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बढ़ते पेट्रोल डीज़ल के दाम से किसान बेहाल, देखिये राजनीति, रस, राय में - KL Sandbox
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बढ़ते पेट्रोल डीज़ल के दाम से किसान बेहाल, देखिये राजनीति, रस, राय में

बढ़ते पेट्रोल डीज़ल के दाम से किसान बेहाल, देखिये राजनीति, रस, राय में नमस्कार दोस्तों, मैं हूँ मीरा देवी, खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ। मेरे शो राजनीति, रस, राय में आप सबका एक बार फिर से बहुत बहुत स्वागत है। देश में पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। लॉक डाउन से परेशान किसान अब लगातार बढ़ रहे पेट्रोल डीजल के दामों से परेशान है। बढ़ते दामों के कारण खेतों की जोताई बोआई का काम भी नहीं कर पा रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली में तेल उत्पादों के इतिहास में पहली बार डीजल के दाम पैट्रोल से ज्यादा चल रहे हैं।

पेट्रोल कीमतों में बढ़ोत्तरी के कारण उत्तर प्रदेश समेत पूरे बुंदेलखंड के किसान बहुत परेशान हैं। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में बढ़ोत्तरी ने हर वर्ग को बेहाल कर दिया। खासकर किसान की कमर तोड़कर रख दी। ऐसे में किसानों को फसलों की सिंचाई करने और फसल बाजार तक ले जाने में लागत भी नहीं मिल रही हैं। जून में 19 दिन में डीजल के दाम लगातार बढ़े हैं। पेट्रोल के दाम एक दिन छोड़कर 18 दिन बढ़े हैं।
मेरठ में गुरुवार को पेट्रोल 80,34 रुपये और डीजल 71.78 रुपये प्रति लीटर हो गया जबकि दिल्ली में सारे रेकार्ड टूट गए। भारतीय किसान यूनियन बांदा के मण्डल अध्यक्ष बैजनाथ अवस्थी ने का कहा कि लॉकडाउन से पहले किसानों की आय घट गई है। अब डीजल के दाम बढ़ने से किसानों की कमर टूट गई हैं। फसलों की लागत बढ़ गई है।
धान, गन्ने, अन्य फसलों की सिंचाई करना, ट्रेक्टर, पंप सेट, इंजन आदि चलाने का खर्चा बढ़ा है। डीजल के रेट बढ़ाकर फसलो के रेट भी छीन लिया गया है। लागत का डेढ़ गुना किसानों को फायदा देने का दावा तो दूर फसलों की लागत का वास्तविक मूल्य निकलना भी मुश्किल होगा। गेहू, चना, मसूर के रेट भी सरकारी नहीं मिल पाए।
सरकार को कृषि कार्यों में प्रयोग होने वाले डीजल के दाम 50 रुपये लीटर करने चाहिए, वरना किसान आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा। इस मुद्दे पर हमने पहले भी रिपोर्टिंग की है। हमारी रिपोर्टिंग से यह निकल कर आया कि जब भी डीजल पेट्रोल के दाम बढ़ते हैं तो सीधा इसका असर आम लोगों और किसानों पर पड़ता है।
सरकार इन दामों में काबू क्यों नहीं कर पा रही? बुआई जुताई के समय बढ़ते डीजल की मांग को ताक में रखकर सरकार ने दाम बढ़ाकर किसानों को परेशानी में क्यों डाल दिया? इन्हीं सवालों और विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा। अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ। तब तके के लिए नमस्कार