KL Sandbox

कंपनी का मैनेजर मनरेगा मज़दूर बन गया, ये है योगी जी के काम का दावा?

The manager of the company became a MGNREGA worker

The manager of the company became a MGNREGA worker

वैश्विक कोरोना महामारी के चलते पूरा देश जूझ रहा है, जिसके चलते हमारा युवा बेहद परेशान नजर आ रहा है। एक तो वैसे ही हमारे देश का पढ़ा लिखा युवा बेरोजगार घूम रहा था, थोड़ी बहुत युवा बाहर पलायन कर कम्पनियों में काम करते थे।पर कोरोना और लॉक डाउन की वजह से कंपनियों को छोड़कर अपने गाँव आ गए। गांव में कोई काम न होने के कारण हमारा पढ़ा लिखा युवा परिवार चलाने के लिए मनरेगा में काम कर रहे है।
नितिन ने बताया कि वह बांदा जिले में प्राइवेट कंपनी में मैनेजर के पद में एक साल से काम कर रहे थे। जिसमें हमे 18 हज़ार वेतन मिलता था। इस कोरोना की वजह से कंपनी बंद हो गई हैं।
जिससे हमें घर आना पड़ा। याब गाँव मे या आसपास कोई कंपनी या फैक्ट्री तो है नही। इसलिए परिवार चलाने में परेशानी हो रही। जिससे मनरेगा में काम करना पड़ रहा है। उदयभान ने बताया कि मैं इंदौर में टीचर था। स्कूल में बच्चों को पढ़ाते थे। यहां आसपास कोई स्कूल नही है। जो है भी तो उनमें सैलरी दो से तीन हजार मिलती है। पूरा दिन बर्बाद होता है। उतने में परिवार नही चल पाता है।

कंपनी का मैनेजर मनरेगा मज़दूर बन गया


जिसकी वजह से बाहर गए थे। पर कोरोना की वजह से वापस आ गए। क्योंकि स्कूल सब बंद हो गए थे। कोई बच्चा कोचिंग भी पढ़ने के लिए तैयार था। यहां पर दो महीने से मनरेगा में खंती डालने का काम करते है। मिट्टी बहुत टाइट खुदती है।
हाथों में छाले पड़ गए हैं, पर क्या करें मजबूरी है, नही करेंगे तो परिवार कैसे चलेगा। गहरा गाँव के रोजगार सेवक रामकुमार ने बताया कि हर साल मनरेगा में कोई काम करने को तैयार नही होता था। पर इस साल ऐसे ब्यक्ति काम कर रहे है जो एसी में बैठकर काम करते थे। उनसे मिट्टी तो नही खुदती पर मजदूरी है काम करना उनकी क्योंकि परिवार चलाना है। हालात बहुत ही खराब होती है।
Exit mobile version