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निगरानी के नाम पर रखी जा रही है आपकी निजी ज़िंदगी पर नज़र - KL Sandbox
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निगरानी के नाम पर रखी जा रही है आपकी निजी ज़िंदगी पर नज़र

दिन-प्रतिदिन बढ़ती महामारी के बाद भी लोग सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रहे है। न ही घर से बाहर निकलने पर मुंह पर मास्क है और न ही लोग खुद को सैनिटाइज़ेशन करने पर ध्यान दे रहे है। लोगों द्वारा महामारी में भी लापरवाही बरती जा रही है। ऐसे में अब सरकार ने लोगों पर नज़र रखने के लिए ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। जिससे की जो भी लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उन्हें पकड़ा जा सके और सज़ा दी जाए ताकि वह फिर से नियमों को न तोड़े। लेकिन इस तरह लोगो पर ड्रोन कैमरे से नज़र रखना कितना सही है, ये सवाल ज़रूर उठता है।

नई तकनीकों की नहीं है जानकारी


यूपी के गाँवो में रहने वाले कई लोगों को निगरानी की नयी तकनीकों के बारे में पता ही नहीं है। जिला ललितपुर, महरौनी के उमेश कुमार से जब ड्रोन कैमरे के बारे में पूछा जाता है तो उसे मालून ही नहीं होता। वह यह कहता है कि “उसे मालूम ही नहीं की ऐसी किसी चीज़ से लोगों पर नज़र रखी जा रही है।” जब लोगो को पता ही नहीं होगा की कोई उन्हें छुप कर देख रहा है तो लोग सावधान कैसे होंगे। माना की इसकी मदद से पुलिस को बहुत सहायता मिली है। फिर भी बिना लोगों के जाने उन पर निगरानी करने का मतलब हुआ किसी की निजी ज़िंदगी में बिना इज़ाज़त के तांक-झांक करना।   

कैमरे को लेकर ये है भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष का कहना

यूपी के जिला ललितपुर के भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह का कहना है कि अभी तक उनके गाँव महरौनी में ड्रोन कैमरे से कोई नज़र नहीं रखी जा रही है। लेकिन वो मानते हैं की इसके इस्तेमाल से महामारी की रोकथाम में मदद मिलेगी। वह कहते हैं कि इसकी मदद से उन जगहों पर निगरानी करने में मदद मिलेगी जहां सामान्य तौर पर पहुँच पाना मुश्किल होता है। इससे हम सही जगह पर , सही जानकारी के साथ पहुँच सकते हैं। उनका कहना है कि इन्होंने जिला अधिकारी के सामने उनके गाँव में भी ड्रोन कैमरे से निगरानी रखने का प्रस्ताव रखा है।  

ललितपुर के एएसपी ने ड्रोन कैमरे को बताया फायदेमंद


ललितपुर के एएसपी डॉ दिनेश कुमार कहते हैं कि ड्रोन कैमरे की मदद से यह देखने में आसानी होती है की लोगों ने आपस में दूरी बनाकर रखी है या नहीं। जिन लोगों ने अपने घर के आस-पास का कूड़ा साफ़ नहीं किया है तो कैमरे की मदद से देखकर उनके खिलाफ कार्यवाही की जाती है। फिलहाल एक ही कैमरे से सब पर नज़र रखी जा रही है। अगर कोई व्यक्ति बिना मास्क के मिलता है तो उस पर 500 रुपए का जुर्माना है।ज़्यादातर कोरोना कन्टोन्मेंट ज़ोन पर इसके ज़रिये निगरानी रखी जाती है कि कहीं लोग यूहीं घूम तो नहीं रहे।
अभी तक सिर्फ लोगो द्वारा ड्रोन कैमरे की तारीफ और अच्छे उपयोग के बारे में ही बताया गया। लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। जहां सरकार इसे सहूलियत का नाम दे रही है वहीं इसका गलत इस्तेमाल करने वाले लोगों की भी कोई कमी नहीं है।

एंटी-सीएए के प्रदर्शनकारियों पर चुपके से राखी जा रही थी नज़र

दिसम्बर में चल रहे एंटी-सीएए विरोध पर पुलिस कैमरे की मदद से निगरानी रख रही थी।  पुलिस का कहना था कि वह कैमरे से नज़र रखने के ज़रिये हिंसा फैला रहे लोगों को पकड़ने की कोशिश रही थी। लेकिन वहां प्रदर्शन कर रहे लोगों को पता ही नहीं था कि उनके जाने बिना ही उन पर पुलिस छुपके से नज़र रख रही है। जब यह बात सामने आयी तो लोगों ने सरकार से सवाल किया की ऐसे उन पर निगरानी करने का अधिकार उन्हें नहीं है। लोगो में इस बात को लेकर बहुत गुस्सा था। 

लोगों के बिना जाने और उनकी निजी ज़िंदगी में निगरानी करने की वजह से कई बार चीज़े हिंसा का रूप ले लेती है। किसी की ज़िंदगी में क्या हो रहा है ,नहीं हो रहा, इससे जानने का अधिकार सरकार को भी नहीं है और अगर किसी पर किसी वजह से निगरानी रखी भी जा रही है , तो उसका उस व्यक्ति को मालूम होना ज़रूरी है। मामला चाहें महामारी का हो या फिर कोई विरोध प्रदर्शन का। 
सरकार ड्रोन कैमरे की मदद से लोगों पर निगरानी रखने का काम कम और जासूसी करने का काम ज़्यादा कर रही है। सरकार या तो इसके ज़रिये यह दिखाना चाहती है कि उन्हें लोगों की कितनी फ़िक्र है तभी वह लोगों के लिए नयी तकनीकों को अपना रही है। असल में सरकार तो बस लोगों की निजी जानकारियां हासिल कर रही है। ऐसे कार्यों के बाद क्या जनता सरकार पर विश्वास कर पाएगी। क्या जनता को सरकार की तरफ़ से इस बात की तसल्ली मिलेगी की कोई उन्हें नहीं देख रहा। सिर्फ सवाल ही सवाल है और जवाब किसी के पास नहीं।

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