उत्तर प्रदेश “बालू के ओवरलोड ट्रक जब गाँव से निकलने तो लोगों के सामने खड़ी हुई समस्या:
बांदा जिला| जहां एक तरफ अभी कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन की स्थिति अभी खत्म नहीं हुई| वहीं दूसरी तरप तिंदवारी ब्लाक के ग्राम जौहरपुर में अवैध रूप से बालू के भरे ओवरलोड ट्रक बस्ती के अंदर से धड़ल्ले के साथ निकल रहे हैं| इस मामले में पुलिस प्रशासन कोई कार्यवाही करता नजर नहीं आ रहा है या फिर करना ही नहीं चाहते हैं| जबकि अगर देखा जाए तो पुलिस प्रशासन हर जगह सख्त नजर है,तो यहां पर क्यूँ नहीं है| जबकि ओवरलोड ट्रक बस्ती के अंदर से जाने में लोग आए दिन दुर्घटना का शिकार हो रहा है, फिर भी इस मामले में पुलिस कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है|
इस मामले में गांव के लोग बोलने से डरते हुए बोले की बस्ती के अंदर से ओवरलोड ट्रक निकलने से उनको कई तरह के खतरे है़ जैसे की रास्ता खराब होती है तो दिक्कत का समना करना पडता है गढ्डे हो जाते है तो पानी का भराव हो जाता है और बच्चे भी बाहर खेलते हैं तो उनका डर बना रहता है| पर ठेकेदारों द्वारा उन लोगों को धमकी दी जा रही हैं| इस लिए वह लोग आवाज नहीं उठा पा रहे हैं| लेकिन ग्राम प्रधान जौहरपुर के आगे प्रशासन और पुलिस बेहाल है और गांव की बस्ती के अंदर से ट्रक निकल रहे है|
गांव वालों ने बताया कि गांव के ही दबंग प्रधान के द्वारा बालू का ठेका लिया गया है। जिसमें बालू के ठेकेदारी में पार्टनर है , जिसके कारण कोई भी आवाज नहीं उठा पाता जो भी आवाज उठाता है उसे धमकी मिलती है| इस लिए वह गरीब लोग दिक्कते झेल रहे हैं पर अपनी जान को जोखिम में डाल कर अवाज नहीं उठा सकते क्योंकि उनको हमेशा उसी गांव में माफियों के बीच रहना है| जबकि ट्रकों के कारण आये दिन वहां पर सड़क हादसे भी होते है और बता दे आपको की बालू खदान में सीसी टीवी कैमरे भी लगे हुए हैं फिर भी बालू के भरे ओवरलोड ट्रक चल रहे है|
वहीं दूसरी तरफ एक और ऐसा ही मामला सामने आया जहां पैलानी थाना क्षेत्र के खप्टिहाकलां में अवैध खनन को लेकर महिलाओं ने समाजसेविका ऊषा निषाद कि अगवाई मे खप्टिहाकलां घाट की नदी की धारा पर बैठकर अवैध खनन रोके जाने और कार्यवाही की मांग को लेकर 1 जुन से जल सत्याग्रह आंदोलन शुरु किया और अपनी मांगे पूरी करने के लिए पैलानी तहसील में एसडीएम को ज्ञापन दिया| महिलाओं का कहना था कि अवैध रूप से बालू माफियों का खानन हो रहा है| जिसमें किसानों की भूमधरी खेती में बड़े-बड़े गढ्ढे हो गए हैं| इस लिए सभी किसान महिलाओं की मांगे हैं कि यहां अवैध रूप से हो रहे खानन को बंद कराया जाए|
सवाल ये उठता है की जब लॉकडाउन की इस स्थिति में पुलिस हर जगह इतनी सख्ती से नजर आ रही है, तो फिर पुलिस प्रशासन यहाँ क्यूँ नहीं देख पा रहा है जबकि हर समय यहाँ से निकलना होता है| अगर अभी नहीं इस पर कार्यवाही कि जा रही तो फिर कब होगी?