बांदा| यूपी के बुंदेलखंड क्षेत्र में जानवरों की स्थिति बद से बदतर होती नजर आ रही है। सरकार भले ही इनके लिए व्यवस्थाएं कर रही हों। गौशालाएं बनवा रही हो। खाने पीने के लिए पैसे दे रही हो। लेकिन धरातल में यह कुछ ख़ास नजर नहीं आ रहा। जानवरों की बहुत ही बुरी स्थिति है| अन्ना जानवरों के नाम पर सिर्फ पैसों का खिलवाड़ किया जाता है। यह बात यहां के जानवरों की स्थिति खुद ही बयां करती हैं।
चारा होते हुए भी नहीं दिया जाता खाने को
रगौली भटपुरा गांव के सुंदरलाल,राजेश कृपाल और रामकेश ने बताया कि उनके गांव में लगभग 12 बीघा ज़मीन पर गौशाला बनाई गयी है। वहीं योजना के तहत प्रति जानवर 30 रूपये देने का भी सरकार द्वारा निर्देश दिया गया है। लोगों द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, गौशाला में 480 जानवरों को रखा जा रहा है। इस हिसाब से देखा जाए तो 480 जानवरों का महीने का खर्च 14 हज़ार 400 रूपये होता है। गायों को लेकर जितनी भी ज़रुरत की चीज़ें होती हैं वह गौशाला प्रबंधक कमिटी द्वारा पूरी की जाती है।
लोगों ने बताया कि जानवरों के खाने के लिए गोदाम में दो से चार ट्राली रखा हुआ है। लेकिन फिर भी जानवरों को पूरे दिन में एक या दो बार ही भूसा दिया जाता है। वह भी इतना नहीं होता कि जानवर पेट भरकर खा सकें। इसलिए यह जानवर भूख की वजह से इधर-उधर भटकते रहते हैं। कई जानवर तो भूख की वजह से अपने प्राण ही छोड़ देते हैं।
व्यवस्था को लेकर लोगों की मांग
इसलिए लोग चाहते हैं कि जिस तरह से सरकार अन्ना जानवरों और गौ वंश के नाम पर वाहवाही बटोर रही है। गौशाला बनवाने में पैसे खर्च कर रही है। उसी हिसाब से गौशालाओं में व्यवस्थाएं भी होनी चाहिए। जानवरों के लिए भरपूर चारा-पानी मिलना चाहिए। उनकी अच्छी तरह से देखरेख होनी चाहिए। ताकि जानवरों की भूख से मरने की समस्या उत्पन्न न हो।
नहीं मिली शिकायत – नरैनी बीडियो
इस मामले में खबर लहरिया ने नरैनी के बीडियो मनोज कुमार से बात की। उनका कहना था कि अभी उनके पास ऐसी शिकायत नहीं आई है। वह शिकायत मिलने पर गौशाला की जांच कराकर कार्यवाही करेंगे।
गौशाला में जानवरों को सही प्रकार से भूसा न देना, उनका ख्याल न रखना। जैसे समस्याएं रोज़ की हो गयी हैं। यूँ तो पशुओं के नाम पर पशु शेड योजना आदि सब चलाएं जा रहे हैं। उसके लिए करोड़ों के बजट भी तय किये गए हैं। लेकिन जब लाभ मिलने की बात आती है तो ज़मीनी तौर पर वह लाभ पहुंच ही नहीं पाता। वह इसलिए क्यूंकि स्थानीय अधिकारी अपनी ज़िम्मेदारियों को लेकर लापरवाही बरत रहे होते हैं। जिसका भुगतान जानवरों को अपनी जान गंवा कर चुकाना पड़ता है। ऐसे में मामले से संबंधित अधिकारी की यहां ज़िम्मेदारी बेहद बढ़ जाती है। लापरवाही गौशाला प्रबंधक कमिटी के कार्यों पर भी सवाल खड़ा करती है। हालांकि, इस समय बहुत से जानवरों को खुला छोड़ दिया गया है क्यूंकि फसलें कट गयी हैं। लेकिन जो जानवर अभी भी गौशाला में रह रहे हैं। उनकी स्थिति दयनीय है।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए गीता देवी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।