह से जॉब जाना, डिप्रेशन, बेरोज़गारी व सरकार की स्कीम

कोरोना की वजह से जॉब जाना, डिप्रेशन, बेरोज़गारी व सरकार की स्कीम

कोरोना / COVID-19 महामारी , चीन के वुहान शहर से जन्मी व धीरे-2 पूरे विश्वभर में फैल गयी। सभी देशों ने स्वयं को इस महामारी से बचाने के लिए देश में हो रहे सारे कार्यो को बन्द कर दिया अर्थात देशबन्दी कर दी। 23 मार्च 2020 को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा ” जनता कर्फ्यू ” का ऐलान  किया गया।

देश बन्द होने के बाद लोगो की समस्याएं और भी बढ़ गयी , क्योंकि देश बन्द है तो कार्यों के लिए लोगो की भी कम आवश्यकता है। सेन्टर फ़ॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकॉनमी के अनुसार भारत का बेरोज़गारी दर 27.1 प्रतिशत हो गया है जो कि अप्रैल 2020 में 23.5 प्रतिशत था। बेरोज़गारी की वजह से अभी तक 122 मिलियन लोग अपनी नौकरियां खो चुके थे, जिसमें से 91.3 करोड़ लोग छोटे व्यापारी और मज़दूर थें तथा 17.8 मिलियन स्वरोज़गार करने वाले लोग।

मनरेगा में मशीनों द्वारा किया जा रहा है काम

मनरेगा में मशीनों द्वारा किया जा रहा है काम

मज़दूर अपने परिवारों के साथ अपने-२  गांवो की तऱफ पैदल पलायन करने को मज़बूर थे क्योंकि देश में सारे यातायात बन्द कर दिए गए थे , उनके सामने अपने परिवार के जीवन व दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति का साधन अब शहर में नहीं बचा था। अपने गांव लौट कर जीवन शुरू करना उनके लिए आखिरी उम्मीद थी। निकल जाना आसान था लेकिन बेरोज़गारी और पैसों का ना होना, लोगों के लिए सबसे बड़ा संकट का कारण था। कई तो घर पहुँचने से पहले ही मृत्यु तक पहुँच गए और जो बाकी बचे थे उन्हें धीरे-२ भूख मार रही थी।

साईकिल से अपने घर जा रहे मजदूरो

महामारी की वजह से सामाजिक और आर्थिक स्तर पर बहुत बड़ा अंतर देखने को मिला। बेरोज़गारी के साथ-२ परिवार का पालन- पोषण करने की चिंता, महामारी से बचाव की चिंता, दैनिक मज़दूरों के लिए भूख की चिंता , आय कहाँ से अर्जित किया जाए आदि चिंताओं ने डिप्रेशन को जन्म दिया जिसकी वजह से घरेलू- हिंसा, लिंग- आधारित हिंसा, आत्महत्या आदि में भी बढ़ोतरी हुई और मानसिक बीमारियों का विकास हुआ।एक सर्वे के अनुसार 61 प्रतिशत लोग वितिय संकट  व जीवनयापन की समयस्या को लेकर डिप्रेशन में थे। जीवन किस प्रकार जीया जाए? यह सवाल इस महामारी के दौरान हर एक व्यक्ति का था। जो लोग अपने परिवार के साथ थे उनके लिए डिप्रेशन और महामारी से लड़ना कुछ हद तक सरल था परन्तु जो लोग घर व परिवार से दूर थे समस्या उनके लिए ज़्यादा थी।

देश बन्दी के कारण सब अपने-२ घरों में कैद हो गए थे, अकेले व्यक्ति के लिए महामारी का ये दौर सबसे संघर्षपूर्ण था। स्वयं में ही बातों को सोचते रहना, किसी से न कहना आदि चीज़े केवल डिप्रेशन को बढ़ाने का काम रही थी।

राशन वितरण

इस कोरोनावायरस के प्रसार और लॉकडाउन की स्थिति को देखते हुए, सरकार ने विभिन्न पैकेजों की घोषणा की। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि कोई भी व्यक्ति भूख या मूल आवश्यकतओं को लेकर मानसकि रुप से ग्रस्त न हो। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत, सरकार तीन महीनों तक हर महीने 5 किलो गेहूं या चावल और 1 किलो दाल मुफ्त देगी। इसके अलावा, 204 मिलियन महिला जन धन खाता धारकों को अगले तीन महीनों के लिए 500 रुपये प्रति माह देगी।

प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत अप्रैल में 87 मिलियन किसानों तक पहुंचने के लिए प्रधानमंत्री किसान योजना को आगे बढ़ाया गया।

केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मंत्री श्रीमती  निर्मला सीतारमण ने गरीबों को कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में मदद करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की। योजना के अनुसार सफाई कर्मचारी, वार्ड-बॉय, नर्स, आशा कार्यकर्ता, पैरामेडिक्स, तकनीशियन, डॉक्टर और विशेषज्ञ और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता एक विशेष बीमा योजना द्वारा कवर किए जाएंगे। कोई भी स्वास्थ्य पेशेवर, जो कोविद -19 रोगियों का इलाज करते हैं, किसी दुर्घटना से मिलते हैं, तो उन्हें योजना के तहत 50 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दी जाएगी। उपर्युक्त सभी व्यक्तियों को प्रोटीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, अगले तीन महीनों के लिए क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार प्रति परिवार 1 किलो दाल प्रदान किया जाएगा। ये दालें भारत सरकार द्वारा मुफ्त प्रदान की जाएंगी।

साथ ही उज्ज्वला योजना के अनुसार तीन महीनों तक 8 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त में गैस सिलेंडर दिए जाएंगे। साथ ही सरकार ने अपने मासिक वेतन का 24 प्रतिशत तीन महीनों के लिए पीएफ खातों में भुगतान करने और दिव्यांग श्रेणी में लगभग 3 करोड़ वृद्ध -विधवाओं आदि लोगों के लिए सरकार ने तीन महीनों तक आर्थिक रूप से निपटने के लिए प्रतिमाह 1,000 रुपये देने का निश्चय किया।

अगर उत्तर प्रदेश सरकार की बात की जाए तो सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के तहत राज्य में 27.5 लाख श्रमिकों के बैंक खाते में 611 करोड़ रुपये जमा किए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दैनिक ग्रामीणों के साथ बातचीत की और उन्हें संकट के समय उनकी सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों की जानकारी दी। योजना के अनुसार श्रमिको को वित्तीय सहायता के रूप में 30 लाख से अधिक दैनिक वेतन उनके बैंक खातों में 1,000 रुपये स्थानांतरित किए गए। साथ ही  सरकार ने यह भी आदेश दिया कि एक लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक जो दूसरे राज्यों से राज्य वापस आये हैं, उन्हें 14 दिनों के लिए छूट दी जाएगी। “भोजन और उनके लिए अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं अधिकारियों द्वारा की जाएंगी,” साथ ही 1000 करोड़ रुपये का कोरोना केयर फंड बनाएगी जो परीक्षण सुविधाओं को स्थापित करने और वेंटिलेटर, मास्क और सैनिटाइजर खरीदने में मदद करेगा। महामारी का दौर किसी भी देश के लिए संकट है परन्तु साथ लड़ना ही एकमात्र साधन।

 
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