Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the siteorigin-premium domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/html/wp-includes/functions.php on line 6121
कानपुर हत्याकाण्ड- दोस्तों ने ही ले ली लैबटेक्नीशियन संजीत यादव की जान - KL Sandbox
KL Sandbox

कानपुर हत्याकाण्ड- दोस्तों ने ही ले ली लैबटेक्नीशियन संजीत यादव की जान

उत्तर प्रदेश का कानपुर जिला पिछले एक महीने से सुर्खियों में है बिकरू मामला अभी शांत नहीं हुआ की फिर बर्रा अपहरण कांड ने कानपुर पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया है पुलिस की नाकामयाबी से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नाराज हैं उनकी नाराजगी का असर भी देखने को मिला है कानपुर के बर्रा से लैब टेक्नीशियन संजीत यादव के अपहरण व हत्या मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई करते हुए तत्कालीन डिप्टी एसपी मनोज गुप्ता समेत चार अफसरों को निलंबित कर दिया। डिप्टी एसपी के अलावा, आईपीएस अपर्णा गुप्ता, पूर्व प्रभारी निरीक्षक थाना बर्रा रणजीत राय व चौकी इंचार्ज राजेश कुमार को निलंबित कर दिया गया।
स घटना को लेकर विपक्षी दल ने प्रदेश सरकार पर हमला बोला। विपक्षी दलों के नेताओं ने कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए साथ ही पुलिसकार्यप्रणाली को भी कठघरे में रखा। एक तरफ जहाँ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और बसपा प्रमुख मायावती ने प्रदेश में जंगलराज कायम होने की बात कही है। वहीं, समाजवादी पार्टी के पूर्व सीएम अखलेश यादव ने भी ट्वीटकर कानपुर पुलस पर सवाल उठाए। साथ ही मृतक के परिवार को 5 लाख की आर्थिक मदद की घोषणा की। 

क्या है बर्रा अपहरण कांड?

कानपुर शहर के बर्रा निवासी लैब टैक्नीशियन संजीत यादव का करीब एक महीने पहले 22 जून की रात को  हॉस्पिटल से घर आने के दौरान अपहरण हो गया था. दूसरे दिन परिजनों ने पूर्व थाना प्रभारी रणजीत राय से बेटे के लापता होने की तहरीर दी थी। इसके बाद भी पुलिस हाथ पर हाथ रखे बैठी रही।
ऐसा बताया जा रहा है की लैब टेक्नीशियन संजीत यादव (28) का अपहरण फिरौती के लिए उसके दोस्त ने साथियों के साथ मिलकर किया था। 26 जून को उसकी हत्या कर लाश पांडु नदी में फेंक दी थी। पुलिस ने इस मामले में पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है, सभी संजीत के दोस्त हैं।

29 जून को आई फिरौती की कॉल

पुलिस पूछताछ में आरोपितों ने कबूला कि 26 जून संजीत की हत्या कर उसका शव पांडु नदी में बहा दिया था। संजीत की हत्या करने के बाद 29 जून को अपहरणकर्ता ने संजीत के परिजनों को 30 लाख की फिरौती के लिए फोन किया था। आरोपितों ने पूछताछ में ये भी बताया कि पैसों के लालच में संजीत का अपहरण किया था, क्योंकि वो बोलता था कि उसके पास बहुत पैसे हैं। हालांकि, अपहरणकर्ताओं ने सबसे ज्यादा चौंकाने वाला खुलासा ये किया कि उन्होंने फिरौती का बैग उठाया ही नहीं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर फिरौती का बैग गया तो गया कहां?

बेटी की शादी के लिए जमा धनराशी बेचकर दी थी फिरौती की रकम

परिजनों का आरोप था कि पुलिस ने किसी तरह की हमारी मदद नहीं की। अपना घर और जेवरात बेचकर और बेटी की शादी के लिए जमा की गई धनराशि को इकट्ठा कर 30 लाख रुपये जुटाए थे। 13 जुलाई को पुलिस के साथ किडनैपर्स को 30 लाख रुपये देने के लिए गए थे। अपहरणकर्ता पुलिस के सामने से 30 लाख रुपये लेकर चले गए थे। लेकिन पुलिस देखती रही। 30 लाख जाने के बाद भी हमारा बेटा नहीं मिला ।

राजनीतिक दलों ने कानपुर पुलिस पर उठाया सवाल

संजीत के अपहरण के बाद फिरौती दिलाने और फिर उसकी हत्या की घटना को लेकर राजनीतिक दलों ने कानपुर पुलिस और उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने ट्वीट करते हुए कहा की उत्तर-प्रदेश में कानून व्यवस्था दम तोड़ चुकी है। आम लोगों की जान लेकर अब इसकी मुनादी की जा रही है। घर हो, सड़क हो, ऑफिस हो कोई भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करता। पुलिस ने किडनैपर्स को पैसे भी दिलवाए और उनकी हत्या कर दी गई। एक नया गुंडाराज आया है, इस जंगलराज में कानून-व्यवस्था गुंडों के सामने सरेंडर कर चुकी है |


संजीत के अपहरण और हत्या की घटना से दुखी बसपा प्रमुख मायावती ने भी यूपी की कानून व्यवस्था पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट करके कहा है कि उत्तर-प्रदेश में जारी जंगलराज के दौरान एक और घटना में कानपुर में अपहरणकर्ताओं द्वारा श्री संजीत यादव की हत्या करके शव को नदी में फेंक दिया गया जो अति-दुःखद व निंदनीय है।


संजीत की अपहरण के बाद हत्या के मामले में कई सवाल खड़े कर रहे हैं। चाहे वह फिरौतियों लेने के बाद भी आरोपियों का इनकार करना हो या पुलिसवालों को सस्पेंड कर देना। क्योंकि किसी को सस्पेंट कर देना या ट्रांसफर कर देने से न्याय नहीं मिल जाता, जब तक दोषी को जेल में नहीं डाल दिया जाता चाहे वह पुलिस हो या आम जनता
 

Exit mobile version