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बाँदा: बदहाल गौशालाएं और दम तोड़ते गौवंश

जिला बांदा| एक तरफ सरकार गौ भक्त बनी हुई है और इसके नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च होता है वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन के चलते भी गौशालाओं की स्थिति बदतर ही दिखी जब सब लोग घरों के अंदर कैद थे मार्केट बंद थी और गौशाला में उनके खाने पीने की व्यवस्था तब भी जानवर गौशाला के अन्दर न हो कर इधर- उधर खेतों, सड़को में भुखे प्यासे भटकते दिख और जो दो-चार जानवर गौशाला में दिखे भी वह बहुत ही बूरी स्थिति में कोई सांसे भर रहा था तो कोई मरा भी पडा़ था ये स्थिति मैने अतर्रा के कान्हा कांजी हाउस में देखी| जहाँ पर नाम और दिखाऊटी के लिए एवन की व्यवस्था है और लगभग बारह लोग जानवरों के देख भाल के लिए मौजूद हैं|

लोगों का कहना है की जहाँ पर गौशाला हैं वह नाम के लिए हैं और जहाँ पर नहीं है वहाँ तो ये बहना है की गौशाला नहीं है गौशाला के लिए बजट चाहे जितना आये लेकिन जानवर भुखे ही भटकते रहे हैं और इस समय तो जब से खेतों की फसल कट गई तब से गौशाला में रखे ही नही जा रहे अन्ना हैं और गौशाला के अन्दर बाहर जैसी सुविधा न मिलने के कारण बहुत से जानवर मर गये हैं| लेकिन जिस तरह से सरकार अन्ना जवान और और गौ माता के नाम पर भी दौरा कर चुकी है है और व्यवस्था करने की बात करें वह कहीं के लिए नजर नहीं आ रही सिर्फ सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है| जबकि इस समय तो यह भी है कि प्रतिभा है ₹30 खाने के लिए आता है और उसके तहत गौशालाओं में काफी चारा भुसा भी है| लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या सुखा भुसा खाने से जानवरों और देख भाल के नाम पर लोगों को गौशाला में रखने से जानवरों का पेट भर गा| जब तक उन्हें हरी घास और बाहर की हवा नहीं मिले गी |
पशु चिकित्सा अधिकारी राजीव धीर ज्यादा जानकारी नहीं जो है वह नगर पंचायत और खाने-पीने की व्यवस्था करता है जो ग्राम पंचायत में गौशालाओं के ब्लॉक स्तर से को जिम्मेदारी दी जाती है खाने पीने की व्यवस्था के लिए और उन्हीं के खातों में बजट आता है जानवरों को चिकित्सा मुहैया कराते हैं और समय-समय पर गौशालाओं में जाकर देखरेख करते रहते हैं |
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए बजट पेश किया. यह बजट कुल 4.79 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें से 247.60 करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्रों में गोवंश के रखरखाव के लिए गोशालाओं के निर्माण के लिए आवंटित किए हैं |