जिला चित्रकूट ब्लाक मऊ गांव सुरौधा यहा खाली टाइम मे महिलाएँ कासा के डलिया बनाती है कासा और रद्दी पन्नी और बोरी के धागा के डलिया जैसे इस समय लाकडाउन चल रहा है काम धाम बन्द है |
इस कारण से डलिया खरिदने का पैसा नही है ये ज्यादा अच्छी होती है सादी विवाह मे डालिया ज्यादा काम लगता है इस समय पूरा गांव के महिलाएं बनाती है रोटी आनाज रख ज्यादा ठीक रहता है जैसे पन्नी कबाढ मे फेक देते है इसी तरह बोरी भी फेक देते है सब हम लोग रखे जाती हूं फिर खाली टाइम मे थोडी थोडी बनाती हूं तीन दिन मे एक डलिया तैयार हो जाती है |
जैसे लाकडाउन मे डलिया खरिदने के लिए पैसा नही है तो अपने से डलिया बना लेती हूं जब मै ससुराल आई हून तब यही सीखी हूं पूराने लोग बहुत बनाते रहे है ठंडी के सीजन मे खेत से कासा काट लेते है इसके बाद गर्मी मे ही बनाते है कुछ लोग बना के बेच लेते है हम लोग तो घर यूज के लिए डलिया बनाते है एक साल हमारे रिस्तेदारी मे सादी थी फिर मै दस डालिया बना के भेजी थी|
उसी से पूढी परोसते रहे है जैसे इस डलिया सीधा पीसन रख देते है इस डलिया मे कुछ बाहर गिरता नही है हाथ दर्द होने लगता सूई गोफते गोफते इस कारण से थोडा थोडा रोज बनाती हूं इसके बाद घर के काम निपटाते है