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किसी ने महीने की सैलरी दान की तो कोई जनसहयोग से भर रहा भूखों का पेट - KL Sandbox
खबर लहरिया कोरोना वायरस किसी ने महीने की सैलरी दान की तो कोई जनसहयोग से भर रहा भूखों का पेट

किसी ने महीने की सैलरी दान की तो कोई जनसहयोग से भर रहा भूखों का पेट

जिला वाराणसी में जिस तरह कोरोना वायरस महामारी बिमारी ने लगा तार बडने लगा उसको देखते ही पुरे देश में 22 माच को कफ्यू था और उसके बाद से लाकडाउन होगया और इस समय लाकडाउन में मजदूर गरीब ठेला पटरी आटो लोगों ने भूखे सोने के कगार पर आगये थे इसी बिच हमारे देश के प्रवासी मजदूर भी जो बाहर गये थे भूख मिटाने के लिए लेकिन इस कोरोना वायरस महामारी बिमारी ने उन मजदूरों को भूखे प्यासे पैदल आने के मदबूर होगये थे और इस इसथीथी में पैदल ही चर दिये ।लेकिन उनकी भूखे सोने को देख हमारे लोक चेतना संस्था के लोगों ने अपनी कदम को आगे बडाये ताकि हमारे देश कि जनता भूखे न सोये।
यहा के नन्दलाल लोक चेतना संस्था के लोगों का कहना है कि इस समय तो मजदूर गरीब बच्चे और झोपड़ी पट्टी में रहने वाले कि आज भूखे सोने को मजबूर थे और हम लोगो ने उन तक डेली खाना के पैकेट और राहत सामाग्री बितर करते थे लगभग हजारों लोगों तक पहुंचाते थे और बस से आने वाले दहाडी मजदूर को देख के अपनी आखे रोपडती थी बिना खाना पानी के पैदल आते थे हर रोज खान पानी बांटते थे |
जिस तरह सरकार तो सुरूआत में नाकाम रही लेकिन जिस तरह लोग अपनी तरफ से सरकार ने कोरोना वायरस को लेकर अयलान किया कि घर पर लोग दिप जलाये थाली ताली बजाये और पुरी जनता ने यह किया अगर हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी यह अयलान किया होता तो कि जिस लोगो ने मदद करना चाहते हैं वह लोग बस और साधन से दहाडी मजदुरो को घर तक पहुचाये तो भी जनता करती लेकिन अयसा नहीं किया आज हमारे देश के लोगों ने अपनी तरफ से हर गरीब मजदूर झोपड पट्टी मे रहने वाले लोगों की मदद न किया होता तो उनको भूख से तणप कर मर जाते इस समय तो सरकार ने जो राहत किया है लेकिन उन मजदूरों को आज भी ओही परेशानी है उनके लिये नहीं राशन कार्ड है नहीं जाब काड न कोई काम है उनकी अथ बेवसथा तो आज भी वही है |
जो विधवा पेशन नहीं है राशन कार्ड जाब काड ठेला पटरी लगाने के लिए पैसा नहीं उनके लिए आज भी बहुत खराब है रजू का कहना है कि कि जब हम लोगो ने उन गाँव में देखा कि काम बन्द है लोगों के घर में एक समय खाना बनता था तो एक समय भूखे सोते थे तो हम लोगो ने कई लोग से मदद के लिए कहा और उन तक हर रोज एक हप्ता के राशन बांटते थे बहुत लोगों के पास तो राशन कार्ड भी नहीं था और नहीं जाब काड नही जीरो बैलेंस का खाता और नही गैस कनेक्शन जो लोगो के यह सब नहीं था हम लोगों ने जिने के लिए राशन वितरण करते थे ताकि भूखे ना सोये |
हम लोगों को गाँव में लोग कहते थे कि बिमारी होगा तो विरतण के साथ साथ जागरुकता भी करते थे मास्क भी बांटते थे लेकिन हमारी सरकार कही ना कही ना काम रही हम पता है कि हमारे देश में रोजगार नहीं है तो इस लाकडाउन कैसे रहेंगे जिनके पास नहीं है कोई सुविधा |