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बुंदेलखंड का मनपसंद महुआ का लाटा का लीजिये मज़ा

Enjoy the favorite Mahua's lata of Bundelkhand

जिला बांदा गांव महुआ ब्लाक महुआ थाना गिरवा अतर्रा जहा के रहने वाले जोकड का कहना है की आज 25पहले घर घर मिट्टी की खपडिया बरसात के महीने में चढ़ी रहती थी। हर घर में महुआ भूजते थे लाटा बनाने के लिए बहुत फायदेमंद होता है महुआ का लाटा जैसे महुआ विषय अलसी और तेल अलसी और महुआ कूटते थे 10 10 दिन के लिए महुआ का लाटाकुट के रख लेते थे।
बरसात के महीने में जब बारिश होती थी तो बारिश में कुछ काम भी नहीं होता था तो हर घर में लाटा गूंज के महुआ कूट लेती थी महिलाएं। कहते हैं अलसी में कमर नहीं दर्द होती है और महुआ सर्दी जुखाम के लिए बहुत फायदेमंद होता हैयह पुरानी परंपरा है जो बहुत महत्व देते थे और अब तो गिने-चुने ही महुआ अलसी का नाटक उठते हैं महिलाएं जो पुराने बुजुर्ग हैं वह महुआ का नाटक खाने को तरसते हैं पर फिर भी जिसका मन होता है वह सर्दियों के महीने में महुआ का लाटा बहुत चाय के साथ आज भी खाते हैं।
Enjoy the favorite Mahua's lata of Bundelkhand
अनारकली ने बताया कि पहले जब हम छोटे थे तब हमारे हम माने बूंद के रख लेती थी जब हम हर खेत का काम करते थे तो वहीं लौटा लेकर चले जाते थे और उसी को खाते थे फोटो इस सेल महुआ का लाटा खाकर पानी पी लेते थे जिससे पानी भी पीने में अच्छा लगता था और महुआ के लाटा में आज भी जो कोई खाता है तो अच्छा होता है पुराने जमाने के लोग कहते हैं कि ऐसे खाली पेट पानी नहीं पी सकते हैं अगर थोड़ा सा महुआ अलसी का और तिल का लाडा हो तो पानी पीने में भी मजा आता है |
लाटा खाकर इसी में कोई रोक दो भी नहीं होती हैं शुद्ध चीज होती है महुआ को कई तरह से अपने बुंदेलखंड में खाते हैं जैसा कि महुआ का लाटा और महुआ की काठी महुआ के पुआ यह चीजें बनती हैं कितना महुआ मीठा होता है कि गुड़ चीनी की जरूरत नहीं होती हैऔर खाने में भी अच्छा होता है महुआ का लाटा कैसे बनाया जाता है पहले महुआ को कढ़ाई में या मिट्टी के बर्तन में उसको भूजले अलसी भी भूज ले तीलीभी भूजले और महुआ को कडी और मुंह सर में अच्छा कूटना पड़ता है|
जब वह बारिश हो जाए कुटते कुटतेउसको फिर खाएं वही दूसरी तरफ ललितपुर जिले के ब्लॉक महरौनी के गाँव कुआधोषी में अधिकतर घरों में महुआ का डूबरी बनाकर खाते हैं लोग जिन्हे वो अपने बुंदेलखंड का कल्चर बताते है जिला ललितपुर ब्लाक महरौनी गांव कुआधोषी यहां पर हर साल गर्मियों के मौसम में डूब री बनाकर खाते हैं लोग महिला का कहना है कि पहले के लोग सबसे ज्यादा खाते हैं और पहले सबसे ज्यादा मनाते थे जैसे हम लोग हैं तो एक हफ्ता में एक बार जरूर बना कर खाते हैं एडूरी सीजन बाई सीजन बनती है जैसे अभी के बच्चे हैं |
जो इसे खाना पसंद नहीं करते हैं पहले के लोग खाते हैं बहुत अभी भी कम से कम 50 परसेंट लोग ऐसे हैं जो दुबली बनाकर खाते हैं और इन्हें शौक भी है खाने की गर्मियों के मौसम में हर साल बनाई जाती है और ठंडी ओ भी खाते हैं लोग घर के पेड़ हैं महुआ के तो बिन कर रख लेते हैं और अभी बनाकर खाते हैं कोई दरिया में धुबरी ही बनाता है और कोई चावल में मनाता है दो प्रकार की बनती है जो खाना जैसा पसंद करे वैसी बन जाती है|
इसमें सभी प्रकार का सामान डालता है जैसे महुआ दलिया चीनी गरी दाख अदरक काली मिर्च आदि जैसा सामान इसमें डाला जाता है इसको बनाने में 1 घंटा समय लगता है हमारे परिवार के सभी लोग पसंद करते हैं दो बच्चों को छोड़कर क्योंकि बच्चे नहीं खाते हैं और पूरा परिवार खाता है हफ्ते में एक बार जरूर बनाते हैं लोगों को पसंद भी है इसके खाने के फायदे हैं कि जैसे गर्मियों में खाओ तो लपट नहीं लगती स्वास्थ्य ठीक रहता है और ठंडी हो में महुआ को गूंज कर भी खाते हैं चने मिलाकर दोषी जनों में खाया जाता है |

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