बुन्देलखण्ड में किसानों के सिंचाई का मेन साधन नहरे मानी जाती हैं| इन नहरों में जगह जगह झाल, पटरी टुटी और गंदगी होने से किसान ठीक से सिंचाई नहीं कर पाता था ये कबरेज हमने खबर लहरिया पर जनवरी 2020 के लास्ट में बांदा जिले का सबसे पिछड़ा कहे जाने वाले क्षेत्र नरैनी से की थी| खबर पब्लिश होने के बाद असर तो हुआ और नहर में खुदाई भी हुई ,लेकिन किसानों के हिसाब से अभी भी पुरी तरह नहरों की सफाई और खुदाई करके झाल और पटरी ठीक नहीं की गई सिर्फ दिखावा हुआ है|
जिसके कारण किसानों को अभी भी दिक्कतों का सामना करना पडेगा| बांदा जिले के नरैनी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली बांदा ब्रच की बड़ी नहर की अभी भी पटरियां,झालें जगह-जगह टुटी हैं और गन्दगी से भरी हैं|
किसानों का कहना है कि पटरियां टुटी होने और गन्दगी के कारण जब नहर आती है तो खेतों में पानी भर जाता है जिससे फसलें सड जाती हैं और सिंचाई के लिए परयात पानी नहीं मिल पाता| ये खबर जब खबर लहरिया में निकली तो कुछ ही दिन बाद सफाई और खुदाई का काम शुरु हो गया कुछ दिन किम होने के बाद लॉकडाउन हो गया तो काम बंद हो गया|
जिससे पुरी तहर नहर की सफाई और पटरी ठीक नहीं हुई है और किसानो को फिर उसी दिक्कत का समना करना पडेगा| जबकि सरकार हर साल नहरों की सफाई के लिए लाखों रुपए खर्च करती है पर सिंचाई विभाग की उदासीनता के चलते काम ठीक से नहीं होता और पैसे का बंदरबांट कर किसानों को गुमराह कर दिया जाता है| जबकि वह लोग सींच बांकी बराबर भरते हैं|