खबर लहरिया Blog महंगी हुई किसानी तो बिगड़ने लगा घर का बजट

महंगी हुई किसानी तो बिगड़ने लगा घर का बजट

उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड में बे मौसम बारिश और लॉकडाउन की मार झेल रहे किसानों की डीजल के दाम बढ़ने से मुश्किलें और भी बढ़ ने लगी हैं, जिससे किसान बिलबिला रहा है और इन बढे़ दामों को लेकर जगह-जगह पार्टी धरना प्रदर्शन भी कर रही हैं, जैसे की बांदा के अशोक लाट तिराहे में कांग्रेस पार्टी ने किसानें के समर्थन में आकर बढे़ हुई डीजल पेट्रोल के दाम वापस लेने को लेकर 29 जून को विरोध प्रदर्शन किया और इसके पहले महेश्वरी देवी मन्दिर के पास भी किया था|

अतर्रा ग्रामीण किसान हरीओम और नरैनी किसान महेश्वरी दीक्षित का कहना है कि सरकार ने राहत पैकेज में उनको कुछ नहीं दिया| यहाँ तक कि उनकी फसलों का वाजिब मूल्य तक नहीं मिल रहा है| इस समय खेतों की जोताई बोवाई का समय नजदीक है और धान की बोवाई और रोपाई का सीजन जोरों पर चल रहा है|
आज-कल टेक्नोलॉजी और मशीनरी करण के चलते सब लोग टैक्टर से खेती करते है, तो इस समय जोताई ,बोवाई और रोपाई के लिए डीजल कि ही अधिकतर जरुरत होती है, तो इस समय जहाँ पर किसानों को राहत की जरुरत है, वहाँ पर पेट्रोट-डीजल के दाम दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं| इस तरह लगातार डीजल के दाम बढ़ने से उनको किसानी करना बहुत ही मुश्किल पड़ रहा है और उनके ऊपर अधिक बोझ हो रहा है|
जहाँ एक तरफ किसानों कि आय उत्पादन और लागत पर निर्भर करती है,वहीं दूसरी तरफ खेती की जुताई, बोवाई और सिंचाई डीजल पर निर्भर करती है| पहले तो बिजली के दाम बढ़ने से ही ये लागत किसानों के लिए बढी़ हुई थी और वह परेशान रहते थे| लेकिन अब बची-कुची हुई कसर डीजल के दाम बढ़ने से पूरी हो रही है| जहां एक तरफ ये सरकार किसानों की आय को दोगुनी करने का नारा लगाती और  ढिढो़रा पीटती है,वहीं किसान लगातार बढ़ रहे डीजल और महंगाई के दामों से परेशान हो रहा है और उनको इस साल की किसानी बहुत ही महंगी पड़ रही हैं|

किसानों का ये भी कहना है कि पिछले दस दिनों से बढ़ रहे डीजल और  पेट्रोल के दामों का सीधा असर किसानों के साथ-साथ आम जनता पर भी पडा़ है| एक ओर जहां किसानी की लागत बढ़ना शुरु हुई है, तो वहीं दूसरी ओर घरेलू सामानों के दाम भी बढ़ने लगे है और इतना ही नहीं क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट भी महंगाई की ओर बढता जा रहा है|
पिछले कुछ दिनों में डीजल और पेट्रोल के साथ-साथ  सरसो तेल और खाद्य समाग्री भी 20 से 30 फीसदी बढ़ गई है| जिसका असर गरीब जनता पर पडा़ है| क्योंकि लॉकडाउन में जहां पर बडी़ संख्या में लोगों के हाथ से रोजगार छिन गया था और वह कारोबार अभी अपनी राह पर पूरी तरह से नहीं आ पाया और इस स्थिति में शहरों से आये बहुत से लोगों ने किसानी को ही अपनी आय का संसाधन बनाने के लिए ठाना था|
मगर पिछले दस दिनों में जिस तरह से खाद्य समाग्री और डीजल पेट्रोल के दाम बढे़ है और इन दामों के साथ किराया बढा़ है| उससे बाहर से आने- जाने वाला सामान भी महंगा हो गया है और खेतों कि जुताई जहाँ पहले 6 सौ रुपए प्रतिघंटे लगती थी, वहीं अब ट्रैक्टर मालिकों ने आठ सौ रुप से एक हजार रुपये प्रतिघंटे के हिसाब से निर्धारित कर दी है| इस समय खरीफ की फसल का सीजन है| अरहर,मुंग तिल और धान की बोवाई की जाती है| अगर धान की ही बोवाई का मानक माना जाए तो  बुआई के बाद करीब तीन बार जुताई करानी पडती है|
जिसमें प्रति हेक्टेयर के हिसाब से एक बार में ढाई घंटे जुताई में लगते हैं| इस तरह की महंगाई में तीन बार की जुताई से किसानों की कमर टूट जाएगी और अगर बारिश न हुई तो इंजन से सिंचाई का खर्च और भी बढ़ जाएगा| इससे गरीब किसान और आम जनता कैसे बर्दास्त कर पाएगी|
इस लिए वह चाहते है कि बढ़ रही इस महंगाई और डीजल पेट्रोल के दामों को वापस लिया जाए| अगर ऐसा नहीं होता तो पर्टियों के साथ-साथ किसान भी धरना प्रदर्शन में उतरेंगे| क्योंकि बुन्देलखण्ड का किसान वैसे भी आपदाओं के चलते कर्ज के बोझ तले दबता चला जा रहा है और भुखमरी से परेशान हो कर मौत को गले लगा रहा है और जो बची कुची कसर है वह इस महंगाई की मार निकाले डाल रही है, तो क्या इसी तरह में वह अपनी आया दोगुनी कर पाएंगे|