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बांदा एस्मा एक्ट: हड़ताल और आन्दोलन पर लगा पूर्णविराम - KL Sandbox
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एस्मा एक्ट: हड़ताल और आन्दोलन पर लगा पूर्णविराम

एस्मा एक्ट: हड़ताल और आन्दोलन पर लगा पूर्णविराम :बांदा: हड़ताल और आंदोलन करने वाले कर्मचारी अब अगर आंदोलन करते पाए गए तो बिना वारंट के गिरफ्तार कर लिया जाएगा क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने 22 मई से अगले छह महीने तक के लिए एस्मा एक्ट लगा दी है। आंदोलनकारी इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन सामने आने में नौकरी जाने का डर सता रहा है। आइये जाने मेरी इस इन्सक्लूसिव रिपोर्ट से

साभार: पिक्साबे

बिना नाम और विभाग छापने की शर्त पर बहुत कर्मचारियों ने खुलकर बोला कि सरकार ने लॉकडाउन का फायदा उठाते हुए एस्मा एक्ट लगाई है। एस्मा ऐक्ट लगाने की तलाश सरकारी महकमे द्वारा हमेशा रहती है। इस तरह में वह लोग अपनी मांगों को लेकर चुप बैठ जायेगें। अपने हक़ की एक बात भी नहीं कर पाएंगे। इस समय कर्मचारियों के वेतन और भत्ते बढ़ाने की बात चलती है क्योंकि अप्रैल से नया साल लागू होता है और सरकार इस मौके का फायदा उठाई और लगा दिया एस्मा एक्ट। वेतन भत्ते की तो कोई उम्मीद ही नहीं है ऊपर से लगातार काम भी करना होगा। छुट्टी भी नहीं ले सकते।

कई कर्मचारी सरकार पर सवाल उठाते हुए बोले कि कोरोना महामारी की गंभीर स्थिति के चलते सब चिंतक हैं सब काम पर हैं पर सरकार को अपने तंत्र पर भरोसा क्यों नहीं? क्या कर्मचारी इस घड़ी में काम नहीं करेंगे? क्या कर्मचारी जिम्मेदार नहीं हैं? इस समय हर सम्भव मदद कर्मचारियों ने ही की है। सरकार है कि कर्मचारियों पर भरोसा नहीं करती। ऊपर से एस्मा जैसे एक्ट लगाकर धमकाती भी है।

एस्मा के रूप में सरकार के पास एक ऐसा हथियार है जिससे वह जब चाहे कर्मचारियों के आंदोलन को कुचल सकती है, विशेषकर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है और बिना वारंट के कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है। एस्मा लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है तो यह अवैध एवं दंडनीय माना जाता है।

क्या है एस्मा एक्ट

एस्मा एक केंद्रीय कानून है जिसे 1968 में लागू किया गया था लेकिन राज्य सरकारें इस कानून को लागू करने के लिये स्वतंत्र हैं।
सरकारें एस्मा एक्ट लगाने का फैसला इसलिए करती हैं क्योंकि हड़ताल की वजह से लोगों के लिए आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है। जबकि आवश्‍यक सेवा अनुरक्षण कानून यानी एस्मा एक्ट वह कानून है, जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिये लागू किया जाता है। इसके तहत जिस सेवा पर एस्मा लगाया जाता है, उससे संबंधित कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते, अन्यथा हड़तालियों को छह माह तक की कैद या ढाई सौ रुपये दंड अथवा दोनों हो सकते हैं।

 
-मीरा देवी, ब्यूरो चीफ