Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the siteorigin-premium domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/html/wp-includes/functions.php on line 6121
बुंदेली सुरों के सम्राट देशराज पटेरिया का निधन - KL Sandbox
KL Sandbox

बुंदेली सुरों के सम्राट देशराज पटेरिया का निधन

बुंदेली सुरों के सम्राट देशराज पटेरिया का निधन
मध्य प्रदेश, छतरपुर: बुंदेलखंड के महान कलाकार लोकगीत गायन के सबसे चहेते सत्तर वर्षीय पंडित देशराज पटेरिया जी का 5 सितंबर को उनके निजी अस्पताल में निधन हो गया। जैसे कि फिल्मी दुनिया की बॉलीवुड में अमिताभ बच्चन मशहूर हैं उसी प्रकार बुंदेलखंड में लोकगीत के कार्यक्रम के लिए देशराज पटेरिया जी मशहूर थे। आज उनके चहेते भी बहुत दुखित हैं।
 

कौन थे देशराज पटेरिया

बुंदेलखंड के लोकगीत सम्राट कहे जाने वाले देशराज पटैरिया का जन्म 25 जुलाई 1953 को छतरपुर जिले के तिंदनी गांव में हुआ था। चार भाइयों और दो बहनों में वे सबसे छोटे थे। हायर सेकेंडरी पास करने के बाद उन्होंने प्रयाग संगीत समिति से संगीत में प्रभाकर की डिग्री हासिल की। इसके बाद पटैरिया को स्वास्थ्य विभाग में नौकरी मिल गई। लेकिन उनका मन नौकरी से ज्यादा बुंदेली लोकगीत में रमा रहा। वे दिन में नौकरी करते थे और रात में बुंदेली लोकगीत गायन में भाग लेते थे।
 


 
वर्ष 1972 में देशराज ने मंचों पर लोकगीत गाना शुरू किया लेकिन उनको असली पहचान वर्ष 1976 में छतरपुर आकाशवाणी से मिली, तब उनका गायन आकाशवाणी से प्रसारित होने लगा। जिसके बाद धीरे-धीरे बुंदेलखंड में उनकी पहचान बढ़ने लगी। उन्होंने 10 हजार से भी ज्यादा लोकगीत गाए। वर्ष 1980 आते-आते उनके लोकगीतों के कैसेट मार्केट में आ गए। इसके बाद पटैरिया के लोकगीतों का जादू बुंदेलखंड वासी की जुबां पर दिखने लगा। उन्होंने बुंदेलखंड के आल्हा हरदौल ओरछा इतिहास के साथ-साथ रामायण से जुड़े हास्य, श्रृंगार संवाद से जुड़े संवाद के भी लोकगीत गाए। बुंदेलखंड में पटैरिया के नाम सबसे ज्यादा लोकगीत गाने रिकॉर्ड है। वे बॉलीवुड प्ले बैक सिंगर मुकेश को अपना आदर्श मानते थे।
 

क्या कहते हैं उनके प्रसंशक

 


 
पन्ना जिले के अजयगढ़ कस्बा निवासी बाबूलाल जी का कहना है कि वह अक्सर रेडियो पर इनके कार्यक्रम सुना करते थे और लोकगीत सुनना इनको बहुत पसंद था और पटेरिया जी के लोकगीत ही सुनते थे। इन्होंने ही बुंदेलखंड में लड़कियों को एक समान दर्जा देते हुए अपने साथ गाने के लिए अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए सहयोग किया था। इनकी पार्टी के साथ मिलजुल कर काम करने वाले और इन्हीं से सीखने वाले अजयगढ़ कस्बा में रहने वाले ओमप्रकाश चाहत इनकी सराहना करते हुए बताते हैं कि बुंदेलखंड के सबसे बड़े कलाकार लोकगीत गायन के पटेरिया जी ही थे जो कि बुंदेलखंड में रहने वाले सभी लोगों के दिलों में राज करते थे क्योंकि बुंदेलखंड में लोकगीत लोगो को पसंद है। लोग सुनना पसंद करते हैं कुछ लोग तो अभी भी रेडियो पर इनके कार्यक्रम आने का इंतजार करते हैं जैसे कि राजापुर में ठाकुर दीन कोंदर आज भी इनके कार्यक्रम का इंतजार करते हैं और इनके गीत सुनते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पटेरिया जी करीब 50 साल से लोकगीत गायन करते आ रहे थे। अपने कार्यक्रम जहां करते थे वहीं अपनी झलक छोड़ कर आते थे। अब वह झलक एक गूंज बनकर रह जायेगी।

Exit mobile version